क्‍या जानलेवा केमिकल क्‍लोरीन डाइऑक्‍साइड हो सकता है कोरोना वायरस का इलाज?

सोशल मीडिया पर लोग क्‍लोरीन डाइऑक्‍साइड (Chlorine Dioxide) को कोरोना वायरस के कारगर इलाज (Treatment of Coronavirus) के तौर प्रचारित कर रहे हैं. कुछ लोग वीडियोज के जरिये अपने अनुभव साझा कर रहे हैं. इस बारे में स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि इस केमिकल का सेवन करने वाले की मौत भी हो सकती है.

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कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आकर अब तक दुनियाभर के 23,73,850 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 1,63,673 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 6 लाख से ज्‍यादा लोग इलाज के बाद स्‍वस्‍थ होकर घर लौट चुके हैं. संक्रमण हर दिन हजारों लोगों को अपनी जद में ले रहा है. इस बीच दुनियाभर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसका इलाज (Treatment) और वैक्‍सीन (Vaccine) बनाने की कवायद में जुटे हैं. दुनियाभर से कोरोना वायरस के इलाज को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं.

हाल में ऑस्‍ट्रेलिया के एक शोधकर्ता ने क्‍लीनिकल ट्रायल के आधार दावा किया था कि जुएं मारने वाली दवा से कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है. वहीं, अब कुछ लोग खतरनाक केमिकल क्‍लोरीन डाइऑक्‍साइड (Chlorine Dioxide) को कोविड-19 का बेहतरीन इलाज बताकर प्रचारित कर रहे हैं. आइए विशेषज्ञों से समझते हैं कि क्‍या इस जानलेवा केमिकल (Deadly Chemical) को कोरोना वायरस का इलाज माना जा सकता है?

किसी हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन से दवा के तौर पर मान्‍यता नहीं
विवादास्पद रसायन क्लोरीन डाइऑक्साइड को ‘मिरैकल मिनरल सप्लीमेंट’ के तौर पर भी पहचाना जाता है. अब से पहले लोग इस केमिकल को मलेरिया, डायबिटीज, अस्थमा, ऑटिज्‍म और कैंसर का इलाज भी बताते रहे हैं. हालांकि, किसी भी हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन (Health Organisation) ने क्लोरीन डाइऑक्साइड को दवा के तौर पर मान्यता नहीं दी है. इस केमिकल की डोज लेने वाले व्‍यक्ति के स्‍वास्‍थ्‍य को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.

वीडियो में लोग क्लोरीन डाइऑक्साइड के औषधीय गुणों के बारे में बताते हुए नजर आ रहे हैं.

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के मुताबिक़, इस केमिकल से रेस्पिरेटरी सिस्‍ट और लिवर काम करना बंद कर देते हैं. कुछ मामलों में हार्टबीट इतनी असामान्य हो जाती है कि रोगी की मोत होने तक की स्थिति पैदा हो जाती है. इसके अलावा रेड ब्‍लड सेल्‍स (RBC) को क्षति, उल्टी और डायरिया भी हो सकता है. एफडीए के मुताबिक, क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल के बाद अगर मेडिकल हेल्प मिलने में देरी हो जाए तो कई बार हालात बहुत बिगड़ सकते हैं.

मरीज के स्‍वास्‍थ्‍य को पहुंचा सकता है गंभीर खतरा
एफडीए ने 8 अप्रैल को जारी की चेतावनी में कहा है कि क्लोरीन डाइऑक्साइड के असर या मरीज की सुरक्षा का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है. इससे मरीज के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुंच सकता है. इसके उलट काफी लोग इस रसायन को कोविड-19 का असरदार इलाज बता रहे हैं. लोग सोशल मीडिया (Social Media) पर इस रसायन के बारे में अपने अनुभव साझा कर रहे हैं.

यही नहीं, ऐसे दावों से जुड़े वीडियोज की भी सोशल मीडिया पर भरमार है. इन वीडियो में लोग क्लोरीन डाइऑक्साइड के औषधीय गुणों के बारे में बताते हुए नजर आ रहे हैं. लोग बता रहे हैं कि ये केमिकल वायरस और बैक्टीरिया को खत्‍म कर सकता है. लोग इसे कोविड-19 का चमत्कारिक इलाज बता रहे हैं. ऐसे ही एक वीडियो में इक्‍वाडोर के गुआयाक्‍वील की अस्‍थमा पेशेंट एक महिला ने इस केमिकल के बारे में अपने अनुभव साझा किए हैं.

स्‍वास्‍थ्‍य संगठनों ने जारी की हुई है सख्‍त चेतावनी
इक्‍वाडोर की यह महिला बताती हैं कि मैंने अपना कोरोना टेस्ट (Corona Test) नहीं कराया था. मैं शॉपिंग के लिए सुपरमार्केट गई थी, जहां काफी लोगों के संपर्क में आई. कुछ समय के बाद मुझे बुखार (Fever) आने लगा. मैं बेहद थका हुआ महसूस करती थी. आंखों के पीछे और सिरदर्द रहने लगा था. हफ्ते भर बाद मुझे चीजों का स्वाद और सुगंध महसूस होनी बंद हो गई. कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में ऐसे ही लक्षण देखे जा रहे थे.

क्‍लोरीन डाइऑक्‍साड डिस्टिल वाटर में सोडियम क्लोराइड मिलाकर तैयार किया जाता है. इसका इस्तेमाल साफ-सफाई में किया जाता है.

वह बताती हैं कि मैंने कई हफ्ते अपना ध्‍यान रखा और क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल के बाद सुधार महसूस किया. केमिकल लेने के 24 घंटे के अंदर मेरे गले की तकलीफ और बुखार दोनों खत्‍म हो गए. वहीं, स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों (Health Experts) का कहना है कि ऐसे दावों में आकर केमिकल का सेवन न करें. इस केमिकल के खतरों की सूची काफी लंबी है. कई स्‍वास्‍थ्‍य संगठनों ने इसके इस्तेमाल को लेकर सख्‍त चेतावनी भी जारी की हुई है.

उद्योगों में सफाई के लिए किया जाता है इस्‍तेमाल
क्‍लोरीन डाइऑक्‍साड डिस्टिल वाटर में सोडियम क्लोराइड मिलाकर तैयार किया जाता है. इसका इस्तेमाल साफ-सफाई में किया जाता है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कंप्लूटेंस यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड में केमिस्ट्री के प्रोफेसर मिगेल एंजेल सिएरा रॉड्रिग्ज कहते हैं कि इस कीटाणुनाशक का इस्तेमाल इंडस्‍ट्रीज में होता है. इसे खाया या पीया नहीं जाना चाहिए.

वह कहते हैं कि कोरोना वायरस पर इस केमिकल का कोई असर नहीं होता है. अमेरिका में कोविड-19 के इलाज में क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर ‘जेनेसिस-2 चर्च ऑफ हेल्थ एंड हीलिंग’ नाम के संगठन को एफडीए ने चेतावनी भी दी है. वहीं, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने क्लोरीन डाइऑक्साइड के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है.

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