जम्मू-कश्मीर / अगले महीने सलाहकार समिति बनाने की चर्चा, इसके चीफ के तौर पर नई पार्टी बनाने वाले पूर्व पीडीपी मंत्री अल्ताफ बुखारी का नाम आगे

बुखारी दो महीने से दिल्ली में, अमित शाह से भी मिले; सोमवार को उमर अब्दुल्ला भी दिल्ली पहुंचे- सूत्र केंद्र की कोशिश जम्मू-कश्मीर में रुकी हुई राजनीतिक गतिविधियों को रफ्तार देना, विश्वनीयता स्थापित करना- सूत्र

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श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर में अगले महीने एक सलाहकार समिति के गठन की चर्चा तेज है। चर्चाओं के मुताबिक, राज्यपाल जीसी मुर्मु की इस सलाहकार समिति में सदस्य वो राजनीतिक लोग होंगे, जिन्होंने पहले चुनाव जीता है। इस समिति का रोल प्रशासन और व्यवस्थाओं को संभालने का रहेगा। बताया जा रहा है कि पूर्व पीडीपी मंत्री अल्ताफ बुखारी की नई राजनीतिक पार्टी से समिति के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा। अल्ताफ ने हाल ही में अपनी पार्टी नाम से पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च की है।

समिति के गठन में दो से तीन महीनों का वक्त लगना तय- सूत्र
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से नई दिल्ली पर राज्य में राजनीतिक गतिविधियां स्थिर करने का आरोप लग रहा है। जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं को हिरासत में लिए जाने और ऐसे ही दूसरे एकतरफा फैसलों को लेकर भी केंद्र विपक्ष के निशाने पर है। ऐसे में इस समिति का गठन के जरिए यह संदेश देने की कोशिश है कि राज्य का प्रशासन ऐसे लोग संभालेंगे, जिन्हें पहले चुनावों में जनता ने चुना है। यह समिति विश्वसनीयता वापस लाने और रुकी हुई राजनीतिक गतिविधियों को भी रफ्तार देने का काम करेगी। सूत्रों के मुताबिक, समिति के गठन के लिए लगातार बातचीत जारी है, लेकिन इसके गठन में अभी भी दो से तीन महीनों का वक्त लगना तय है।

अल्ताफ बुखारी के रोल पर सवाल

पता चला है कि लॉकडाउन लगने के बाद से ही यानी करीब दो महीनों से अल्ताफ बुखारी दिल्ली में ही जमे हुए हैं। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि बुखारी कई बार गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं। इस दौरान जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपनी पार्टी के रोल और यहां जारी राजनीतिक गतिरोध को लेकर चर्चा हुई।

लेकिन, इस हलचल में एक और घटना शामिल है, जिस पर विश्लेषकों की नजर पड़ी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अचानक सोमवार को श्रीनगर से दिल्ली पहुंचे। विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र बुखारी और अन्य राजनेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहा है ताकि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के भविष्य में किसी राजनीतिक समझौते से रोका जा सके।

दिल्ली से गठजोड़ और विधानसभा में तालमेल पार्टियों के लिए चुनौती
विश्लेषकों का मानना है कि अल्ताफ बुखारी और उनके साथियों के लिए विश्वसनीयता स्थापित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद अपनी पार्टी की लॉन्चिंग को कई लोगों ने नई दिल्ली के लिए वरदान की तरह माना है, लेकिन अगर इस पार्टी के सदस्य सलाहकार समिति में अपने रोल को स्वीकार करते हैं, तो इस पार्टी पर पूरी तरह से बीजेपी का ठप्पा लग जाएगा। हालांकि, इस राजनीतिक मंथन में यह तय है कि कश्मीरी पार्टियों के लिए दिल्ली से गठजोड़ और कश्मीर स्थित अपनी विधानसभाओं में तालमेल करना बेहद कठिन राह होगी।

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