जालंधर। जालंधर के जाने-माने डॉक्टर और नेशनल इंटेग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन (एनआईएमए) के पूर्व प्रधान एसपी डोगरा की सोमवार रात को कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। शहर के माई हीरा गेट इलाके में अस्पताल चलाने वाले डॉ. डोगरा को बीते दिनों खांसी-बुखार और अन्य लक्षण दिखे। जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के चलते उन्हें मोहाली के निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। मंगलवार को हरनाम दास पुरा के श्मशानघाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार 74 वर्षीय डॉ. एसपी डोगरा को पिछले सप्ताह खांसी-बुखार के अलावा अन्य लक्षण दिखाई दिए तो उन्होंने कोविड-19 के संक्रमण की जांच करवाई। रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद उन्हें मोहाली के निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। वहां स्वास्थ्य में कुछ सुधार हुआ तो परिजन उन्हें जालंधर ले आए थे। बीते दिन हालत फिर से खराब हो जाने पर दोबारा मोहाली के अस्पताल में दोबारा भर्ती करवाया गया था। वहां डाॅ. डोगरा ने दम तोड़ दिया।
बता दें कि डॉ. डोगरा बहुत ही मिलनसार स्वभाव और ईश्वर में आस्था रखने वाले व्यक्ति थे। मृदुभाषी डॉ. डोगरा के अस्पताल में सस्ती और अच्छी सेहत सुविधाएं होने के चलते मरीजों का तांता लगा रहता था। आज के दौर में उन्होंने डॉक्टरी के पेशे से पैसे की बजाय हमेशा इज्जत ही कमाई। डॉ. डोगरा सिर्फ एक अच्छे अनुभवी चिकित्सक ही नहीं, बल्कि समाजसेवी भी थे। इतना ही नहीं, उन्होंने डॉक्टरों के हितों से जुड़ी संस्था नेशनल इंटेग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई थी। एसोसिएशन के प्रधान भी रहे।
मंगलवार को हरनाम दास पुरा के श्मशानघाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके निधन पर एसोसिएशन की तरफ से शोक संवेदनाएं व्यक्त की गई हैं। डॉ. केएस राणा, डॉ. परविंदर बजाज, डॉ. आईपी सिंह सेठी, डॉ. अनिल जखोती, डॉ. अनिल नागरथ, डॉ. आशु चोपड़ा के अलावा बड़ी संख्या में जालंधर के डॉक्टरों ने इसे कभी पूरी नहीं होने वाली क्षति बताया है।
पंजाब में कोराना संकट: कम पडऩे लगे बेड, विशेषज्ञों की बनेंगी मोबाइल टीमें
पंजाब में कोरोना के मरीज बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। इसका असर लेवल वन के अस्पतालों पर पड़ रहा है। लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में स्थिति यह है कि मरीजों के लिए बेड कम पडऩे लगे हैं, हालांकि शहर के बाकी अस्पतालों में अभी कई बेड खाली हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अभी स्थिति काबू में है लेकिन जैसे-जैसे टेस्ट की गिनती बढ़ती जाएगी, बेड कम पड़ेंगे।
पंजाब में इस समय लेवल वन के अस्पतालों में सात हजार बेड हैं और उनमें अभी 1200 मरीज ही हैं। अभी टेस्टिंग में से 15 से 20 फीसद के बीच कोरोना के मरीज पाए जा रहे हैं। जिस दिन हमारी टेस्टिंग 20 हजार रोजाना हो जाएगी, अस्पतालों में 4000 मरीज रोजाना आना शुरू हो जाएंगे।
रोज 20 हजार टेस्ट हुए तो आएंगे चार हजार तक मरीज, पंजाब सरकार ने शुरू की तैयारी
सीएमओ के एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि लुधियाना, जालंधर और अमृतसर जैसे शहरों में लोगों के पास पैसा है इसलिए वह प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने को प्राथमिकता देते हैं । इसलिए अभी दिक्कत बड़े अस्पतालों को ही आ रही है। स्वास्थ्य विभाग अब इस योजना पर काम कर रहा है कि मरीजों में विश्वास बढ़ाया जाए और उन्हें अन्य लेवल टू और लेवल थ्री के अस्पतालों में भेजा जाए।
इसके लिए एक हेल्प लाइन नंबर दिया जा सकता है जिस पर फोन करके वे मरीज जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है, पूछ सकते हैं कि उनके घर के पास कहां पर बेड खाली है ताकि वह वहां दाखिल होकर इलाज करवा सकें। इसके अलावा इनकी जांच करने और इलाज के सुझाव देने के लिए माहिर डॉक्टरों की मोबाइल टीमें तैयार की जाएं। अगर बड़े अस्पतालों के डॉक्टर लेवल टू और थ्री के अस्पतालों में भी जाना शुरू कर देंगे तो मरीज अपने आप दूसरे अस्पतालों में भी दाखिल हो जाएंगे।
पंजाब में इस समय अस्पतालों की स्थिति और मरीजों की गिनती
लेवल वन अस्पताल में 7000 बेड मरीजों की संख्या 1200
लेवल टू अस्पताल में 4900 बेड मरीजों की संख्या 1200
लेवल थ्री अस्पताल में 1000 बेड मरीजों की संख्या 200
लेवल वन, टू और थ्री अस्पताल
जिन मरीजों में कोरोना का कोई लक्षण नहीं होता, उन्हें लेवल वन अस्तपात में रखा जाता है। ऐसे मरीज घर में भी आइसोलेट हो सकते हैं। दस साल से कम और 60 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों के अलावा डायबिटीज, हार्ट, ब्लड प्रेशर के रोगी और जिनमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं और उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़े, उन्हें लेवल टू अस्पताल में दाखिल करवाया जाता है। इनके अलावा जिन मरीजों को हाईफ्लो ऑक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत पड़े उन्हें लेवल थ्री अस्पताल में भर्ती किया जाता है।