पुरुषों का हीमोग्लोबिन 14 और महिलाओं का 12 से कम हो तो इम्युनिटी कमजोर, संतरा-अन्नानास जैसे फल लें; रोज कसरत जरूरी

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नई दिल्ली। कोरोनाकाल में लोगों ने संभवत: जो टर्म सबसे ज्यादा सर्च किया है वह है- इम्युनिटी। सब जानना चाहते हैं कि इम्युनिटी का स्तर क्या है और कैसे बढ़ा सकते हैं। इन्हीं विषयों पर दैनिक भास्कर ने इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. तरुण साहनी से बात की। जानिए क्या है विशेषज्ञ की राय…

इम्युनिटी का सही मतलब क्या है?
मानव शरीर में कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया होते हैं। कुछ शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं, कुछ नुकसानदेह। ऐसे अव्यव जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं, शरीर के अंदर के वायरस से लड़ने की शक्ति पैदा करते हैं, उसी को इम्युनिटी कहते हैं।

क्या यह जानने का कोई तरीका है कि किसी व्यक्ति की इम्युनिटी का स्तर क्या है?
हां। अलग-अलग बीमारियों के प्रति इम्युनिटी जांचने के लिए अलग-अलग टेस्ट होते हैं। कोरोना के केस में आईजीजी एंडीबॉडी टेस्ट से इम्युनिटी पता चलती है। सामान्य तौर पर हीमोग्लोबिन के स्तर से इम्युनिटी पता कर सकते हैं। हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर पुरुषों में 16 और महिलाओं में 14 होता है। यदि पुरुषों में हीमोग्लोबिन 14 से और महिलाओं में 12 से कम हो तो मान सकते हैं कि इम्युनिटी कमजोर है।

क्या किसी व्यक्ति की इम्युनिटी कुछ ही दिनों में बढ़ाई जा सकती है?
हां। लेकिन इम्युनिटी बढ़ाने का कृत्रिम तरीका बहुत स्थायी नहीं होता है। दवा व अच्छे खान-पान से कुछ दिनों में इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं।

कहा जा रहा है बच्चों की इम्युनिटी ज्यादा है, क्या ये सही है? यदि हां, तो ऐसा क्यों होता है?
बच्चों में इम्युनिटी ज्यादा होती है, यह सही है। लेकिन ऐसा नहीं है कि बच्चों में संक्रमण नहीं होता। बच्चे कई तरह के संक्रमण को रिसीव ही नहीं कर पाते, लिहाजा बचे रहते हैं।

बाजार में हर प्रोडक्ट यह कह कर बेचा जा रहा है कि ये इम्युनिटी बूस्टर है, इसमें सच्चाई है?
बाजार में कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स जरूर मिलते हैं जो फूड सप्लीमेंट के तौर पर अच्छे होते हैं और वास्तव में उससे इम्युनिटी बूस्ट होती है। लेकिन सत्यता जांचना बहुत जरूरी है जो हर बार संभव नहीं होती। लिहाजा इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बाजरा, चना और मूंग, दाल, हरी सब्जी और दूध का सेवन ज्यादा कारगर होता है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए केले और सिट्रस फल जैसे संतरे, अन्नानास आदि लेने चाहिए। गरम पानी के साथ नींबू का रस अच्छा होता है। लहसुन भी इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर होता है। ड्राई फ्रूट्स में बादाम, मुनक्के और छुहारे ले सकते हैं।

सिर्फ खान-पान से इम्युनिटी सुधार सकते हैं?
सिर्फ खान-पान से इम्युनिटी में सुधार नहीं होगा। सकारात्मक सोच, नियमित व्यायाम, 7-8 घंटे की गहरी नींद लेनी होगी। तनाव घटाना होगा। इसके साथ पौष्टिक आहार से इम्युनिटी सुधरेगी।

यदि किसी सामान्य व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर है तो क्या उसे अतिरिक्त सावधानी रखने की जरूरत है?
बिल्कुल। ऐसे व्यक्ति जिसकी इम्युनिटी कमजोर है उसे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे लोग जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है मसलन कैंसर, मधुमेह या दूसरी इम्यूनो कंप्रोमाइज बीमारी के अलावा बुजुर्ग हैं तो ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसी वजह से सरकार ने भी अपने पहले प्रोटोकॉल से ही कहना शुरू किया था कि बुजुर्ग हैं घर से बाहर न निकलें। इसके बाद जब वैक्सीन आई तब सबसे पहले बुजुर्गों के बाद गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को भी वैक्सीन दी गई। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।

इम्युनिटी डेफिशिएंसी डिसऑर्डर्स से पीड़ित लोगों के लिए ये समय कितना घातक हो सकता है? उन्हें क्या सावधानी रखनी चाहिए?
इम्युनिटी डेफिशियंसी से पीड़ित लोगों के लिए यह समय बेहद खतरनाक है। हालांकि ये अनुवांशिक बीमारियां जैसे कॉमन वेरिएबल इम्यूनोडेफिशिएंसी (सीविड) या एलिम्फोसाइटोसिस कम लोगों को होती है। ये बीमारियां एचआईवी के संक्रमण से अलग हैं। एचआईवी संक्रमण भी एक तरह का इम्यूनोडेफिशिएंसी डिसऑर्डर है। मधुमेह या कैंसर के मरीजों को भी इम्यून डेफिशिएंसी की समस्या होती है। सबसे ज्यादा दिक्कत वैसे ही लोगों को हो रही है जिनकी इम्युनिटी कमजोर है। कमजोर शरीर में शरीर के अंदर वायरस से लड़ने की क्षमता नहीं होती जिसकी वजह से वायरस शरीर पर अपना कब्जा कर लेता है। इन बीमारियों के मरीजों के लिए संक्रमण से बचे रहना ही एकमात्र उपाय है। संक्रमण हुआ तो स्थिति गंभीर हो सकती है। संक्रमण से बचाव के लिए फिलहाल मास्क लगाना, सामाजिक दूरी का पालन करना ही बेहतर है। अगर आप लगवा सकते हैं तो वैक्सीन लगवा लें और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जो संभव हो व्यायाम और खान-पान पर ध्यान देना जरूरी है।

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