आपदा / लॉकडाउन के बीच 2 दिन में दूसरी बार दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, इस बार तीव्रता 2.7 रही

लॉकडाउन के कारण घरों में बंद कई लोग बाहर निकले, सोशल डिस्टेंसिंग को खतरा रविवार शाम 5.45 बजे भी 3.5 तीव्रता का भूकंप आया, इसका केंद्र पूर्वी दिल्ली में था

नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर में सोमवार को लगातार दूसरे दिन भूकंप आया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 2.7 मापी गई। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप 1.26 मिनट पर आया और इसका केंद्र जमीन के 5 किलोमीटर नीचे था। इससे पहले रविवार शाम 5.45 बजे भी 3.5 तीव्रता के झटके महसूस किए गए थे। इसका केंद्र पूर्वी दिल्ली में जमीन के 8 किलोमीटर नीचे था। भूकंप के कारण लोग घरों से बाहर आ रहे हैं। इससे कोरोना संकट के बीच सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर खतरा पैदा हो गया है।

दिल्ली-एनसीआर में हैं तीन फॉल्ट लाइन
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में तीन फॉल्ट लाइन हैं। जहां फॉल्ट लाइन होती है, वहीं पर भूकंप का एपीसेंटर बनता है। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और सोहना फॉल्ट लाइन मौजूद है। दरअसल, जिस पूर्वी दिल्ली में भूकंप के केंद्र था। वहां पर तीन इलाके नुकसान के लिहाज से बहुत खतरनाक हैं। 80 भू-वैज्ञानिकों की टीम ने इस बारे में एक रिपोर्ट तैयार की है। इन इलाकों में यमुना तट के करीबी इलाके शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर हैं। इसके साथ ही चिंता की बात यह भी है कि पूर्वी दिल्ली का इलाका यमुना खादर में बसा हुआ है। यहां यमुना नदी के पास वाली मिट्टी डाली गई है। इसलिए यहां की मिट्‌टी बहुत ढीली है।

6 तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल का होना है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। डॉ. अरुण ने बताया कि रिक्टर स्केल पर 2 या 3 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है। इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप 22 मई 1960 को चिली में आया था। इसकी तीव्रता 9.5 थी। 28 मार्च 1964 को भी अमेरिका में 9.2 तीव्रता का भूकंप आया था।

धरती चार परतों से बनी है: वैज्ञानिक

डॉ. अरुण बताते हैं कि धरती चार परतों से बनी है- इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। लिथोस्फेयर 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है। ये परत वर्गों में बंटी है और इन्हें टेक्टोनिकल प्लेट्स कहते हैं। जब इन टेक्टोनिकल प्लेटों में हलचल तेज होती है तो भूकंप आता है।

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