पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राज्यसभा सदस्यता की शपथ ली, विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया

राज्यसभा में नामित किए जाने पर जस्टिस गोगोई बोले- फैसला स्वीकार है, यहां से मैं चौथे स्तंभ का पक्ष और उनकी बातों को संसद में रख सकता हूं ,जस्टिस गोगोई 13 महीने तक सीजेआई रहे, 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे, अयोध्या-राफेल जैसे अहम मामलों में फैसला दिया

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नई दिल्ली. पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ ली। विरोध जताते हुए विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया। सुबह 10.30 बजे जस्टिस गोगोई पत्नी रूपांजलि समेत संसद पहुंचे, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उनकी अगवानी की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 16 मार्च को जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया था।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस गोगोई के नॉमिनेशन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि हमारा संविधान न्यायापालिका और विधायिका की शक्तियों को अलग रखने पर आधारित है। जिस तरह से सरकार संस्थाओं का इस्तेमाल करने में लगी है, उससे लोकतंत्र के लिए खतरा है।

जस्टिस गोगोई 13 महीने तक सीजेआई रहे और 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे। उन्होंने अयोध्या विवाद पर लगातार सुनवाई करके फैसला सुनाया था। राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के मामले में केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी थी।

 

जस्टिस गोगोई ने भाजपा में शामिल होने से इनकार किया था

जस्टिस गोगोई ने राज्यसभा के लिए नामांकित किए जाने के बाद कहा था , ‘‘राष्ट्रपति द्वारा मुझे राज्यसभा भेजने के इस फैसले को मैं स्वीकार करता हूं। यह एक अवसर है, जहां से मैं चौथे स्तंभ का पक्ष और उनकी बातों को संसद में रख सकता हूं। वहीं संसद की बात को भी न्यायपालिका के सामने रखने का भी मौका है। बशर्ते वह सुनने के लिए तैयार हों।’’ हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह भाजपा जॉइन करेंगे? उन्होंने कहा, ‘‘इसका कोई सवाल ही नहीं उठता।’’

12 जनवरी 2018 को की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
जस्टिस रंजन गोगोई ने 12 जनवरी 2018 को जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस मदन बी लोकुर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। यह पहली बार था, जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कई मुद्दों को लेकर उन्होंने तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की कार्यशैली और केसों के बंटवारे को लेकर भी सवाल उठाया था। उन्होंने तब कहा था कि न्यायापालिका की आजादी खतरे में है।

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