5 दिन के दौरे पर अमेरिका पहुंचे विदेश मंत्री, वैक्सीन डोज से लेकर फॉर्मूला शेयर करने पर होगी बात, जानें दौरे के बारे में सबकुछ
विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका पहुंच गए हैं। इस दौरे में विदेश मंत्री अमेरिकी वैक्सीन निर्माताओं के साथ मीटिंग कर भारत के लिए फाइजर और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन मिलने का रास्ता साफ कर सकते हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका जरूरतमंद देशों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराएगा। जयशंकर के 5 दिन के इस दौरे को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
किन-किन लोगों से मिलेंगे विदेश मंत्री
विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि 24 से लेकर 28 मई तक विदेश मंत्री अमेरिकी दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे न्यूयॉर्क में UN सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस से मिल सकते हैं। वॉशिंगटन में उनकी मुलाकात अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन से भी होगी। भारत-अमेरिका के बीच आर्थिक और कोविड से जुड़े मसलों पर यूएस इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) और यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) से भी विदेश मंत्री बातचीत करेंगे। इसके अलावा फार्मा कंपनियों के CEO और मैनेजर के साथ भी उनकी मीटिंग हो सकती हैI
यूएन में भारत एंबेसेडर टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट करके विदेश मंत्री के न्यूयॉर्क पहुंचने की जानकारी दी
Privilege to receive External Affairs Minister @DrSJaishankar on his first visit to New York after #India entered the UN #SecurityCouncil on 1 January 2021. @MEAIndia @harshvshringla pic.twitter.com/08VLdInlxC
— PR/Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) May 23, 2021
वैक्सीन को लेकर क्या बातचीत हो सकती है
अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर ने भारत में वैक्सीन देने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं, जिन्हें भारत ने मानने से इनकार कर दिया था। उसके बाद से ही फाइजर और भारत सरकार के बीच बातचीत अधर में है। विदेश मंत्री फाइजर से बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाने की पहल कर सकते हैं। फार्मा कंपनियों से वैक्सीन फॉर्मूला शेयर करने या साझा उत्पादन पर भी बात हो सकती है। वैक्सीन पर से पेटेंट हटाने पर भी बातचीत हो सकती है।
भारत को इस दौरे से क्या फायदे हो सकते हैं
जो बाइडेन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीय विदेश मंत्री का ये पहला अमेरिकी दौरा है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस दौरे का असर आने वाले समय में भारत-अमेरिका के संबंधों पर होगा। इसी साल वॉशिंगटन में भारत-अमेरिका के बीच 2+2 मिनिस्ट्रियल मीटिंग भी होनी है। इस दौरे का असर उस मीटिंग पर भी होगा। भारत वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। अमेरिका से वैक्सीन पर हुई किसी भी पहल का फायदा भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम पर होगा।
कौन सी वैक्सीन भारत को मिल सकती हैं
अमेरिका में फिलहाल फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है। भारत की कोशिश होगी कि या तो इन वैक्सीन का फॉर्मूला भारतीय कंपनियों को मिले या भारत में ही साझा तौर पर इन वैक्सीन का उत्पादन हो। फाइजर और मॉडर्ना दोनों वैक्सीन की एफीकेसी 90% से ऊपर है।
इसके साथ ही भारत का फोकस जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन पर भी होगा, क्योंकि ये सिंगल डोज वैक्सीन है। हालांकि अमेरिका ने कहा है कि वो ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के 8 करोड़ डोज दूसरे देशों को देगा। भारत में इसे कोवीशील्ड नाम से सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है। भारत का लक्ष्य ये भी होगा कि इन 8 करोड़ में से ज्यादा से ज्यादा डोज भारत को मिलें।
भारत की क्या कोशिश है
अमेरिका में भारत के एंबेसेडर तरनजीत सिंह संधू लगातार अमेरिकी फार्मा कंपनियों और अधिकारियों के संपर्क में हैं। हाल ही में उन्होंने फार्मा कंपनी मॉडर्ना के CEO और CDC डायरेक्टर के साथ बातचीत भी की थी। कोशिश है कि फार्मा कंपनियां फॉर्मूला शेयर करें या किसी भारतीय फार्मा कंपनी के साथ मिलकर भारत में ही वैक्सीन प्रोडक्शन करें। वैक्सीन के फॉर्मूले से पेटेंट हटाने पर भी बात चल रही है। बाइडेन ने भी इसका समर्थन किया है। अगर वैक्सीन पर से पेटेंट हटता है तो भारत को वैक्सीन मिलने का रास्ता साफ होगा।
वैक्सीन के अलावा किन मुद्दों पर बात हो सकती है
- JNU में सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सुधीर सुथार के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री की इस यात्रा का एक उद्देश्य अमेरिका में बाइडेन प्रशासन से रिश्ते सुधारना भी है। ट्रंप जब राष्ट्रपति थे उस समय भारत और अमेरिका के रिश्ते अलग थे। लेकिन ट्रंप के चुनाव हारने के बाद बाइडेन सरकार के साथ भारत को नए सिरे से रिश्ते बनाने पड़ रहे हैं। ऐसे में अगर इस यात्रा के दूरगामी नतीजों को देखें तो एस. जयशंकर की कोशिश होगी कि अमेरिका-भारत के रिश्तों में गर्माहट आए।
- दोनों पक्षों के बीच फिलिस्तीन-इजराइल और QUAD के मुद्दे पर भी बातचीत हो सकती है।
- भारत और रूस के बीच S-400 मिसाइल सिस्टम का सौदा भी हुआ है। इसी साल दिसंबर तक भारत को पहला बैच मिलने की संभावना भी है। इस मुद्दे पर भी बातचीत संभव है।