600 गोशालाओं को लेकर हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, पढ़िए पूरा मामला

खट्टर सरकार ने कहा, सरकार स्वयं गौशाला नहीं चलाएगी बल्कि गौशालाओं को सहयोग करेगी, 225 पशुधन सर्वेक्षण समिति बनेगी

चंडीगढ़. हरियाणा सरकार (Haryana government) ने प्रदेश के 600 गोशालाओं को लेकर बड़ा फैसला किया है. मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि सरकार स्वयं गौशाला (Gaushala) नहीं चलाएगी बल्कि गौशालाओं का संचालन करने वालों को अनुदान प्रदान करेगी. अपनी तरफ से हर संभव सहायता प्रदान करेगी. इसीलिए प्रदेश के सभी खंडों में 225 पशुधन सर्वेक्षण समितियों का गठन किया जाएगा. इसका मकसद प्रदेश के सभी निराश्रय पशुओं, विशेषकर गायों और नंदियों को आश्रय प्रदान करना है.

मुख्यमंत्री (cm) ने कहा कि आमतौर पर यह देखने में आया है कि सभी गौशालाएं गायों को रखने के लिए तैयार हो जाती हैं परंतु नंदियों को रखने के लिए कोई तैयार नहीं होता. उन्होंने गौशाला संचालकों से आग्रह किया कि वे नंदियों को आश्रय प्रदान करने के लिए अलग से नंदी शालाएं बनाएं.

कितना मिलेगा पैसा

मनोहर लाल ने कहा कि सरकार सभी गौशालाओं को अनुदान राशि देगी. यह रकम उपयोगी और अनुपयोगी पशुओं के अनुपात के अनुसार मिलेगी. विधानसभा में पारित प्रस्ताव के अनुसार 33 प्रतिशत से कम अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को कोई सरकारी अनुदान प्रदान नहीं किया जाएगा.

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जबकि 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. 51 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 200 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. 76 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 300 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. इसी तरह 100 प्रतिशत अनुपयोगी पशुओं को रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 400 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा.

गायों से ज्यादा नंदियों के लिए मिलेगा पैसा

केवल नंदियों को ही रखने वाली गौशालाओं/नंदी शालाओं को प्रति वर्ष 500 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा. नंदी और अनुपयोगी गायों (cow) को सम्मलित रूप से रखने वाली गौशालाओं को प्रति वर्ष 400 रुपये प्रति पशुधन दिया जाएगा.

पशुधन सर्वेक्षण समिति में कौन होगा 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सदस्यों वाली इन खंड स्तरीय समितियों की अध्यक्षता वेटरनरी सर्जन करेंगे और इसके अन्य सदस्यों में गौ-सेवा आयोग के प्रतिनिधि, क्षेत्र की प्रमुख गौशाला के संचालक और जिला उपायुक्त के स्तर पर दो समाजसेवी शामिल होंगे. जिला स्तर पर इन समितियों की निगरानी पशुपालन विभाग के उप-निदेशक करेंगे. उन्हें सदस्यों की संख्या पांच से छ: करने का भी अधिकार होगा.

समितियों का काम क्या होगा

-अपने-अपने क्षेत्रों में गौशालाओं, गौशालाओं से बाहर निजी तौर पर अपने-अपने घरों में रखे जाने वाले गौधन, विशेषकर गायों और नंदियों की संख्या की गणना.

-उपयोगी व अनुपयोगी मापदंडों को तय करना होगा. गौशालाओं के लिए जमीन की आवश्कता की संभावनाएं तलाशना.

-सभी उपयोगी व अनुपयोगी गौधन की अलग-अलग रंग से टैगिंग की जाएगी.

-चाहे कोई गौशाला सरकारी अनुदान ले अथवा न ले, सभी को पशुपालन विभाग के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा.

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