कितने तरह के कोरोना वायरस मनुष्यों को संक्रमित करते हैं और कैसे?

पूरे प्राणी जगत की बात करें तो जानवरों में सैकड़ों या शायद हज़ारों तरह के कोरोना वायरस मौजूद हैं. फिलहाल वैश्विक महामारी बनकर फैले एक कोरोना वायरस ने दुनिया की नाक में दम कर दिया है तो जानें कि मनुष्यों को संक्रमित करने वाले कितने तरह के कोरोना वायरस पहचाने जा चुके हैं?

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कोविड 19 (Covid 19) की महामारी की चपेट में आ चुकी पूरी दुनिया के ताज़ा हालात पर लगातार नज़र रखते हुए क्या आप ये जानते हैं कि अब तक कितने किस्म कोरोना वायरस (Corona Virus) मनुष्यों में संक्रमण फैला चुके हैं? जी हां, सूअर, ऊंट, चमगादड़ (Bats) और बिल्लियों आदि कई जानवरों में सैकड़ों किस्म के कोरोना वायरस मौजूद पाए जा चुके हैं लेकिन मनुष्यों को अब तक सिर्फ 7 किस्म के विषाणुओं से खतरा हुआ है. जानना उपयोगी होगा कि ये किस तरह के वायरस (Types of Corona Viruses) हैं और इनके क्या असर होते हैं.

क्या और कैसे हैं कोरोना विषाणु?
मनुष्यों को प्रभावित करने वाला पहला कोरोना वायरस 1965 में वैज्ञानिकों टायरैल और बायनो ने खोजा था. तब उन्होंने इसे बी814 स्ट्रेन नाम दिया था लेकिन 1968 में कोरोना वायरस नाम मंज़ूर हुआ. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पिछले दो दशकों में घातक किस्म के कोरोना वायरस मनुष्यों ने देखे हैं. SARS-CoV, MERS और अब SARS-CoV-2 बेहद खतरनाक और जानलेवा साबित हो रहे हैं.

अस्ल में, कोरोना आरएनए विषाणुओं का एक बड़ा परिवार हैं जो जानवरों और मनुष्यों के लिए बीमारी के कारण बनते रहे हैं. सूअर और गायों में ये विषाणु डायरिया और मुर्गियों में सांस की बीमारी पैदा करते हैं. 1937 में पहला कोरोना वायरस खोजा गया था. मुर्गियों में सांसों की बीमारी के मद्देनज़र तब इसे इन्फेक्शियस ब्रॉंकाइटिस वायरस कहा गया था.

कौन से हैं वो 7 कोरोना वायरस?
विशेषज्ञ कोरोना विषाणुओं को तीन समूहों में बांटते हैं. पहले और दूसरे समूह में स्तनधारियों से संबंधी कोरोना वायरसों को रखा जाता है और तीसरे समूह में पक्षियों से संबंधित. दुनिया भर में, मनुष्य जिन 7 कोरोना वायरसों के कारण संक्रमित होते हैं, उनमें 229ई, एचकेयू1, एनएल63 और ओसी43 विषाणु शामिल हैं. इसके साथ ही जानवरों को संक्रमित करने वाले कोरोना वायरस, जो मानव संक्रमण की शक्ल ले लेते हैं, उनमें मर्स, सार्स और सार्स कोव 2 वायरस शामिल हैं.

एक-एक कर पहचाने गए 7 कोरोना वायरस

1960 : हैम्रे और प्रॉकनाउ का रिसर्च पेपर एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी एंड मेडिसिन में 1966 में छपा था, जिसमें सबसे पहले कोरोना वायरसों में शामिल 229ई का उल्लेख था.
1967 : वायरोलॉजी पत्र में छपे एक शोध में कहा गया कि पहला मानवीय कोरोना वायरस 1965 में खोजा गया और टायरेल व बायनो के पेपर में इसे बी814 नाम दिया गया.
2003 : चीन में सार्स की शुरूआत हुई. यह वायरस किस जानवर से फैला, यह अब तक पता नहीं है लेकिन माना जाता है कि चमगादड़ से बिल्लियों के ज़रिये यह मनुष्यों तक आया.
2004 : नीदरलैंड्स में पहली बार सांस संबंधी रोग पैदा करने वाले वायरस को पहचाना गया. तब मनुष्यों में कोरोन वायरसों के संक्रमण को लेकर रिसर्च में तेज़ी आई और एनएल63 और एचकेयू1 की खोज 2004 में हांगकांग में हुई.
2012 : सउदी अरब में ऊंटों के ज़रिये मनुष्यों में मर्स महामारी के रूप में कोरोना वायरस सामने आया.
2019 : चीन के वुहान शहर में सार्स-कोव-2 यानी कोविड 19 की शुरूआत हुई. यह भी किस जानवर से फैला है, अब तक पुष्ट नहीं है लेकिन फिर थ्योरीज़ चमगादड़ को ही सोर्स मान रही हैं.

इन वायरसों से संक्रमितों में होते हैं ये लक्षण
ओसी43 व 229ई : इनसे संक्रमित व्यक्ति सामान्य सर्दी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. ओसी43 संक्रमण में पेट या आंत में जलन की शिकायत भी होती है.
एनएल63 : इस कोरोना वायरस से संक्रमितों में सांस संबंधी गंभीर लक्षण दिख सकते हैं जैसे सांस संबंधी अपर ट्रैक्ट संक्रमण और निमोनिया.
सार्स : इस कोरोना वायरस के मामूली मामलों में कफ, सांस की न्यूनता और डायरिसा जैसे लक्षण दिखते हैं. गंभीर मामलों में सांस लेने में परेशानी की शिकायत के कारण मरीज़ को आईसीयू में भर्ती करना पड़ सकता है.
मर्स : बुखार, कफ और सांस की न्यूनता जैसे लक्षण इस कोरोना वायरस संक्रमित में दिखते हैं.
कोविड 19 : महामारी बन चुके इस कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में थकान, सूखा कफ और बुखार जैसे सामान्य लक्षणों के साथ ही कुछ मामलों में दर्द, नाक में जमाव या बहती नाक, गले में दर्द और डायरिया की शिकायत भी देखी जा रही है.

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