नई दिल्ली: कोरोनावायरस (Coronavirus) वैसे तो दुनियाभर के लिए जान का दुश्मन बना हुआ है. लेकिन झारखंड (Jharkhand) में इसने अलग तरह की मुश्किल खड़ी कर दी है. राज्य में मजदूरों की बड़ी संख्या है, जो रोज कमाने-खाने वाले हैं. लॉकडाउन (Lockdown) के कारण इनका रोजगार छिन गया है, जिससे इनके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है.
गढ़वा जिले की चंद्रवती ईंटभट्ठे में मजदूरी करती थीं, जो अब बंद हैं. वे कहती हैं, ‘हमने घर में रखा सारा राशन इस्तेमाल कर लिया है, ताकि बच्चों का पेट भर सकें. मैंने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है. लेकिन इस लॉकडाउन के समय मैं भीख मांगने भी तो नहीं जा सकती.’ कोड़कोमा गांव की चंद्रवती बताती हैं कि उनके परिवार में तीन लोगों के नाम राशनकार्ड हैं. इसके बावजूद उन्हें अनाज नहीं मिला है.
कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद से झारखंड में तीन ऐसे लोगों की जान जा चुकी है, जिनके परिजनों का कहना है यह मौत भूख के कारण हुई है. हालांकि, राज्य और जिला प्रशासन इन आरोपों को खारिज करते हैं. न्यूज-18 इन तीनों ही परिवारों के पास पहुंचा और हालात जानने की कोशिश की.
चंद्रवती के गांव से 45 किलोमीटर दूर भंडारिया गांव में 65 साल की सोमरिया देवी की मौत हो गई. वह अपने 72 साल के पति के साथ रहती थी. उनके बच्चे नहीं हैं. सोमरिया देवी के परिवार के पास आय का कोई स्रोत नहीं था. यह परिवार किसी सरकारी योजना के तहत रजिस्टर्ड भी नहीं है. नजदीक रहने वाला भतीजा हफ्ते में एक बार आकर परिवार को जरूरी चीजें दे जाता था. लॉकडाउन होने से सोमरिया का परिवार अकेला पड़ गया. नौ दिन बाद उसकी मौत हो गई. सोमरिया के पति लच्छू लोहरा कहते हैं कि उसकी मौत भूख से हुई है. सोमरिया का भतीजा विनोद मिस्त्री कहते हैं कि मौत के एक दिन बाद तीन अप्रैल को सरकारी अधिकारी घर आए. वे 6 अप्रैल को फिर घर आए और 10 किलो अनाज और 6 हजार रुपए दिए.
बोकारो के गोमियो ब्लॉक में 17 साल की दिव्यांग की मौत हो गई. उसके पिता जीतन मरांडी ने कहा कि मौत भूख के कारण हुई है. हालांकि, बाद में उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने भूख से मरने की बात जल्दबाजी में कह दी थी.
रामगढ़ जिले के संग्रामपुर में भी 72 साल के उपासी देवी की मौत हो गई. उसके बेटे जोगन नायक ने भूख से मौत होने की बात कही. उन्होंने कहा कि करीब एक महीने से उनका काम बंद है. कमाई भी बंद है. हालांकि, बीडीओ कुलदीप कुमार और विधायक ममता देवी ने भूख से मौत की बात को नकार दिया.
हेमंत सोरेन सरकार कह रही है कि राज्य में भुखमरी से कोई मौत नहीं हुई है. दूसरी ओर, राइट टू फूड कैंपेन से जुड़ी संस्था का सर्वे कुछ और कहता है. यह सर्वे 19 जिलों के 50 ब्लॉक में किया गया. इनमें से 15 के बारे में कहा गया है कि यहां या तो राशन की कमी है या भुखमरी की स्थिति भी बन सकती है.