किराये पर रहने वाले छात्रों का रेंट माफ करने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू

देश के अलग-अलग हिस्सों में किराये पर रहने वाले कुछ छात्रों ने #NoRentForStudents हैशटेग के जरिए छात्रों, बेरोजगार युवाओं का किराया माफ करने की मांग शुरू की है. इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है.

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (coronavirus) लॉकडाउन (lockdown) में घर से बाहर किराये पर रहने वाले कुछ छात्र-छात्राओं ने सोशल मीडिया पर एक आंदोलन की शुरुआत की है. छात्रों ने इसका नाम रखा है युवा-हल्लाबोल आंदोलन. #NoRentForStudents हैशटेग के जरिए छात्रों, बेरोजगार युवाओं का किराया माफ करने की मांग की जा रही है. इस आंदोलन को लेकर स्वराज इंडिया पार्टी ने भी कहा है कि पूरा देश लॉकडाउन में है. कामधंधा, रोजगार से लेकर शिक्षण और कोचिंग संस्थान, प्रतियोगिता परीक्षाएं, ट्रेनिंग, इंटर्नशिप, पार्ट टाइम जॉब्स तक सब कुछ ठप हो गया है. ऐसे वक्त में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों से आने वाले बेरोजगार छात्रों की लोगों को मदद करनी चाहिए.

किराया माफ करने को लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू
जो छात्र अपने गांव घर से दूर शहर में किराये के कमरों में रहकर नौकरी ढूंढ रहे थे, उनमें से कइयों के लिए अब किराया देना असंभव सा हो गया है. युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने कहा, ‘केंद्र सरकार जल्द से जल्द सभी राज्यों और जिला प्रशासन को आदेश दे कि किरायेदार छात्रों का किराया माफ हो.’

अनुपम ने आगे कहा, ‘गृह मंत्रालय ने 29 मार्च के एक आदेश में पहले ही कहा है कि कोई भी मकान मालिक अपने किरायेदार को लॉकडाउन के दौरान निकाल नहीं सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि असमर्थ किरायेदार अगर पैसे न दे पाए तो भी मकान मालिक उन्हें निकाल नहीं सकते. ऐसे में अगर स्पष्ट शब्दों में किराया माफी का आदेश नहीं आता तो मकान मालिक और किरायेदार के बीच असमंजस और कई मामलों में झड़प की स्थिति बन सकती है.’

इस हेल्पलाईन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं छात्र
इस ऑनलाइन आंदोलन से जुड़े छात्रों ने एक हेल्पलाईन 9810408888 नंबर भी जारी किया है. इस नंबर पर छात्रों के लगातार कॉल आ रहे हैं, जो लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुई परिस्थिति में अपनी परेशानी युवा-हल्लाबोल को बता रहे हैं. चेंज डॉट ओआरजी के माध्यम से एक ऑनलाइन पीटिशन (change.org/norentforstudents) की भी शुरुआत की है. आंदोलन के प्रतिनिधि के तौर पर पेटिशन शुरू करने वाले रजत यादव बताते हैं कि अब तक ढाई हजार से ज्यादा लोगों ने पीटिशन पर हस्ताक्षर कर दिया है.

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