कोरोना का अजीबोगरीब मामला, माता-पिता नेगेटिव लेकिन 10 महीने की बच्‍ची निकली पॉजिटिव

माता-पिता की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव जबकि 10 महीने की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आने से जहां हर कोई हैरान है वहीं परिजन जांच रिपोर्ट और इलाज प्रकिया पर भी सवाल उठा रहे हैं.

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नई दिल्‍ली. कोरोना महामारी के देश में पैर पसारने के बाद कोरोना को लेकर रोजाना ही नई-नई चीजें सामने आ रही हैं. हाल ही में उत्‍तर प्रदेश के मथुरा-आगरा हाइवे स्थित छरोरा गांव में अजीबोगरीब मामला सामने आया है. इस गांव के एक परिवार की कोरोना जांच होने के बाद 10 महीने की बच्‍ची पॉजिटिव निकल आई वहीं उसके माता-पिता की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. इतना ही नहीं बच्‍ची के परिजनों का कहना है कि पिछले एक महीने से बच्‍ची घर से बाहर भी नहीं गई है. बच्‍ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आने से जहां हर कोई हैरान है वहीं परिजन जांच रिपोर्ट और इलाज प्रकिया पर भी सवाल उठा रहे हैं.

छरोरा गांव निवासी दीपक (बदला हुआ नाम) ने बताया कि 19 जुलाई को अचानक उन्‍हें और उनकी पत्‍नी को बुखार आ गया. वहीं उनकी 10 महीने की बेटी को सर्दी और पसलियों में जकड़न जैसी दिक्‍कत हुई. दो दिन तक घर में ही आराम करने के बाद वे 21 जुलाई को वृंदावन स्थित संयुक्‍त जिला चिकित्‍सालय में दवा लेने के लिए पहुंचे. जब उन्‍होंने बताया कि उन्‍हें दो दिन से बुखार है तो अस्‍पताल वालों ने कोरोना जांच कराने के लिए कहा. बाहरी लोगों से किसी भी प्रकार का संपर्क या यात्रा न होने की जानकारी देने के बाद तीनों की कोरोना जांच हुई. जिसकी मेडिकल रिपोर्ट 24 जुलाई को आई.

दीपक ने बताया, ‘25 जुलाई को मेरे पास फोन आया कि आपकी बेटी को कोरोना हुआ है. मैंने अपनी और पत्‍नी की रिपोर्ट पूछी तो कहा गया कि हम दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. यह सुनते ही पत्‍नी रोने लगी. इसके कुछ देर बाद ही हमारे घर के चारों ओर टिन लगाकर सील कर दिया गया. दो पुलिसकर्मी हर वक्‍त पहरा देने लगे और हमें घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी. इस दौरान किसी ने हमसे यह भी नहीं पूछा कि किसी चीज की जरूरत है. तीन दिन तक घर में बंद रहने और कोई दवा न मिलने पर हमने सीएमओ ऑफिस में इलाज की गुहार लगाई तो उन्‍होंने मेरी पत्‍नी और बेटी को एंबुलेंस भेजकर कोविड अस्‍पताल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करा दिया.’

दीपक ने बताया कि घर से पत्‍नी और बच्‍ची को आइसोलेशन के लिए अस्‍पताल तो भेज दिया लेकिन वहां कुछ ही देखने को मिला. वहां पहुंचते ही डॉक्‍टरों की एक टीम पहुंची, वे बोले कि 10 महीने की बच्‍ची को कोरोना नहीं हो सकता और बच्‍ची को कोविड वार्ड के बजाय अलग जनरल वार्ड में भेज दिया. जहां अन्य बीमारियों के मरीज हैं.

वहीं बच्‍ची की मां ने बताया कि जनरल वार्ड में कई गर्भवती महिलाएं और अन्य मरीज हैं. वहीं उनकी बेटी को एक बेड पर रखा गया है. पीने के लिए बच्‍ची को हल्‍दी का दूध दिया गया, जो उसने नहीं पीया. तब कुछ दवाएं दी गईं. मां ने बताया, जब मैंने जनरल वार्ड में रखने का कारण पूछा तो उन्‍होंने बताया कि बच्‍ची को कोरोना के मरीजों से खतरा हो सकता है इसकी दोबारा जांच होगी लेकिन 24 तारीख से 30 जुलाई तक उसकी दोबारा कोरोना जांच नहीं हुई.

बच्‍ची के पिता ने व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल

बच्‍ची के पिता दीपक ने व्‍यवस्‍था में खामी का आरोप लगाया है. उन्‍होंने व्‍यवस्‍था पर सवाल उठाते हुए कहा कि मां-बाप में से किसी को कोरोना नहीं है तो इस छोटी बच्‍ची की रिपोर्ट कैसे पॉजिटिव आ गई ? वहीं अगर रिपोर्ट पॉजिटिव है तो उसे जनरल वार्ड में क्‍यों रखा गया है, इसके अलावा अगर उसे कोरोना नहीं हो सकता है जैसा कि डॉक्‍टर कह रहे हैं तो उसकी दोबारा जांच क्‍यों नहीं हुई और उसे अस्‍पताल में ही क्‍यों रखा हुआ है, साथ ही घर को सील क्‍यों किया हुआ है. बच्‍ची के पिता का कहना है कि कहीं न कहीं लापरवाही हो रही है.

ये बोले अधिकारी ..

मथुरा के अपर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी और कोविड अस्‍पतालों के नोडल अधिकारी डॉ. राजीव गुप्‍ता ने बताया कि बच्‍ची को जनरल कोविड वार्ड के बजाय अलग महिला वार्ड में ही आइसोलेशन में रखा गया है. इसके साथ ही बच्‍चों के लिए सरकारी आदेशों के अनुसार ही उसका इलाज किया जा रहा है. उसकी मां नेगेटिव हैं लेकिन साथ में रखना ही पड़ेगा. किसी प्रकार की कोई अव्‍यवस्‍था नहीं है. साथ ही माता-पिता के नेगेटिव होने और बच्‍ची की पॉजिटिव रिपोर्ट को लेकर उन्‍होंने कहा कि यह इम्‍यूनिटी का मसला हो सकता है. ये भी हो सकता है कि बच्‍चा कमजोर हो या बचपन में जरूरी टीके न लगे हों. उस बच्‍ची की लगातार निगरानी की जा रही है.

 

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