नई दिल्ली. प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार को कहा कि नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) को संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) आहूत करना चाहिए और अगर मांगें नहीं मानी गयीं तो राष्ट्रीय राजधानी की और सड़कों को अवरुद्ध किया जाएगा. संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल (Farmer Leader Darshan Pal) ने आरोप लगाया कि केंद्र किसान संगठनों (Farmer Union)में फूट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा.
कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध के बीच भारतीय किसान यूनियन के एक धड़े ने सरकार को इन कानूनों पर खुली बहस की चुनौती देते हुए बुधवार को कहा कि सरकार ने इन कानूनों को लेकर किसानों की आशंकाएं दूर नहीं की तो संगठन से जुड़े किसान प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली कूच करेंगे.
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन बुधवार को 7वें दिन भी जारी है। किसानों ने शाम करीब सवा पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष स्वराज सिंह ने कहा, ‘हम सड़क पर नहीं बैठे हैं। प्रशासन ने बैरिकेड्स और जवान खड़े करके हमारा रास्ता रोका है और इसीलिए हम यहां रुके हैं। हमें यह जगह अस्थाई जेल जैसी लगती है और हमें रोका जाना गिरफ्तारी की तरह है। हम जैसे ही यहां से छूटे तो सीधा दिल्ली जाएंगे।’
तोमर और गोयल ने शाह को अपडेट दी
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल, जो मंगलवार को किसानों को मनाने में नाकाम रहे थे, वो आज गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर पर मिले। दोनों मंत्रियों ने मंगलवार को किसानों से हुई बातचीत का अपडेट शाह को दिया।
मंगलवार को सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत बेनतीजा रही। मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद रहे थे। मीटिंग में सरकार कानूनों पर प्रजेंटेशन दिखाकर फायदे गिनवाती रही, लेकिन किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने इतना तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वॉरंट बताया।
पंजाब और दिल्ली-हरियाणा सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन से सब्जियों, फलों तथा खाद्यान्नों के साथ-साथ कई जरूरी सामानों का ट्रांसपोर्टेशन बाधित हुआ है. पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर का देश के अन्य हिस्सों से ट्रांसपोर्टेशन पर बुरा असर पड़ा है. इन क्षेत्रों से करीब 65 फीसदी खाद्यान्नों की ढुलाई होती है, जिस पर आंदोलन का सीधा असर पड़ा है. सेब, आलू, प्याज समेत हरी सब्जियों की माल-ढुलाई ठप होने से उत्तर भारत समेत देशभर में महंगाई बढ़ रही है. इसके अलावा दूध और दवाइयों का ट्रांसपोर्टेशन भी प्रभावित हुआ है. ट्रांसपोर्टरों ने धमकी दी है कि केंद्र की मोदी सरकार अगर किसानों की मांगें नहीं मानती है तो महंगाई बढ़ सकती है.
किसान आंदोलन का ही असर है कि उत्तर भारत समेत पूरे देश में फलों और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आलू का खुदरा मूल्य 50 रुपये प्रति किलो, प्याज 40-50 रुपये प्रति किलो, टमाटर 40-50 रुपये प्रति किलो और सेब 80-100 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया है. अगर किसानों का आंदोलन जारी रहा तो आशंका है कि आने वाले दिनों में सब्जियों और फलों के साथ-साथ अनाजों के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे.