जालंधर। जालंधर सिविल अस्पताल से नवजात बच्चा चुराने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार की गई दविंदरजीत कौर नामक महिला किराये की कोख दिलवाने और बच्चा पैदा न कर पाने वाली महिलाओं को एग डोनेट करवाने का काम करती थी। कोरोना काल में यह काम मंदा पड़ा तो उसने ईजी मनी के लिए बच्चा बेचने के धंधे को अपना लिया, लेकिन संयोग देखिए कि पहले ही केस में पुलिस के हत्थे चढ़ गई।
पुलिस रिकॉर्ड मुताबिक 20 अगस्त को जालंधर के सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड से एक नवजात शिशु गायब हो गया था। दोपहर 12.50 बजे ऑपरेशन थियेटर में बच्चे ने जन्म लिया। सवा एक बजे उसे वार्ड में बने केयर बॉक्स में जांच के लिए रखा गया और पौने दो बजे बच्चा गायब हो गया था। बाद में पुलिस ने बच्चा उठाने की मास्टर माइंड दविंदरजीत कौर, उसके साथ रणजीत, गुरप्रीत सिंह गोपी पंच, गुरप्रीत सिंह पीता, सिविल अस्पताल की दर्जा चार कर्मचारी किरण और लुधियाना की मार्केटिंग कंपनी की सर्वेयर रेखा को गिरफ्तार किया था।
जांच में सामने आया कि किराये की कोख दिलवाने और एग डोनेट करवाने का काम करने वाली खुर्शीदपुरा की दविंदरजीत कौर की मुलाकात लुधियाना के जालंधर रोड पर रहने वाली दिल्ली की आईपीएसओसी रिसर्च कंपनी 50 वर्षीय मार्केटिंग सर्वेयर रेखा से हुई। रेखा की एक जानकार मंजू दविंदरजीत कौर के साथ जुड़ी हुई थी। उसी ने दविंदरजीत कौर और रेखा की भेंट करवाई। दविंदरजीत कौर के धंधे के बारे में जानने के बाद रेखा ने उसे कहा कि कई एनआरआई और बड़े-बड़े लोग उसके जानकार हैं, जिन्हें संतान नहीं है। वो बच्चा चाहते हैं। उसने बताया कि एक एनआरआई परिवार को बच्चा देने पर चार लाख रुपए मिल सकते हैं। सरोगेसी का काम मंदा होने के चलते दविंदर को यह रास्ता बेहतर लगा।
बच्चा चोरी होने की घटना के बाद पुलिस ने अस्पताल की सफाई कर्मचारी किरण की कॉल डिटेल के आधार पर दोनों के मोबाइल नंबर और घर के पते लिए। इसके बाद दोनों को पूछताछ के लिए जालंधर ले आए। पूछताछ में रेखा ने बताया कि दविंदरजीत कौर ने खुद के संपर्क में बच्चा बेचने के इच्छुक लोगों के होने का दावा किया था। एक बच्चा मांगने पर उसने कहा कि था कि एक चाहिए या चार, मिल जाएंगे। उसने अपनी कई जानकार नर्सों से बात की। इन्हीं में जालंधर सिविल अस्पताल की दर्जा चार कर्मचारी किरण भी शामिल थी।
सिविल अस्पताल में खुशबू ने बच्चे को जन्म दिया तो किरण ने दविंदरजीत कौर को बताया। दविंदरजीत कौर ने बच्चा उठवाया और अपने घर पर रख लिया। इससे पहले कि बच्चा रेखा तक पहुंचता, पुलिस उन तक पहुंच गई। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया तो वहां से रेखा, दविंदरजीत कौर और इनके सारे साथियों को जेल भेजने के आदेश दे दिए गए हैं। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी हुई है कि यह एनआरआई और बड़े लोग कौन हैं और बच्चा किस तरह से लेना चाहते थे।
आधार कार्ड की पड़ताल में पता चला-बच्चा चोरी का है
रेखा ने बताया कि दविंदरजीत कौर ने रेखा को अपनी रिश्तेदारी में बच्चा पैदा होने की बात कही थी। रेखा ने अभी किसी से बात नहीं कर पाने की बात कही, लेकिन दविंदरजीत कौर बच्चे को ले जाने की जिद पर अड़ी रही तो रेखा ने पहले बच्चे के बारे में पता लगाने को कहा। 21 अगस्त को रेखा ने अपनी साथी नेहा और उसके पति को दविंदरजीत कौर के घर भेज दिया। वहां एक बार तो दविंदरजीत कौर ने अपना आधार कार्ड दिखा दिया, लेकिन बच्चे के पिता का आधार कार्ड दोबारा मांगे जाने पर टाल-मटोल करने लगी। बाद में सच्चाई बता दी कि बच्चा चुराया गया है नेहा और उसका पति वहां से भाग आए। उसी रात पुलिस दविंदरजीत के घर पहुंच गई।
अब एक नई टेंशन कोरोना चेन की बनी
रेखा को जब पूछताछ के लिए लाया गया तो उसका कोरोना टेस्ट करवाया गया। उसका टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे लाने वाले और पूछताछ करने वाले पुलिस वाले सकते में आ गए हैं। उसे लुधियाना से दो लेडीज और दो जेंट्स मुलाजिम लेकर आए थे। वहीं कई पुलिस अफसरों ने उससे पूछताछ भी की थी। फिलहाल अधिकारियों ने अब उसे लाने वाले पुलिस मुलाजिमों का भी टेस्ट करवाया है।