Coronavirus: जानें देश के अलग-अलग राज्यों में संंक्रमण से होने वाली मौत की दर में क्यों दिख रहा है भारी अंतर
कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामलों पर करीबी नजर रख रहे विशेषज्ञों का कहना है कि देश के जिन राज्यों में कोरोना टेस्ट की संख्या ज्यादा है, उनमें मृत्यु दर (Mortality Rate) कम है, जो लगातार घटती जाएगी.
कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण भारत के 100 से ज्यादा पॉजिटिव केस वाले राज्यों में मृत्यु दर (Mortality Rate) में काफी अंतर है. कोरोना वायरस के कारण मृत्यु दर के मामले में शुक्रवार सुबह तक सबसे ऊपर मध्य प्रदेश है. राज्य में संक्रमण के कारण मरने वालों की दर 7.7 फीसदी है. देश में सबसे पहले संक्रमण के मामले पाए जाने वाले केरल में मृत्यु दर 0.6 फीसदी है. वहीं, देश में सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में मृत्यु दर 0.9 फीसदी है.
माना जा रहा है कि मृत्यु दर में अंतर का बडा कारण कोरोना टेस्ट में लाई गई तेजी भी है. वहीं, इस समय सबसे ज्यादा संक्रमित मरीजों वाला महाराष्ट्र (Maharashtra) इस सूची में चौथे नंबर पर है. देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर 1.67 फीसदी है और ये सूची में तीसरे नंबर पर है. इसके अलावा तमिलनाडु (Tamil Nadu) इस मामले में 0.96 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है.
किस राज्य में कितनी है मृत्यु दर
कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौत की दर पंजाब में 7.6 फीसदी है. वहीं, गुजरात में ये दर 7.3 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 4.9 है. हरियाणा में हर 100 संक्रमित में 3.1 की मौत होने की जानकारी है. वहीं, कर्नाटक में मृत्यु दर 3 फीसदी और तेलंगाना में 2.6 फीसदी है. जम्मू-कश्मीर में ये दर 2.2 फीसदी और राजस्थान में 1.7 फीसदी है. आंध्र प्रदेश में संक्रमण से होने वाली मौत की दर 1.7 और उत्तर प्रदेश में 0.9 फीसदी है. ये मृत्यु दर 9 अप्रैल तक राज्यों में सामने आए संक्रमितों की संख्या और मरने वाले लोगों की संख्या के आधार पर है.
जांच ज्यादा तो मृत्यु दर होगी कम
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिन राज्यों में कोरोना टेस्ट ज्यादा किए जा रहे हैं, उनमें मॉर्टेलिटी रेट कम है. दरअसल, ऐसे राज्यों में माइल्ड और बिना लक्षण वाले मरीजों की भी पहचान कर इलाज किया जा रहा है. जैसे-जैसे ऐसे संक्रमितों की संख्या में वृद्धि होती जाएगी, वैसे-वैसे अलग-अलग राज्यों की मृत्यु दर में भी अंतर ज्यादा होता जाएगा. दरअसल, इससे संक्रमितों की संख्या बढती जाएगी और मरने वालों की संख्या उसके अनुपात में कम होती जाएगी. इस तरह ज्यादा कोरोना टेस्ट करने वाले राज्यों में मृत्यु दर घटती चली जाएगी. विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर हम सिर्फ गंभीर लक्षणों वाले या गंभीर मरीजों की जांच करेंगे तो मृत्यु दर ऊंची रहने के आसार बने रहेंगे. शुरुआती डाटा में मृत्यु दर काफी ज्यादा थी. इसके अलावा जैसे-जैसे डॉक्टर्स ये समझते जाएंगे कि गंभीर मामलों में इलाज कैसे करना है, वैसे-वैसे मृत्यु दर घटती चली जाएगी.
प्रोएक्टिव अप्रोच से घटेगी मृत्यु दर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि मृत्यु दर घटने का एक और कारण हो सकता है. उनके मुताबिक, जैसे-जैसे लोगों को संक्रमितों के मरने की खबर मिल रही है, वैसे-वैसे मामूली लक्षणों वाले लोग भी अस्पतालों में पहुंचकर अपनी जांच करा रहे हैं. ऐसे में पॉजिटिव केसेस खुद ही सामने आ रहे हैं और संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है. इससे भी मृत्यु दर में अंतर नजर आ रहा है. कुल मिलाकर जिन राज्यों में जांच ज्यादा हो रही है, उनमें मृत्यु दर घटने के साथ ही संक्रमण के शुरुआती दौर में ही मरीजों का इलाज शुरू हो रहा है. ऐसे में उनके ठीक होकर घर लौटने की संभावना भी काफी ज्यादा होती है. हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि क्लीनिकल डाटा में वृद्धि होने से पहले स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना टेस्ट में शामिल किए गए लोगों की उम्र से भी राज्यों की मॉर्टेलिटी रेट पर अंतर देखने को मिलेगा.
जांच में शामिल लोंगों की उम्र का भी असर
राज्यों की मृत्यु दर में काफी अंतर का एक कारण जांच में शामिल किए गए लागों की उम्र भी हो सकती है. केरल में बडी आबादी युवा है. ऐसे में मृत्यु दर कम हो सकती है. हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी ही होगा. किसी भी राज्य में कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौत की दर टेस्टिंग स्ट्रैटजी, टैस्ट की संख्या और टेस्ट किए गए लोगों की उम्र पर निर्भर करेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के महामारी विशेषज्ञ डॉ. गिरिधर बाबू का कहना है कि अब तक जांच के दायरे में नहीं आ पाए पॉजिटिव मामलों के कारण किसी राज्य की मृत्यु दर अभी वास्तविकता से ज्यादा ही आएगी. ऐसे राज्यों में टेस्ट की संख्या में वृद्धि के साथ मृत्यु दर भी घट जाएगी.
महाराष्ट्र में कई राज्यों से ज्यादा कोरोना टेस्ट
डॉ. गिरिधर कहते हैं कि महाराष्ट्र में पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी और मध्य प्रदेश से ज्यादा जांच की जा रही हैं. लेकिन वहां भी अति-गंभीर लक्षणों वाले लोगों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा रही है. राज्य में अभी मामूली लक्षणों वाले लोगों के कोरोना टेस्ट को तव्वजो नहीं दी जा रही है. इसके अलावा पॉजिटिव पाए जाने वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज करने में भी देरी हो रही है. बता दें कि अब तक पूरी दुनिया में 17,22,306 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें 1,04,775 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3,89,281 स्वस्थ होकर घर लौट गए हैं. वहीं, भारत में अब तक 7,997 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें 255 की मौत हो गई है. देश में 871 लोग संक्रमण से उबरकर घर लौट चुके हैं.