काबुल. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul Attack) के पुराने शहर के बीचोंबीच स्थित गुरुद्वारे में घुसकर बुधवार को एक बंदूकधारी ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गई. एक सिख सांसद ने यह जानकारी दी. गौरतलब है कि सिख समुदाय यहां अल्पसंख्यक है. अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंच चुकी है, लेकिन गोलीबारी अभी जारी है.
सांसद नरिंदर सिंह खालसा ने कहा कि गुरुद्वारे के भीतर मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें फोन किया और हमले के बारे में बताया. खालसा ने कहा कि जब हमला हुआ तब वह गुरुद्वारे के नजदीक ही थे और वह भागकर वहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि हमले के वक्त गुरुद्वारे के भीतर करीब 150 लोग थे जिसमें चार लोगों की मौत हुई है. हमले की जिम्मेदारी अभी किसी ने नहीं ली है.
खालसा ने कहा कि पुलिस हमलावरों को वहां से बाहर निकालने का प्रयास कर रही है. हमले की जिम्मेदारी अभी किसी ने नहीं ली है. लेकिन तालिबान के प्रवक्ता जुबिहुल्ला मुजाहिद ने ट्वीट कर कहा कि हमले में तालिबान का हाथ नहीं है.
हालांकि इस महीने की शुरुआत में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध एक संगठन ने काबुल में अल्पसंख्यक शिया मुस्लिमों के एक धार्मिक समागम पर हमला किया था जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई थी. इस रुढ़िवादी मुस्लिम बहुल देश में सिखों को बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है, इस्लामी कट्टरपंथी उन्हें निशाना बनाकर हमले करते रहे हैं.
हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में यहां के सिखों और हिंदुओं ने भारत में शरण ली है. जुलाई 2018 में इस्लामिक स्टेट के आत्मघाती हमलावर ने हिंदुओं और सिखों के काफिले को निशाना बनाकर हमला किया था जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई थी.
अफगान मीडिया के मुताबिक, अफगान सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारे की पहली मंजिल को खाली करा लिया है। फिलहाल सुरक्षा बलों के साथ आतंकियों की मुठभेड़ जारी है इस बीच सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारे में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। सांसद नरिंदर सिंह खालसा ने कहा कि जब हमला हुआ तब वह गुरुद्वारे के नजदीक ही थे और वह भागकर वहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमले में कम से कम चार लोगों की मौत हुई है। हमले की जिम्मेदारी अभी किसी ने नहीं ली है। हालांकि इस महीने की शुरुआत में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध एक संगठन ने काबुल में अल्पसंख्यक शिया मुस्लिमों के एक धार्मिक समागम पर हमला किया था जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई थी। इस रुढ़िवादी मुस्लिम बहुल देश में सिखों को बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।