भारत की नजर में FATF की कार्रवाई से बचने का पैंतरा है हाफिज की सजा, 26/11 हमले में अब भी इंसाफ का इंतजार

अक्टूबर 2019 में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान की तरफ से उठाए कदमों पर नाखुशी जताते हुए उसे सख्त हिदायत के साथ 6 महीने की मोहलत दी गई थी. ऐसे में पाकिस्तान की कोशिश हाफिज सईद जैसे आतंकियों पर कार्रवाई दिखाकर कार्रवाई से बचने की होगी.

नई दिल्ली: लश्कर-ए-तैयबा सरगना और 26/11 समेत कई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाक की एंटी टेरर कोर्ट से मिली सजा को भारत फिलहाल अंतरराष्ट्रीय दबाव में लिया दिखावटी कदम से ज्यादा नहीं देख रहा है. इतना ही नहीं 2008 के मुंबई हमले और पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले जैसी घटनाओं में शामिल किसी आतंकी को अब तक सजा ना देकर पाक ने अपनी नीयत पर सवाल बढ़ाए ही हैं.

 

 

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की एक अदालत से आतंकी वित्तपोषण मामले में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद को सजा सुनाए जाने संबंधी मीडिया रिपोर्ट भारत ने भी देखी है. यह आतंकवाद को समर्थन के लिए काफी समय से लंबित पाक के अंतरराष्ट्रीय दायित्व का हिस्सा है.

 

 

सूत्रों के मुताबिक इस बात को नोट किया जाना चाहिए कि यह अदालती निर्णय 16 से 21 फरवरी को होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक से ठीक पहले आया है. लिहाजा, हाफिज सईद के खिलाफ आया फैसला कितना प्रभावी होता है यह अभी सामने आना है. साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या पाकिस्तान अन्य सभी आतंकवादी संस्थाओं और उसके नियंत्रण वाले इलाकों से सक्रिय आतंकियों के खिलाफ भी ऐसी कार्रवाई करेगा? इसके अलावा मुंबई और पठानकोट सहित सीमा पार आतंकवादी हमलों के अपराधियों को भी सजा दिलाएगा?

 

 

गौरतलब है कि अदालती निर्णय के बाद हाफिज सईद के वकील ने भी सजा को एफएटीएफ बैठक के दबाव में की गई कार्रवाई बताते हुए इसे चुनौती देने की बात कही. लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा जैसे प्रतिबंधित संगठनों के मुखिया हाफिज सईद को लहौर की विशेष अदालत ने दो मामलों में आर्थिक दंड समेत कुल 5 साल की सजा सुनाई है. हालांकि यह निर्णय पेरिस में इस हफ्ते शुरू होने वाली फाइनेंशियल टास्क फोर्स की उस अहम बैठक से पहले आया है जिसमें आतंकवाद के आर्थिक पोषण को लेकर पाकिस्तान को ग्रे सूची से हटाने या काली सूची में डालने पर फैसला होगा. पाकिस्तान बीते करीब डेढ़ साल से ग्रे-सूची में है.

 

 

खराब आर्थिक हालात से जूझ रही पाक सरकार ने एफएटीएफ प्लेनेरी बैठक से पहले हाफिजसईद के खिलाफ मामले को तेज कर अपने लिए बचाव का गलियारा तलाश करने का प्रयास किया है. ध्यान रहे जुलाई 2019 में पाक ने हाफिज सईद को पहली बार तब गिरफ्तार किया था जब अमेरिका ने एफएटीएफ की अगुवाई संभाली थी. अमेरिका के बाद पाक का हर मौसम दोस्त चीन फिलहाल एफएटीएफ की अगुवाई कर रहा है. ऐसे में इस्लामाबाद से उम्मीद है कि आर्थिक मुश्किलें बढ़ाने वाली एफएटीएफ की ग्रे सूची से उसे निकालने में चीन उसकी मदद करेगा.

 

 

हालांकि महज कुछ महीने पहले ही पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से प्रतिबन्धित आतंकी हाफिज सईद के गुजारे के लिए डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह देने की रियायत दिलवाई थी. उतना ही नहीं मसूद अजहर जैसे आतंकवादी को यूएन में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने की कार्रवाई में भी भरपूर रोड़े अटकाए थे. बीते एक दशक से ज्यादा समय से 26 नवम्बर 2008 के मुंबई आतंक हमले को लेकर मामला अब भी पाकिस्तान की अदालतों में अटका है.

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