किसान आंदोलन का 7वां दिन: किसानों की मांग- कानून खत्म करने के लिए संसद सत्र बुलाओ, ऐलान- 5 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन

अगर सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो हम दिल्ली की और सड़कों को अवरुद्ध करेंगे : प्रदर्शनकारी किसानों के नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा.अब सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक 3 दिसंबर को होगी. इस बीच आज किसान दिल्ली कूच करने वाले हैं. आज पंजाब और हरियाणा से भी ट्रैक्टर रवाना होंगे. इस बीच पुलिस ने दिल्ली-नोएडा का चिल्ला बॉर्डर बंद कर दिया है.

नई दिल्ली. प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को कहा कि नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) को संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) आहूत करना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा. संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल (Farmer Leader Darshan Pal) ने आरोप लगाया कि केंद्र किसान संगठनों (Farmer Union)में फूट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा.

पाल ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र को संसद का विशेष सत्र आहूत करना चाहिए.’’ पाल ने आगे कहा कि हमने देश भर में विरोध स्वरूप 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करने और पुतले जलाने का आह्वान किया है. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर केंद्र तीनों नए कानूनों को वापस नहीं लेगा तो किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में और कदम उठाएंगे. वहीं किसान नेता ने कहा कि अगर सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो हम दिल्ली की और सड़कों को अवरुद्ध करेंगे.
किसान यूनियन ने दी सरकार को बहस की चुनौती
कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध के बीच भारतीय किसान यूनियन के एक धड़े ने सरकार को इन कानूनों पर खुली बहस की चुनौती देते हुए बुधवार को कहा कि सरकार ने इन कानूनों को लेकर किसानों की आशंकाएं दूर नहीं की तो संगठन से जुड़े किसान प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली कूच करेंगे.
भारतीय किसान यूनियन (राधे गुट) के कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन भी जिलाधिकारी को सौंपा गया.
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधे लाल यादव ने दावा किया कि सरकार ने किसानों से पूछे बगैर खेती से जुड़े तीन ऐसे कानून संसद में पारित करा दिए जिनसे किसानों पर ही सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. हम सरकार को इन कानूनों पर खुली बहस की चुनौती देते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर इन कानूनों को लेकर किसानों की चिंताओं और आशंकाओं को दूर नहीं किया तो हमारी यूनियन से जुड़े किसान दिल्ली जाकर जोरदार प्रदर्शन करेंगे.

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन बुधवार को 7वें दिन भी जारी है। किसानों ने शाम करीब सवा पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष स्वराज सिंह ने कहा, ‘हम सड़क पर नहीं बैठे हैं। प्रशासन ने बैरिकेड्स और जवान खड़े करके हमारा रास्ता रोका है और इसीलिए हम यहां रुके हैं। हमें यह जगह अस्थाई जेल जैसी लगती है और हमें रोका जाना गिरफ्तारी की तरह है। हम जैसे ही यहां से छूटे तो सीधा दिल्ली जाएंगे।’

तोमर और गोयल ने शाह को अपडेट दी
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल, जो मंगलवार को किसानों को मनाने में नाकाम रहे थे, वो आज गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर पर मिले। दोनों मंत्रियों ने मंगलवार को किसानों से हुई बातचीत का अपडेट शाह को दिया।

मंगलवार को सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत बेनतीजा रही। मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद रहे थे। मीटिंग में सरकार कानूनों पर प्रजेंटेशन दिखाकर फायदे गिनवाती रही, लेकिन किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने इतना तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वॉरंट बताया।

संवाददाता सम्मेलन के पहले करीब 32 किसान संगठनों के नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर बैठक की जिसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी शामिल हुए.
अब सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक 3 दिसंबर को होगी. इस बीच आज किसान दिल्ली कूच करने वाले हैं. आज पंजाब और हरियाणा से भी ट्रैक्टर रवाना होंगे. इस बीच पुलिस ने दिल्ली-नोएडा का चिल्ला बॉर्डर बंद कर दिया है.नए कृषि कानूनों (New Farm Law) का पंजाब, हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश के कुछ किसान लगातार विरोध (Farmers’ Protest) कर रहे हैं. दिल्ली और हरियाणा के सिंधु व टिकारी सीमा पर बड़ी संख्या में किसान डटे हुए हैं. अब इन किसानों को ट्रांसपोर्टरों (Transporters) का भी साथ मिल गया है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने ऐलान किया है कि देश का ट्रांसपोर्टर एकजुट होकर इन किसानों का समर्थन करता है. साथ ही एआईएमटीसी ने धमकी है कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें को नहीं मानीं तो उत्तरी भारत से माल ढुलाई ठप कर दी जाएगी. अगर फिर भी सरकार नहीं मानी तो पूरे भारत में ट्रांसपोर्ट सेवा धीरे-धीरे ठप कर दी जाएगी.किसान आंदोलन से जनजीवन हो रहा है प्रभावित

पंजाब और दिल्ली-हरियाणा सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन से सब्जियों, फलों तथा खाद्यान्नों के साथ-साथ कई जरूरी सामानों का ट्रांसपोर्टेशन बाधित हुआ है. पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर का देश के अन्य हिस्सों से ट्रांसपोर्टेशन पर बुरा असर पड़ा है. इन क्षेत्रों से करीब 65 फीसदी खाद्यान्नों की ढुलाई होती है, जिस पर आंदोलन का सीधा असर पड़ा है. सेब, आलू, प्याज समेत हरी सब्जियों की माल-ढुलाई ठप होने से उत्तर भारत समेत देशभर में महंगाई बढ़ रही है. इसके अलावा दूध और दवाइयों का ट्रांसपोर्टेशन भी प्रभावित हुआ है. ट्रांसपोर्टरों ने धमकी दी है कि केंद्र की मोदी सरकार अगर किसानों की मांगें  नहीं मानती है तो महंगाई बढ़ सकती है.

किसान आंदोलन का ही असर है कि उत्तर भारत समेत पूरे देश में फलों और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आलू का खुदरा मूल्य 50 रुपये प्रति किलो, प्याज 40-50 रुपये प्रति किलो, टमाटर 40-50 रुपये प्रति किलो और सेब 80-100 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया है. अगर किसानों का आंदोलन जारी रहा तो आशंका है कि आने वाले दिनों में सब्जियों और फलों के साथ-साथ अनाजों के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे.

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