केरल में अब क्यों नहीं हैं कोरोना के नए मरीज? केरल की कामयाबी की 5 रणनीतियां

कोविड 19 जैसी किसी महामारी के आने के बाद उसका सामना मुस्तैदी से करने में मुश्किल होती है, अगर तैयारी नहीं रही हो. सालों से केरल ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज़्यादा निवेश किया है, इसलिए समझने की बात है कि महामारी से निपटने के लिए राज्य की लंबी तैयारी रही है.

0 1,000,094

भारत (India) में कम्युनिस्ट पार्टी के मज़बूत गढ़ के रूप में चर्चित केरल (Kerala) में हाल में कोई भी नया केस नहीं मिला है और अब सबसे अच्छी रिकवरी रेट (Recovery Rate) वाले राज्य में एक्टिव केस अब सिर्फ 102 रह गए हैं. राज्य ने कैसे कोरोना वायरस (Corona Virus) पर काबू पाया, यह देश में ही नहीं दुनिया में मिसाल बन गया है. आइए 5 प्वाइंट्स में जानें केरल ने यह कारनामा कैसे किया.

देश से पहले लॉकडाउन
केंद्र सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन (Lcokdown) घोषित करने से एक दिन पहले 25 मार्च से ही केरल ने राज्य में लॉकडाउन कर दिया था. आइसोलेशन (Isolation) और क्वारैण्टीन जैसे कदम आक्रामक ढंग से उठाए गए. इसके बाद पॉज़िटिव केसों (Positive Case) के संपर्कों की सघन तलाशी, विदेशों से आए लोगों के रूट मैप बनाना और बड़ी संख्या में टेस्ट (Testing) करने के अलावा, राज्य के सभी ज़िलों में कोविड 19 (Covid 19) केयर सेंटर बनाए गए.

समय से तेज़ ट्रेसिंग और टेस्टिंग

करीब पांच हफ्ते पहले तक केरल उन राज्यों में शुमार था, जहां कोविड 19 के सबसे ज़्यादा मामले दिख रहे थे, लेकिन उसी समय राज्य ने मामलों को ट्रेस करने और टेस्टिंग पर ज़ोर देकर संक्रमण के मामलों और मौतों की दर को कम रखने में कामयाबी हासिल की. प्रति दस लाख व्यक्तियों पर राज्य में 400 टेस्ट का आंकड़ा सामने आया, जो देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत ज़्यादा रहा.

वृद्धों का विशेष ध्यान
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने राज्य में विशेष आवश्यकताओं वाले लोगों और वृद्धों के सहयोग पर विशेष ध्यान दिया. काउंसलरों ने 3 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा फोन कॉल्स किए और ऐसे लोगों को तनाव और संक्रमण से बचने के बारे में समझाया. कई ग्रामीण इलाकों तक स्थानीय हेल्पलाइनों और वॉट्सएप समूहों के ज़रिये लोगों से जुड़ाव बनाकर रखा गया. नतीजा यह रहा कि राज्य में पाए गए कुल मरीज़ों में से 90 फीसदी की उम्र 60 साल से कम दिखी.

समाजवादी ढांचा मददगार
केरल ने जिस तरह महामारी से जंग लड़ी, वह दुनिया के लिए मिसाल बन गई है. दिल्ली स्थित स्वास्थ्य संबंधी थिंक टैंक के प्रमुख ओमेन सी कुरियन ने लिखा है कि केरल के मज़बूत स्वास्थ्य सुरक्षा सिस्टम को श्रेय दिया जाना चाहिए. साथ ही, लोकतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था को भी.

यह भी समाजवादी ढांचे का ही उदाहरण था कि कम्युनिटी किचन यानी सामुदायिक रसोई राज्य भर में चली. उदाहरण के तौर पर कासरगोड के चेंगला गांव में इस व्यवस्था से 1200 से ज़्यादा लोगों को रोज़ मुफ़्त भोजन कराया गया. पूरे राज्य में एक लाख से ज़्यादा लोगों को निजी घरों या विशेष स्थानों पर आइसोलेशन में रखा गया. यह भी सुनिश्चित किया गया कि ग्रामीणों को दवाएं और इलाज बराबर मिलें.

अतीत से सबक
केरल ने कोविड 19 से लड़ने के उपाय जनवरी में ही शुरू कर दिए थे जबकि देश ने मार्च तक का इंतज़ार किया. अस्ल में साल 2018 में राज्य ने निपाह वायरस का प्रकोप देखा था इसलिए वायरस के खिलाफ जंग छेड़ते हुए केरल ने बहुत पहले ही अतीत से सबक लिया और अपने अस्पतालों को तैयार किया और कॉंटैक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन व टेस्ट रणनीति संबंधी असरदार निर्देश जारी किए.

Leave A Reply

Your email address will not be published.