Kharmas 2021 Date: खरमास शुरू, कथा से जानें विवाह-मुंडन, गृह प्रवेश पर क्यों लग जाती है रोक

Kharmas 2021 Start From Today With Sun Transit In Pisces- भगवान सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं. उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं है. उनके रुकते ही जनजीवन भी जो ठहर जाएगा.

Kharmas 2021 Start From Today With Sun Transit In Pisces- खरमास आज से शुरू हो रहे हैं. आज 14 मार्च 2021 को सूर्य देव के मीन राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास लग गया है. खरमास का समापन 14 अप्रैल 2021 को होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य जब राशि परिवर्तन करते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है. दक्षिणायन का आखिरी महीना ही खरमास होता है. मकर संक्रांति से देवताओं का दिन शुरू हो जाता है. इसी दिन खरमास समाप्त हो जाता है. आइए जानते हैं खरमास की कथा…

खरमास की पौराणिक कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्यदेव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं. उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं है. उनके रुकते ही जनजीवन भी जो ठहर जाएगा. लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुते होते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं.

उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया. भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब किनारे ले गए लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा. लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे.

अब भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए छोड़ देते हैं और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं. अब घोड़ा, घोड़ा होता है और गधा, गधा. रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे 1 मास का चक्र पूरा होता है, तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है. इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौरवर्ष में 1 सौरमास ‘खरमास’ कहलाता है.

Kharmas 2021: खरमास में भूलकर भी ना करें ये काम, इन कामों से मिलेगा शुभ फल

सूर्य के मीन राशि में गोचर के साथ ही खरमास आज से शुरू हो चुका है. खरमास के प्रारंभ के साथ ही विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए . दरअसल, खरमास को ‘दुष्ट माह’ भी कहा गया है. बृहस्पति के आचरण में उग्रता, अस्थिरता, क्रूरता और निकृष्टता के कारण इस मास के मध्य शादी-विवाह, गृह निर्माण, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य अमांगलिक सिद्ध हो सकते हैं, इसलिए शास्त्रों ने इस माह में इनका निषेध किया है. आइए जानते हैं कि शास्त्र के अनुसार, क्या काम करने चाहिए और किन कामों से परहेज करना चाहिए…

खरमास में करें ये काम:
-ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सूर्य अकेले ही सात ग्रहों के दुष्प्रभावों को नष्ट करने का सामर्थ्य रखते हैं. दक्षिणायन होने पर सूर्य के आंतरिक बल में कमी परिलक्षित होती है. इसलिए ढेरों परेशानियों की शुरुआत होती है, पर उत्तरायण होते ही सूर्य नारायण समस्त ग्रहों के तमाम दोषों का उन्मूलन कर देते हैं.

-खरमास में दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति के लिए भगवान सूर्य की उपासना असरदार मानी गई है. ऐश्वर्य और सम्मान के अभिलाषियों को खरमास में ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य की आराधना करनी चाहिए.

– खरमास तक तुलसी की पूजा करनी चाहिए. शाम को तुलसी के पौधे पर घी का दीपक जलाना चाहिए. इससे जीवन की समस्याएं कम होती हैं.

-खरमास के दौरान गरीब ब्राह्मण, गुरु, गाय और साधुओं की सेवा करनी चाहिए. हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

-हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार खरमास के दौरान भगवान विष्णु और सूर्यदेव की विधि पूर्वक उपासना करनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा बरसती है जिससे तरक्की और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

खरमास में ना करें ये काम:

-खरमास के दौरान मन में किसी के प्रति बुरी भावना नहीं लानी चाहिए. किसी भी व्यक्ति से किसी प्रकार की लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए और नहीं झूठ बोलना चाहिए.

-खरमास में मांगलिक कार्य जैसे वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन, नहीं करने चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान शुभ कार्य करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है.

– खरमास में चारपाई का त्यागकर जमीन पर सोना चाहिए. माना जाता है कि इससे सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है. इस माह में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

 

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