Coronavirus: बड़ी कामयाबी, ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने खोज निकाली एंटीबॉडी

इंग्लैंड के वैज्ञानिकों (scientists of England) ने हाल ही में कोरोना वायरस से जंग (fight against coronavirus) में बड़ी कामयाबी पाई है. माना जा रहा है कि ये वायरस के खात्मे में कारगर साबित हो सकती है.

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क्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के Oxfordshire शहर में एक स्वयंसेवी संस्था के वैज्ञानिकों की एक खोज को कोरोना वायरस के इलाज की दिशा में एक अहम कदम की तरह देखा जा रहा है. वैज्ञानिकों की टीम ने Severe Acute Respiratory Syndrome (SARS) के एक मरीज के शरीर में ऐसी एंडीबॉडी की खोज की, जो इससे मिलती-जुलती बीमारी कोरोना के वायरस से लड़ने में भी प्रभावी हो सकती है. दोनों ही वायरल से होने वाली श्वसन तंत्र की बीमारियां हैं जो सीधे फेफड़े पर असर करती हैं.

मरीज को साल 2004 में सार्स हुआ था, जब दुनिया के कई देशों में सार्स फैल रहा था. हाल ही में खोज में जुटी वैज्ञानिकों की टीम ने उस पूर्व मरीज से संपर्क किया और उसकी जांच की. इस दौरान टीम ने Diamond Light Source उपकरण की मदद से उसके खून का परीक्षण किया. ये उपकरण एक बहुत ही शक्तिशाली मशीन है जो जांच के दौरान इलेक्ट्रॉन का इस्तेमाल करते हुए रोशनी देता है ताकि वैज्ञानिक शरीर का सूक्ष्म निरीक्षण कर सकें. जांच के दौरान सार्स के पूर्व मरीज के शरीर में एक खास किस्म की एंटीबॉडी दिखाई दी, जो वायरस से आसानी से लड़ सकती हैं.

जांच के दौरान सार्स के पूर्व मरीज के शरीर में एक खास किस्म की एंटीबॉडी दिखाई दी

खोज कर रही संस्था के लाइफ साइंस डायरेक्टर Professor Gwyndaf Evans कहते हैं कि एंटीबॉडी कोरोना वायरस से इस तरह से जुड़ गईं जैसे वे सार्स के मामले में काम करती थीं. The Telegraph में छपी एक खबर के अनुसार कोरोना वायरस गोल आकार का वायरस है जिसके शरीर के चारों ओर कांटेदार संरचना होती है. इसी कांटेदार या नुकीली संरचना की वजह से इसे कोरोना नाम दिया गया. लैटिन भाषा में इसका अर्थ है मुकुट. जांच के दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने वायरस के स्पाइक्स यानी नुकीली संरचना को निकालकर उसे उस पूर्व मरीज की एंटीबॉडी के साथ जोड़ा. दोनों के आपस में अच्छी तरह से जुड़ने के कारण वैज्ञानिक ये उम्मीद कर रहे हैं कि कोरोना वायरस की वैक्सीन या एंटीबॉडी तैयार करने की दिशा में ये एक जरूरी खोज हो सकती है.

हालांकि वैक्सीन की खोज के बीच हाल ही में Oxford University के वैज्ञानिकों ने वायरस की जांच के लिए रैपिड टेस्टिंग तकनीक (rapid testing technology ) की खोज की है. उनका दावा है कि ये टेस्ट सिर्फ 30 मिनट में बता देगा आप कोरोना वायरस से संक्रमित हैं या नहीं. कोरोना पॉजिटिव कन्फर्म करने का जो तरीका फिलहाल चल रहा है, उसमें एक रिजल्ट के लिए लगभग 2 घंटे का समय लगता है.

सार्स वर्ष 2003 के दौरान चीन से फैला था और 17 देशों में फैल गया था. श्वसन तंत्र की इस बीमारी के कारण लगभग 8 सौ जानें गई थीं. उसकी वजह से करीब 1500 से 2000 लोगों की जान गई थी. ये बीमारी भी चीन से फैली थी. माना गया था कि वहां ये वायरस किसी जानवर या बर्ड के कारण मनुष्यों में पहुंचा और फिर हवा के जरिए फैलने लगा.

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