रेल मंत्रालय का बड़ा फैसला- बसों से मजदूरों की वापसी के बाद ही चलेंगीं ट्रेनें

देश में कोरोना (Coronavirus) के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है. इसलिए भारतीय रेलवे (Indian Railway) की तरफ से मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए कई योजनाओं पर विचार किया जा रहा है.

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नई दिल्ली. केंद्र सरकार (Central Government) ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को बसों से वापस भेजने की मंजूरी दे दी है. दूसरी तरफ कई राज्य सरकारों इसके लिए स्पेशल ट्रेनों की मांग कर रहे हैं. इंडियन रेलवे (Indian Railway) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहले इस बात का इंतजार किया जाएगा कि कितने लोग बसों से अपने अपने घर के लिए रवाना होते हैं, इस तरह से रेलवे पर लोड कम होने के बाद ही स्पेशल ट्रेनों को चलाने की पर विचार किया जा सकता है. दरअसल, लंबी दूरी तक बसों से प्रवासी मजदूरों को ले जाना भी आसान नहीं होगा.

रेलवे पर लोड कम होने के बाद स्पेशल ट्रेनों पर होगा फैसला
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार अपनी सहूलियत के मुताबिक जितने लोगों को बसों से वापस भेज सकती है, उसके बाद ही स्पेशल ट्रेनें चलाने की किसी योजना पर विचार किया जा सकता है. दूसरी तरफ बसों में भी सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करने में एक बस में 25 से 30 लोगों को ही बैठाया जा सकता है. ऐसी स्थिति में बहुत सारे बसों का इंतज़ाम करना और हर बस के हर सवारी की निगरानी करना भी आसान नहीं होगा.

केंद्र सरकार फैसला करेगी
बता दें कि भारतीय रेल ने 3 मई तक अपनी सारी पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है. यही नहीं उसने 3 मई के बाद के रेलवे रिज़र्वेशन को भी बंद कर दिया है. रेलवे लॉकडाउन के बाद जब भी ट्रेनें चलाएगा ये केंद्र सरकार फैसला करेगी. केंद्र भी इस मसले पर सभी राज्यों से बातचीत के बाद ही कोई निर्देश जारी करेगा. इस बीच कोरोना के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है. इसलिए रेलवे की तरफ से मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए कई योजनाओं पर विचार किया जा रहा है.

इन विकल्पों पर विचार कर रही रेल मंत्रालय

1-ट्रेन ऑपेरशन शुरू होने पर पहले केवल कुछ चुनिंदा ट्रेनें चलाई जाएं. ये स्पेशल ट्रेनें हों जिनको चुनिंदा स्टॉपेज के साथ चलाया जाए.

2-रेलवे केवल स्लीपर क्लास के कोच वाली ट्रेन चलाए. 72 बर्थ वाले स्लीपर कोच में अधिकतम 54 लोगों को सफर करने दिया जाए. इस तरह से 20 कोच की ट्रेन में 1000 लोगों को सफर करने दिया जाए.

3-रेलवे ने स्लीपर क्लास के 5 हज़ार से ज़्यादा डब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदल दिया है. इसके लिए बीच की एक सीट को हटा दिया गया है. हालांकि, अभी आइसोलेशन वार्ड के तौर पर इन डब्बों की जरूरत नहीं पड़ी है. साथ ही गर्मी की वजह से फ़िलहाल इनके उपयोग की संभावना कम है. ऐसे में रेलवे इन डब्बों से स्लीपर-2 के तौर पर स्पेशल क्लास की ट्रेन भी चला सकता है. इससे सोशल डिस्टनसिंग के पालन में भी मदद मिलेगी.

4- शुरू में ट्रेनें केवल चुनिंदा स्टेशनों के बीच चलाई जाएं और जिन इलाकों में कोरोना के ज़्यादा मामले आ रहे हों वहां से न तो कोई आये न ही कोई ट्रेन जाएं.

रेलवे के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने लाखों कर्मचारियों और मुसाफिरों को सुरक्षित रखने की है. उसे स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक सभी तरह के प्रोटोकाल को भी फॉलो करना है. ऐसे में ट्रेन सेवा जब भी शुरू होगी, रेलवे के ऊपर हर किसी की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेवारी होगी. इसलिए स्पेशल ट्रेनों को लेकर जो भी फैसला होगा वो सभी पक्षों से बात करने के बाद ही लिया जाएगा.

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