मप्र में सियासी हलचल / बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीएम मोदी और अमित शाह का धन्यवाद किया

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. जिसके बाद से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीजेपी पूरी प्लानिंग और तैयारी के साथ हर कदम उठा रही है. मंगलवार को सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उन्हें समर्थन दे रहे 22 विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी थी कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले सिंधिया समर्थक 30 फीसदी (5-7 विधायकों) को दिया जा सकता है प्रदेश में मंत्री पद

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नई दिल्ली: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में हुए शामिल. फूल देकर नड्डा ने सिंधिया को पार्टी में किया शामिल. रविवार को सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से 18 साल बाद इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा का धन्यवाद. मेरे जीवन में दो तारीख अहम है. उन्होंने कहा कि राजनीति का मतलब सेवा करना है.कांग्रेस को जबरदस्त झटका देते हुए पार्टी के प्रमुख युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. सिंधिया के साथ ही उनके समर्थक पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफे से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. कांग्रेस छोड़ने वाले सिंधिया केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. ऐसी अटकले हैं कि सिंधिया को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है.

इस बीच कांग्रेस सरकार ने मंगलवार शाम को विधायक दल की बैठक में मौजूद अपने 92 विधायकों को एकजुट रखने के लिए किसी अज्ञात स्थान पर एक साथ रखने का निर्णय लिया है. इसके तहत कांग्रेस अपने विधायकों को जयपुर भेजेगी. प्रदेश कांग्रेस ने एक नेता ने कहा कि सरकार को समर्थन कर रहे हमारे 92 विधायकों एकसाथ रखा जाएगा. इस बीच कांग्रेस ने अपने विधायकों के साथ ही चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी दावा किया है.

मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ देर में भाजपा में शामिल होंगे। पार्टी जॉइन कराने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह मौजूद रहेंगे। इस बीच खबर यह भी है कि ग्वालियर-चंबल संभाग के लोग चाहते हैं कि सिंधिया भाजपा में शामिल न होकर अपनी अलग पार्टी बनाएं। ज्योतिरादित्य गुरुवार शाम 4 बजे भोपाल पहुंचेंगे। इसके बाद शुक्रवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं। शुक्रवार को ही मध्यप्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी दिन है।

सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। अब सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने की तैयारी है। इसकी घोषणा भी बुधवार को दिल्ली में होगी। सत्र के बाद सिंधिया को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। कमलनाथ सरकार के 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने सिंधिया के इस्तीफे की खबर लगते ही कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। सूत्र बता रहे हैं कि इस्तीफा देने वाले सिंधिया समर्थक विधायकों में से 5 से 7 को मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्री पद दिया जा सकता है।

राहुल का ट्वीट

सिंधिया के इस्तीफे के करीब 24 घंटे बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया- ‘‘जब आप (मोदी सरकार) कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने में व्यस्त हैं, तब यह देखने में चूक गए कि दुनिया में तेल की कीमतों में 35% की गिरावट आई है। क्या आप पेट्रोल की कीमतों को 60 रुपए प्रति लीटर कर देश के लोगों को राहत दे सकते हैं? इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।’’

भाजपा ने  विधायकों को भोपाल से बाहर भेजा 
प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम को लेकर भाजपा ने अपने 105 विधायकों को भोपाल से बाहर रवाना कर दिया। इनमें से 8-8 विधायकों का एक ग्रुप बनाया गया है। हर एक ग्रुप में एक विधायक को ग्रुप लीडर भी बनाया गया है। वह सभी विधायकों पर नजर रखेंगे। विधायकों को अलग-अलग बसों से दिल्ली, मानेसर और गुड़गांव के होटलों में भेजा गया। उधर, सिंधिया समर्थक विधायक भी बुधवार को बेंगलुरु से दिल्ली लाए जाएंगे। अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो ही विधायक भोपाल आएंगे, नहीं तो इन्हें राज्यसभा चुनाव (26 मार्च) के वक्त ही भोपाल बुलाया जाएगा। इधर, भोपाल से भाजपा विधायकों के साथ ही बड़े नेताओं का दिल्ली जाने का सिलसिला चल रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली रवाना हो गए हैं।

बेंगलुरु से इन विधायकों को दिल्ली लाया जाएगा 
बेंगलुरू में ठहराए गए सिंधिया समर्थक विधायकों को बुधवार को बेंगलुरु से दिल्ली भेजा जाएगा। इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, रक्षा सरोनिया, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिर्राज दंडोतिया, यशवंत जाटव, गोविंद सिंह राजपूत, हरदीप डंग, मुन्ना लाल गोयल, ब्रिजेंद्र यादव शामिल हैं।

विधानसभा चुनाव से राज्यसभा चुनाव तक सिंधिया की नाराजगी
सीएम पद की दौड़ में पिछड़े : विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने सिंधिया का प्रचार के मुख्य चेहरे के रूप में इस्तेमाल किया था, लेकिन सीएम पद की दौड़ में वे पिछड़ गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी उनका नाम आगे रहा, लेकिन पद नहीं मिला।

डिप्टी सीएम भी नहीं बन सके : अटकलें थीं कि ज्योतिरादित्य डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य को गुना लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी उनकी दावेदारी कमजोर हो गई।

पसंद का बंगला नकुल को मिला : सिंधिया ने चार इमली में बी-17 बंगला मांगा, लेकिन वह कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को दे दिया गया।

ट्विटर हैंडल से कांग्रेस का नाम हटाया : करीब 4 महीने पहले 25 नवंबर 2019 को ज्योतिरादित्य ने ट्विटर पर अपनी प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम हटा दिया। केवल जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी लिखा।

सड़क पर उतरने की चेतावनी दी : 14 फरवरी को टीकमगढ़ में अतिथि विद्वानों की मांगों पर ज्योतिरादित्य ने कहा कि यदि वचन पत्र की मांग पूरी नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरेंगे। इस पर कमलनाथ ने जवाब दिया कि ऐसा है तो उतर जाएं। इसी के बाद दोनों के बीच तल्खी बढ़ने लगी।

राज्यसभा चुनाव की वजह से बढ़ी दूरियां : मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस स्थिर थी, तब प्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों में से 2 पर उसके उम्मीदवार जीतना तय थे। दिग्विजय की उम्मीदवारी पक्की थी। दूसरा नाम ज्योतिरादित्य का सामने आया। बताया जा रहा है कि उनके नाम पर कमलनाथ अड़ंगे लगा रहे थे। इसी से ज्योतिरादित्य नाराज थे।

बगावत : 9 मार्च को जब प्रदेश के हालात पर चर्चा के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे थे, तभी 6 मंत्रियों समेत सिंधिया गुट के 17 विधायक बेंगलुरु चले गए थे। इससे साफ हो गया कि सिंधिया अपनी राहें अलग करने जा रहे हैं।

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