चीन जैविक युद्ध से बचने के लिए बना रहा है 60 लाख लोगों के रहने वाला खुफिया शहर?
चीन में युद्ध से बचाव के लिए एक अंडरग्राउंड शहर (underground city in China) बना हुआ है. इसमें करीब 60 लाख लोग आराम से रह सकते हैं. अब चीन एक और शहर बनाने में जुट गया है, जो बीमारियों और जैविक युद्ध से सुरक्षित रखे.
कोरोना के मामले में लापरवाही के आरोपों के बीच चीन अपने यहां एक नए तरह का शहर बसा रहा है. इंटरनेशनल मीडिया में आई खबरों के मुताबिक शहर ऐसे डिजाइन किया जा रहा है कि हर तरह की महामारी से सुरक्षित रहे. डेली मेल के अनुसार ये शहर बीजिंग क्सिओंग न्यू एरिया में तैयार हो रहा है. वैसे गुप्त तरीके से शहर बनाने का चीन का ये तरीका नया नहीं, इससे पहले भी बीजिंग में एक अंडरग्राउंड शहर बन चुका है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किसी भी देश के हमले से बचने के लिए चीन ने ये शहर बसाया था. जानिए, चीन के इस सीक्रेट शहर के बारे में.
चीन की कालकोठरी
बीजिंग के ठीक नीचे बसे शहर दिक्सिया चेंग (Dìxià Chéng) में सुरंगों के भीतर लाखों की आबादी अमानवीय हालातों में रहती है. हालांकि इनकी बातें शायद ही कभी दुनिया के सामने आती हों. चीन के इस शहर के हालात का मतलब उसके नाम से ही लगा सकते हैं. दिक्सिया चेंग (Dìxià Chéng) का चीनी अर्थ है कालकोठरी या अंधेरा तहखाना. इसे अंडरग्राउंड ग्रेट वॉल भी कहते हैं.
शहर दिक्सिया चेंग (Dìxià Chéng) में सुरंगों के भीतर लाखों की आबादी अमानवीय हालातों में रहती है- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
केवल अनुमान ही लगाया जाता है
अब तक ये पता नहीं चल सका है कि जमीन के नीचे बसे शहर में कितने घर हैं या कितनी सुरंगें बनी हुई हैं. जमीन के नीचे ही से ये बीजिंग की सारी सरकारी और जरूरी इमारतों से जुड़ता है. अनुमान है कि किसी समय यहां पर जमीन से बाहर निकलते के लिए 900 से ज्यादा प्रवेश और एग्जिट द्वार रहे होंगे.
रूस से डरे हुए चीनी नेता की अपील
साल 1969 से पूरे 10 सालों तक इसे बनाने का काम चलता रहा. जमीन के भीतर शहर बसाने का एक खास मकसद था. तब चीन और रूस के बीच संबंध खासे खराब थे और कोल्ड वॉर के बीच चीन को डर था कि रूस उसपर परमाणु हमला कर सकता है. चीन के इस डर को चीन-रूस के बीच कई महीनों तक लगातार चली सैन्य मुठभेड़ से भी बल मिला. चीन को यकीन था कि लड़ाई किसी भी वक्त शुरू हो सकती है. ऐसे में चीन के कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग (माओ जेडोंग) ने अपने नागरिकों से जमीन खोदने की अपील की.
चीन के नेता माओत्से तुंग (माओ जेडोंग) ने अंडरग्राउंड शहर बनाने की अपील की थी
कुछ ऐसा था स्ट्रक्चर
उनका संदेश था- “Shenwadong, chengjiliang, buchengba”. यानी गहरी सुरंगें खोदो, खाना जमा करो और लड़ाई के लिए तैयार हो जाओ. माओ का चीन की जनता पर गहरा असर था. अपील पर 3 लाख से ज्यादा लोग हाथों से ही जमीन खोदने में जुट गए. बीजिंग के ठीक नीचे इस शहर को बनाने में मिलिट्री के इंजीनियरों ने भी मदद की. परमाणु बम गिरे तो लोग बच सकें, इसके लिए जमीन के काफी नीचे 10 हजार एटॉमिक बंकर तैयार किए गए. रेस्त्रां बने ताकि काफी दिनों तक भीतर रहना पड़े तो लोग ऊबे न. यहां फैक्ट्री, थिएटर, गोदाम, मशरूम फार्म्स और खेल के मैदान भी थे.
जमीन के नीचे वे सारे स्ट्रक्चर बनाए गए, जिनके बारे में सोचा जा सका कि परमाणु युद्ध छिड़ा तो जीने के लिए जरूरी होंगे. सत्तर के दशक में चीन की सरकार ने कहा था कि ये जगह इतनी बड़ी और इस तरह से डिजाइन की गई है कि इसमें पूरे बीजिंग की आबादी समा जाएगी. तब बीजिंग की आबादी लगभग 60 लाख थी.
बाद में क्या हुआ शहर का
परमाणु युद्ध नहीं छिड़ा और इस शहर के नीचे रहने की जरूरत भी नहीं आई. इसके कई हिस्सों को दफ्तरों के काम में दे दिया गया. हालांकि वक्त के साथ गरीब आबादी जमीन के नीचे बसने लगी. ये वो आबादी थी, जो गांव से शहर काम की तलाश में आ रही थी. बीजिंग में पहले से ही घनी आबादी थी इसलिए लोगों को जमीन के नीचे बसाया जाने लगा. चीन की एक जनजाति रैट ट्राइब यहां तभी से रह रही है, जब से ये तैयार हुआ है. बाकी लोग सस्ता होने की वजह से यहां बसते हैं और जब भी पैसे आएं और जमीन से बाहर बसने का मौका मिले, इस शहर को छोड़ देते हैं.
जमीन के नीचे बसे इस शहर के हालात काफी खराब हैं. बंकरों के भीतर छोटे-छोटे घर बने हुए हैं और आमतौर पर भीतर रहने वाले तभी बाहर आते हैं, जब उन्हें कोई काम करना हो. साल 2010 में खुद बीजिंग के स्थानीय प्रशासन ने किसी बीमारी के डर से लोगों से नीचे रहना बंद करने के लिए कहा लेकिन तब भी कोई जगह न होने के कारण लोग यहां से बाहर नहीं जा सके.
नया शहर किस तरह का है
अब जानते हैं, महामारी से बचाव के लिए बनाए जा रहे शहर के बारे में. बींजिंग के ही एक हिस्से में बनाए जा रहे इस शहर का निर्माण अप्रैल में ही शुरू बताया जा रहा है. जब यूरोपियन देशों में कोरोना संक्रमण से मौतें हो रही थीं, उसी दौरान स्पेन के बार्सिलोना के एक वास्तुविद को इसका ठेका मिला. लगभग 772 स्क्वायर माइल्स में बना ये शहर फिलहाल लोगों के बीच चर्चा का विषय है. हालांकि चीन ने अब तक आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई बात नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि शहर में लाखों की आबादी आराम से रह सकेगी और पूरी तरह से सेफ रहेगी. शहर पर हरदम ड्रोन से नजर रखी जाएगी ताकि किसी खतरे का तुरंत अंदाजा हो जाए.