पिछले ही दिनों देश के कुछ हिस्से बाढ़ (Floods) के प्रकोप से जूझ चुके हैं और अब मौसम विशेषज्ञों (Climate Scientists) की भविष्यवाणी मानी जाए तो ठंड से जूझना पड़ सकता है. इस साल लॉकडाउन (Lockdown) के कारण लोगों को ज़रूर अपना रूटीन बदलना पड़ा हो, लेकिन मौसम अपनी रफ्तार और धुन से ही चलता रहा. हो सकता है कि जल्द ही आपको सर्दियों (Winter Season) के कपड़े निकालने पड़ें क्योंकि प्रशांत महासागर में हो रही हरकतों के कारण मौसम के पैटर्न (Weather Pattern) को देखते हुए मौसम विभाग (IMD) का अनुमान है कि तुलनात्मक रूप से इस बार ठंड ज़्यादा पड़ेगी.
पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित करने वाले प्रशांत महासागर में कई तरह की हलचलों में से एक है एल नीनो दक्षिणी प्रकंपन साइकल (ENSO), जिसे समझना ज़रा टेढ़ी खीर हो सकता है. बहरहाल, इसी का एक हिस्सा है ला नीना और इसका उलट हिस्सा है एल नीनो. इन्हीं हलचलों को देखते हुए भविष्यवाणी की गई है. ये पूरा माजरा क्या है? ये जानने से पहले ज़रूरी है कि आप प्रशांत महासागर संबंधी भूगोल को थोड़ा ज़हन में रखें.
प्रशांत महासागर में बनने वाली कंडीशन ENSO से मौसम में ठंड का जो फेज़ संबंधित है, उसे ला नीना और गर्मी से जुड़ा जो फेज़ है, उसे एल नीनो के तौर पर समझा जाता है. इनका मतलब यह है कि प्रशांत महासागर में सामान्य सतही तापमान में किस तरह अंतर आता है. मिसाल के तौर पर, ला नीना कंडीशन में प्रशांत में दक्षिणी अमेरिका से इंडोनेशिया की तरफ हवाएं गर्म सतही पानी को उड़ाने लगती हैं.इससे होता ये है कि गर्म पानी जब मूव करता है, तब ठंडा पानी सतह पर उठने लगता है जिससे सामान्य से ज़्यादा ठंडक पूर्वी प्रशांत के पानी में देखी जाती है. ला नीना के प्रभाव वाले साल में सर्दियों के महीनों में हवाएं ज़्यादा ज़ोरदार ढंग से बहती हैं, जिससे भूमध्य रेखा के पास सामान्य से ज़्यादा ठंड हो जाती है. और इसका प्रभाव पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है.
क्लाइमेट वैज्ञानिकों के हवाले से एक और रिपोर्ट की मानें तो महाबलेश्वर में पाला गिरना रहा हो, या तमिलनाडु व अन्य हिस्सों में कोल्ड वेव्स, इन सबका संबंध कहीं न कहीं ला नीना से रहा. जैसा आप समझते हैं कि सर्दियों में हवाएं भारत के उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की तरफ बहती हैं. ला नीना के कारण उत्तर-दक्षिण का लो प्रेशर सिस्टम बन जाता है, जिससे कोल्ड वेव का असर और क्षेत्र फैलता है.रह रहकर चलेगी शीत लहर!
ला नीना के ठंड के मौसम पर असर को समझाते हुए जेएनयू के विशेषज्ञों के हवाले से एक रिपोर्ट में उल्लेख है कि इसके कारण इस साल बार बार शीत लहर चलेगी और पूरे मौसम में ऐसा नहीं होगा कि एक बार तापमान गिर जाए. आम तौर पर, ला नीना और एल नीनो 9 से 12 महीने का असर दिखाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कि हर साल इनका प्रभाव रहता हो. हर दो से सात साल के बीच ऐसा होता है और एल नीनो ज़्यादा फ्रिक्वेंटली प्रभावित करता है.