Covid-19: सेना के इस रिटायर अफसर ने PM Modi को लिखा खत, गंगा नदी में बताया कोरोना का इलाज

कई रिसर्च (Resarch) में यह भी पाया गया कि बैक्टेरियोफाज (बैक्टेरिया खाने वाला वायरस) कुछ वायरस पर भी असरकारक हैं. और यह गंगा नदी (Ganga River) में मौजूद है.

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नई दिल्ली. सेना (Army) से रिटायर्ड एक लेफ्टीनेंट कर्नल ने पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को खत लिखा है. रिटायर्ड अफसर का कहना है कि अगर थोड़ी सी गंभीरता के साथ गंगा नदी (Ganga River) पर शोध किया जाये तो गंगा के पानी से कोरोना (Corona) जैसी महामारी का इलाज संभव हो सकता है. जल शक्ति मंत्री को पत्र लिखा गया है. अतुल्य गंगाा अभियान से जुड़े यह अफसर और उनके दूसरे साथी जल्द ही गंगा की 5 हज़ार किमी की परिक्रमा शुरु करने जा रहे हैं. मकसद गंगा को प्रदूषण से बचाना है. यह परिक्रम पैदल की जाएगी.

रिटायर्ड अफसर ने इसलिए बताया गंगा में कोरोना का इलाज

रिटायर्ड अफसर और अतुल्य गंगा के संस्थापक मनोज किश्वर का कहना है कि गंगा की क्युरिटिव प्रापर्टी पर पहले भी रिसर्च हुई हैं. यह रिसर्च वर्क आईआईटी रूड़की, आईआईटी कानपुर, भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) लखनऊ, इमटेक सीएसआईआर, सूक्ष्य जैविकीय अध्ययन केंद्र और नीरी आदि ने किए हैं. कुछ रिसर्च में यह दावा किया गया है कि गंगा का वायरस कुछ मामलों में दूसरे वायरस पर भी असर करता है.

अलग-अलग रिसर्च में यह साबित हो चुका कि हैजा, पेचिश, मेनिन्जाइटिस, टीबी जैसी गंभीर बीमारियों के बैक्टेरिया भी गंगाजल में नहीं टिक पाते हैं. आईआईटी रूड़की से जुड़े रहे वैज्ञानिक देवेन्द्र स्वरूप भार्गव की रिसर्च है कि गंगा का गंगत्व उसकी तलहटी में ही मौजूद है और आज भी है. गंगा में आक्सीजन सोखने की क्षमता है. कई रिसर्च में यह भी पाया गया कि बैक्टेरियोफाज (बैक्टेरिया खाने वाला वायरस) कुछ वायरस पर भी असरकारक हैं.

एक समय था जब दुनिया की चार बड़ी नदियों में ये बैक्टेरियोफाज पाया जाता था. समय की मार ने बाकी तीन नदियों और उनकी सभ्यताओं को मिटा दिया. अब सिर्फ गंगा ही है जिसके पास यह अमृत तत्व मौजूद है

रिटायर्ड सैन्य अफसर का क्या है गंगा मिशन

रिटायर्ड सैन्य अफसर मनोज किश्वर ने बताया कि गंगा नदी की गदंगी का सफाया करने की मुहिम छेड़ी है. इसे अतुल्य गंगा नाम दिया गया है. इस अभियान में कई पूर्व सैन्य अधिकारियों का दल गंगा उद्गम स्थल गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक गंगा के किनारे को पैदल नापेंगा. इस यात्रा का मकसद पर्यटन नहीं बल्कि गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाना है.

यात्रा में पूर्व सैन्य अधिकारियों का सहयोगी गूगल और आईआईटी दिल्ली भी बन रहा है. गंगा नदी में हर जगह प्रदूषण का स्तर और पानी का बहाव जैसे तमाम बिंदुओं की जांच होगी. इसकी जिओ टैगिंग भी की जाएगी. इस साल से शुरू होने वाली यह मुहिम अगले 11 वर्षों तक चलेगी. आईआईटी के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक जैसे तमाम लोग भी पूर्व सैनिकों का साथ देंगे.

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