मजदूर ने कहा ट्रेन में खाना नहीं मिल रहा, नोडल ऑफिसर ने जवाब दिया- तो कूद जाओ ट्रेन से…

Lockdown: ट्रेन में सफर कर रहे प्रवासी मजदूर ने झारखंड के नोडल ऑफिसर आईएएस एपी सिंह से भोजन न मिलने की शिकायत की तो उन्होंने मदद करने के बजाय झिड़क दिया

रांची: Jharkhand Lockdown: पूरा देश कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन से परेशानियां झेल रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं वे मजदूर जो अपने राज्य से दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में गए हैं. इस संकट की घड़ी में हर मोर्चे पर, हर वर्ग कुछ न कुछ करने की कोशिश कर रहा है. सरकार और निजी प्रयास से लगातार दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर अपने राज्य वापस आ रहे हैं. झारखंड में अभी तक करीब तीन लाख प्रवासी मजदूर वापस आ चुके हैं. ट्रेन, बस, ट्रक, पैदल और न जाने किन-किन तरीकों से प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं. इन हालात में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इतना असंवेदनशील रुख अपनाया कि जिससे पूरे अधिकारियों को शर्मिंदा होना पड़ रहा है.

झारखंड सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए एक व्यवस्था बनाई गई है. इस व्यवस्था को हेड सीनियर आईएएस एपी सिंह कर रहे हैं. सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए उन्हें झारखंड का नोडल अधिकारी बनाया गया है. वे सीधे चीफ सेक्रेट्री को रिपोर्ट करते हैं.

प्रवासी मजदूरों के बीच लगभग हर नोडल अधिकारी का नंबर रहता है. मुसीबत पड़ने पर वे सीधे अधिकारियों या मीडिया वालों से बात करते हैं. लेकिन एक प्रवासी मजदूर की बेबसी पर एपी सिंह ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे पूरी ब्यूरोक्रेसी सकते में है.

परेशान हाल एक मजदूर ने  एपी सिंह को फोन किया. उन्हें अपनी परेशानी बतानी चाही. तो आईएएस अफसर ने क्या कहा आईए जानते हैं –

प्रवासी मजदूरः हैलो सर, हेलो…हेलो….
एपी सिंह :  हेलो…

प्रवासी मजदूरः हेलो सर नमस्कार…
एपी सिंह :  नमस्कार

प्रवासी मजदूरः ये फोन एपी सिंह सर के पास लगा है.
एपी सिंह:  कौन आप बोल रहे हैं.

प्रवासी मजदूरः हम लोग झारखंड के प्रवासी मजदूर बोल रहे हैं. स्पेशल ट्रेन से वापस आ रहे हैं सर… सुबह से खाना नहीं मिला है…भूख से परेशान हो गए हैं हम लोग.
एपी सिंह:  अच्छा…खाना रेलवे को देना है…रेलवे देगा खाना.

प्रवासी  मजदूरः कब देगा सर…सुबह में खाली एक पैकेट ब्रेड..एक केला और एक बोतल पानी दिया है…उसी में दिन भर काटना पड़ रहा है सर…कैसे क्या करें…
एपी सिंह: कूद जाइये वहां से…और क्या करिएगा…

प्रवासी मजदूरः कूद जाने से अच्छा रहेगा क्या…
एपी सिंह:  रास्ते में जो देना है वो हमको नहीं रेलवे को देना है…

फिर फोन कट गया…..

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