कोरोना वायरस: संक्रमण रोकने के लिए सरकार उठा सकती है कुछ जरूरी कदम
संक्रमण फैलने से बचने के लिए जरूरी है कि कोरोना वायरस की जांच (coronavirus testing) और इलाज (treatment) सबके लिए मुफ्त हो और उपलब्धता हर जगह हो.
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित लोगों की संख्या एक हजार के करीब जा पहुंची है, वहीं दुनियाभर में साढ़े 6 लाख से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. ऐसे में मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ को खुद को भी संक्रमण से बचाए रखना जरूरी है. माना जा रहा है कि मामले बढ़ते गए तो खुद इनके पास ही मास्क, ग्लव्स और बॉडी सूट जैसी जरूरी चीजों की कमी हो सकती है. इन हालातों में मेडिकल स्टाफ तक संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सरकार को ये 10 अहम कदम उठाने की जरूरत है. ये आर्टिकल एनडीटीवी की एक रिपोर्ट पर आधारित है.
- सबसे पहले तो ये मानने की जरूरत है कि देश ने इससे बड़ा संकट शायद ही कभी देखा हो. ये समझ लेने के बाद हम वास्तविक स्थिति को आसानी से देख और समझ सकेंगे. इस मुश्किल से निपटने के लिए तुरंत 2 लाख करोड़ रुपये अलग रखे जाने चाहिए. इसके बाद भी ज्यादा फंड की व्यवस्था की तैयारी हो. आज से कुछ महीने पहले ही सरकार ने कॉर्पोरेट्स को टैक्स में एक बड़ी छूट दी थी, जो 1.4 लाख करोड़ रुपए के लगभग थी.कोरोना वायरस की जांच और इलाज सबके लिए मुफ्त हो और इसकी उपलब्धता हर जगह हो.
किसी को भी परीक्षण के लिए अस्पतालों में नहीं आना चाहिए क्योंकि संक्रमण की आशंका और बढ़ जाती है
रेस्ट्रिक्टेड टेस्टिंग के तरीके को छोड़कर अब भारत को भी जांच पर पूरा जोर लगाना होगा ताकि संकट कितना ज्यादा है, ये पता लग सके. जैसा तरीका दक्षिण कोरिया ने अपनाया था. हम उस दुश्मन से लड़ाई नहीं कर सकते, जिसे हम देख नहीं सकते हैं. निजी सेक्टरों को भी जांच की छूट मिलनी चाहिए. वे टेस्ट किट जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आजमाई जा चुकी हैं, उनका इस्तेमाल हो. यूएसए और यूरोप में जो टेस्ट किट आजमाई जा चुकी हैं, उन्हें यहां पर भी अप्रूव कराने में वक्त खर्च नहीं करना चाहिए.
- कोरोनवायरस के मरीजों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों को तुरंत अनुमति दें.परीक्षण के लिए नमूने (नाक और गले से सैंपल लेना) घर-घर जाकर लेने चाहिए. किसी को भी परीक्षण के लिए अस्पतालों में नहीं आना चाहिए क्योंकि संक्रमण की संभावना और भी बढ़ जाती है.
- इस इमरजेंसी के तय की गई राशि का इस्तमाल कई कामों में हो सकता है. जैसे अगले दो महीने के लिए कमजोर आर्थिक हालात वाले लोगों को 5000 रुपए दिए जाएं. निजी जांच लैबों को जांच के लिए और निजी अस्पतालों को कोरोना के मरीजों के इलाज में जो भी खर्च होता है, उसकी भरपाई हो. इसके लिए सरकार को आयुष्मान भारत इंश्योरेंस स्कीम का इस्तेमाल करना चाहिए.
मुमकिन है कि मेडिकल स्टाफ के पास ही अपने बचाव के लिए मास्क, ग्लव्स जैसी चीजें कम पड़ जाएं
- ऐसा बहुत मुमकिन है कि मेडिकल स्टाफ के पास ही अपने बचाव के लिए मास्क, ग्लव्स जैसी चीजें कम पड़ जाएं. ऐसे सामानों का तुरंत आयात हो. साथ ही ऐसी फार्मा कंपनियों या संस्थाओं को फंड किया जा सकता है, जो ये सामान बना रही हैं.खाद्यान्न के भंडार का इस्तेमाल हो और अगले दो महीनों के लिए मुफ्त अनाज का वितरण होना चाहिए.
- लॉकडाउन के दौरान कई बिजनेस बंद होंगे. कई उद्योगों को बहुत ज्यादा नुकसान होगा. लाखों लोगों की नौकरियां चली जाएंगी. सरकार को इन हालातों में उद्योगों को बचाने के लिए एक खास पैकेज की घोषणा की जरूरत है. ये देखने की जरूरत है कि क्या भारत स्टेज 3 में जा चुका है. इसके लिए Indian Council of Medical Research से जांच में मदद ली जा सकती है. इसके साथ ही फिलहाल हफ्तेभर के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन किया जा सकता है. सबसे अहम ये है कि इसके लिए भारतीय सेना की मदद ली जा सकती है.
- भारत में जबकि स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से ही चरमराई हुई हैं, ऐसे में कोरोना संक्रमण के तहत जल्द से जल्द इस तरह से कई कदम उठाने की जरूरत है. Organisation for Economic Co-operation and Development के एक आंकड़े से से भारत में हेल्थ सिस्टम की झलक मिलती है. इसके अनुसार यहां के अस्पतालों में हर 1000 व्यक्ति 0.5 बिस्तर है. चूंकि इस आपात स्थिति में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ अपनी जान जोखिम में डालकर इलाज कर रहे हैं, लिहाजा उन्हें मास्क, ग्लव्स और बॉडी सूट जैसी एकदम जरूरी चीजें तुरंत मुहैया कराई जानी चाहिए.