Coronavirus: भारत में फेविपिराविर दवा के ट्रायल के लिए मिली मंजूरी, CSIR ने मांगी थी इजाजत

भारत में फेविपिराविर दवा के ट्रायल के लिए मंजूरी मिल गई है. डॉक्टर मांडे के मुताबिक फेविपिराविर एक सुरक्षित दवा है इसलिए इसके ट्रायल में सीधे फेज-2 के परीक्षण शुरू किए जा सकते हैं.

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नई दिल्ली: कोरोना महामारी का इलाज तलाशने की भारतीय कोशिशों को नई ताकत मिली है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने फेविपिराविर नामक एन्टी वायरल दवा के लिए देश में ट्रायल शुरू करने की मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने मंजूरी मिलने के बाद एक हफ्ते में ट्रायल शुरू करने का एलान किया है.

  • CSIR के महानिदेशक डॉ शेखर मांडे ने बताया कि फेविपिराविर एक ऐसी दवा है जो पहले से इन्फ्लूएंजा के इलाज में भारत समेत केई देशों में प्रयोग हो रही है. इस दवा के जरिए कोरोना वायरस का इलाज करने के लिए सीएसआईआर और एक कम्पनी ने इजाजत मांगी थी. सीएसआईआर को यह इजाजत गुरुवार रात हासिल हो गई. ऐसे में अब एक हफ्ते के भीतर इसके ट्रायल शुरू करने की तैयारी है.

डॉ मांडे के मुताबिक फेविपिराविर एक सुरक्षित दवा है इसलिए इसके ट्रायल में सीधे फेज-2 के परीक्षण शुरू किए जा सकते हैं. लिहाजा करीब एक-डेढ़ महीने में ट्रायल पूरे होने की उम्मीद है. वहीं अगर परीक्षण अपेक्षित नतीजों के साथ कामयाब होते हैं तो यह दवा जल्द और किफायती दामों पर उपलब्ध होगी. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि फेविपिराविर एक पुरानी दवा है जिसका पेटेंट अब खत्म हो चुका है. लिहाजा अमेरिकी कम्पनी की दवा रेमडीसिवीर की तुलना में अधिक आसानी से और किफायती दाम पर उपलब्ध हो सकती है.

  • भारत में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए दवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में सीएसआईआर ने पुनः उद्देश्य तय करने के लिए 25 दवाओं की पहचान की है. इन शीर्ष 25 दवाओं में से वायरल आरएनए पॉलिमेराज की एक व्यापक पहुंच वाली अवरोधक फैविपिरावीर सबसे ज्यादा भरोसेमंद दवाओं के रूप में उभरी है.

फैविपिरावीर को फ्यूजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड ने विकसित किया था और सामान्य इंफ्लुएंजा के लिए एक स्वीकृत उपचार है, जिसका विपणन रूस, चीन तथा जापान में किया जाता है. फैविपिरावीर एक जेनरिक दवा है और इसे पहले से इंफ्लुएंजा के उपचार के लिए उपयोग किया जा रहा है. चीन, जापान और इटली जैसे कई देशों में इस दवा के जरिए कोविड-19 के इलाज के लिए परीक्षण चल रहा है. आईसीएमआर के संरक्षण में सिप्ला, सिप्लेंजा के रूप में उत्पाद के विपणन से पहले उपयुक्त सीमित परीक्षण कराएगी.

  • हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-आईआईसीटी ने फैविपिरावीर के लिए एक सुविधाजनक और किफायती सिंथेटिक प्रक्रिया विकसित की है. उद्योग के साथ एक सामूहिक प्रयास के तहत सीएसआईआर-आईआईसीटी ने फैविपिरावीर के फार्मा ग्रेड एपीआई की पूरी प्रक्रिया और पर्याप्त मात्रा एक अग्रणी दवा कंपनी सिप्ला को हस्तांतरित कर दी है. सिप्ला भारत में कोविड-19 के खिलाफ इस दवा की पेशकश से पहले कई जांच करेगी.

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