जयपुर. देशभर में चल रहे किसान आंदोलन (Farmer-protest) के तहत किसानों की ओर से मंगलवार को भारत बंद (Bhaarat bandh) का आह्वान किया गया है. इसके तहत राजस्थान के किसान भी अपनी ताकत (Strength ) दिखायेंगे. किसानों ने अपनी ताकत दिखाने के लिये व्यापक स्तर पर तैयारियां की. राजस्थान में किसानों को प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी के साथ ही अन्य विपक्षी दलों और व्यापारिक संगठनों से भी समर्थन मिल रहा है. वहीं दूसरी और किसानों को समर्थन देने वाली कांग्रेस पार्टी की अशोक गहलोत सरकार बंद के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बंदोबस्त करने में जुटी है. ऐसे में आपके लिये ये जानना जरुरी हो जाता है कि ऐसा किस लिये हो रहा है और इसका आप पर क्या असर पड़ेगा.
यह है इसकी वजह
दरअसल केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने हाल ही में तीन कृषि कानून पास किये हैं. किसानों का कहना है कि ये कानून किसान विरोधी हैं. इनसे किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जायेगा. इन कानूनों में कहीं भी न्यूनतम कृषि मूल्यों का जिक्र नहीं है. यह कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने की साजिश है. वहीं इन कानूनों के लागू हो जाने से कॉन्ट्रेट फॉर्मिंग के जरिये खेती बड़े कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चली जायेगी. किसान जमीन का मालिकाना हक होते हुये भी मजदूर भर बनकर रह जायेगा. नये कानूनों से मंडी व्यवस्था खत्म हो जायेगी. लिहाजा केन्द्र सरकार इन कानूनों को वापस ले. अपनी इन्हीं मुख्य मांगों को लेकर किसान गत 11 दिन से आंदोलनरत हैं.
किसानों के लंबे आंदोलन के दौरान केन्द्र सरकार से कई दौर की वार्तायें होने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकलने पर किसान संगठनों ने अब 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. इस आह्वान के चलते मंगलवार को व्यवस्थायें प्रभावित होना तय है. क्योंकि इस मुद्दे पर किसानों को देशभर में पूरे विपक्ष का साथ मिल रहा है. वह व्यापारिक संगठन भी उनके समर्थन में आगे आ रहे हैं. राजस्थान में भी किसान बंद को सफल बनाने के लिये जी-जान से जुटे हुये हैं. हालांकि किसानों ने इस बात के लिये आश्वस्त किया है कि वे बंद को शांतिपूर्ण रखेंगे. लेकिन आंदोलन आंदोलन होता है. जोश में कहीं भी किसी भी किसी भी तरह की घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता. बंद समर्थकों और बंद का समर्थन नहीं करने वालों में झड़पें भी हो सकती हैं.
इन बातों का रखें खास ध्यान
बंद का असर आप पर भी पड़ना तय है. इसलिये अत्यावश्यक कार्य आज ही निपटा लें. बंद का स्वरूप कैसा होगा इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. हालांकि सरकारें आमजन की सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर चाक चौबंद हैं. लेकिन फिर भी ऐहतियात बरतना जरुरी होगा. इसलिये मंगलवार को निर्धारित किये अपने कार्य आज ही निपटाने की कोशिश करें. रोजमर्रा की आवश्यक खाद्य सामग्री समेत अन्य जरुरी बातों का ध्यान रखें. बाहर जाने या यात्रा करने से बचें.
26 नवंबर के बाद से दिल्ली का सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) सुर्खियों में है. यहां 12 दिन से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन चर्चाओं में बने सिंघु बॉर्डर की एक और खासियत है. यह बॉर्डर भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) को जोड़ने वाले अटारी बॉर्डर (Attari Border) को सीधे दिल्ली से जोड़ता है. सिंघु बॉर्डर से करनाल (Karnal)-अंबाला (Ambala) होते हुए यह सड़क सीधे अमृतसर जाती है, जहां अटारी बॉर्डर पर जाकर यह रोड खत्म हो जाती है.
टिकरी बॉर्डर से सीधे जुड़ जाते हैं दिल्ली-हरियाणा के यह रास्ते
किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. अगर टिकरी बॉर्डर की बात करें तो यह सीधे तौर पर हरियाणा और दिल्ली को जोड़ता है. हरियाणा की बात करें तो यहां से एक हाइवे सीधा रोहतक के लिए जाता है. जानकारों की मानें तो यहां से सब्जी और दूध की सप्लाई है. इसके अलावा इसका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि यह नज़फगढ़ और नरेला को भी जोड़ता है. बॉर्डर के इस ओर टिकरी तो दूसरी ओर बहादुरगढ़ है. बहादुरगढ़ इंडस्ट्रीयल एरिया है. दिल्ली की तरफ से बहुत सारे लोग यहां काम करने के लिए जाते हैं. यह बॉर्डर मुंडका-नांगलोई को भी जोड़ता है. वहीं यहां से एक रास्ता सीधे नई दिल्ली की ओर भी जाता है.
आंदोलन के चलते आप दिल्ली में ऐसे हो सकते हैं दाखिल
- सोमवार को नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर बंद है, इसलिए आप दिल्ली आने के लिए डीएनडी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- एनएच 24 पर गाजीपुर बॉर्डर बंद है. अप्सरा, भोपरा और डीएनडी के जरिए आप गाज़ियाबाद से दिल्ली आ सकते हैं.
- किसान आंदोलन के चलते टिकरी, झरोड़ा बॉर्डर पूरी तरह बंद हैं. बदोसराय बॉर्डर को सिर्फ हल्की गाड़ियों के लिए खोला गया है. झटीकरा बॉर्डर से भी सिर्फ दोपहिया वाहन ही आ-जा सकते हैं.
- दिल्ली से हरियाणा की ओर जाने के लिए धनसा, दौराला, कापसेहड़ा, रजोकरी, बिजवासां, पालम विहार और धुंधेहड़ा बॉर्डर खुले हैं.