हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों के दिमाग को डैमेज कर सकता है कोविड, किडनी और दिल के लिए भी घातक; 102 साल पहले स्पेनिश फ्लू में भी दिखे थे ऐसे सिम्पट्म्स

कोविड 19 सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी पहुंचा सकता है नुकसान, इससे लकवा, साइकोसिस और स्ट्रोक्स का भी खतरा ज्यादा एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मेमोरी प्रॉब्लम, थकान, सुन्न या कमजोरी से जूझ रहे मरीज न्यूरोलॉजिस्ट या फिजीशियन से सलाह लें

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फेफड़ों और रेस्पिरेट्री सिस्टम को प्रभावित करने वाला कोरोनावायरस आपके दिमाग को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा यह गंभीर रूप से दिल, वाहिकाओं, नसों और किडनी के लिए भी काफी घातक है। ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट्स ने “ब्रेन” जर्नल में  जानकारी प्रकाशित कर बताया है कि SARS-CoV-2 हल्के लक्षण वाले या ठीक हो रहे मरीजों के दिमाग को गंभीर रूप से डैमेज कर सकता है। आमतौर पर इस तरह के डैमेज काफी वक्त बाद या कभी पता नहीं लगता है।

Brain damage could be linked to Covid-19, scientists warn - CNN

यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में न्यूरोलॉजिस्ट्स ने 40 ब्रिटिश मरीजों में एक्यूट डीमायलिनेटिंग एंसेफैलोमायलिटिस (ADEM) की पहचान की। यह बीमारी स्पाइनल कॉर्ड और दिमाग की नसों की मायलिन शीथ्स को प्रभावित करती हैं और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाती हैं।

ब्रेन डैमेज की अलग-अलग डिग्री क्या है?

  • जांच किए गए मरीजों में से 12 सेंट्रल नर्वस सिस्टम में इंफ्लेमेशन, 10 डिलिरियम या साइकोसिस के साथ ट्रांजिएंट एंसीफैलोपैथी(दिमागी बीमारी), 8 स्ट्रोस और 8 पैरिफैरल नर्व्स की परेशानियों से जूझ रहे थे। ज्यादातर गिलियन-बार सिंड्रोम का शिकार थे। यह एक तरह का इम्यून रिएक्शन है जो नर्व्स को प्रभावित करता है और लकवा का कारण होता है। 5 प्रतिशत मामलों में यह घातक होता है।
  • स्टडी के प्रमुख और यूसीएल अस्पतालों में कंस्लटेंट डॉक्टर माइकल जैंडी के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इससे पहले ऐसा कोई वायरस नहीं देखा जो दिमाग पर इस तरह हमला कर रहा है, जैसे कोविड 19 करता है। अनोखी बात यह है कि यह हल्के लक्षण वाले मरीजों के दिमाग को भी गंभीर रूप से डैमेज कर सकता है।
  • प्रकाशित हो चुके मामले इस डर की पुष्टि करते हैं कि कोविड 19 कुछ मरीजों में लंबे वक्त के लिए स्वास्थ्य समस्या का कारण बन रहा है। कई मरीज ठीक होने के बाद सांस की दिक्कत और थकान से परेशान रहते हैं। वहीं ठीक हो रहे मरीज सुन्न, कमजोरी और याद्दाश्त की परेशानियों से जूझ रहे हैं।
  • डॉक्टर माइकल समझाते हैं कि बायोलॉजिकली ADEM में मल्टिपल स्क्लेरोसिस की कुछ समानताएं हैं, लेकिन यह काफी ज्यादा घातक है और आमतौर पर केवल एकबार होता है। कुछ मरीज लंबे समय के लिए मजबूर हो जाते हैं, कुछ ठीक हो जाते हैं।
  • उन्होंने बताया कि SARS-CoV-2 से होने वाली दिमागी बीमारी के पूरे स्पेक्ट्रम और लंबे वक्त तक चलने वाले साइड इफेक्ट्स को रिकॉर्ड नहीं किया गया है। क्योंकि हॉस्पिटल में भर्ती कई मरीज ब्रेन स्कैनर्स और दूसरे तरीकों से जांच करने के लिए काफी बीमार हैं।
  • कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल डैमेज और लेट इफेक्ट्स का पता नहीं चल पाता है या ओवरलोड के कारण पता लगने में काफी वक्त लगता है। डॉक्टर माइकल ने कहा “हम कोरोनावायरस की कॉम्प्लिकेशन्स को लेकर दुनियाभर के फिजीशियन्स का ध्यान खींचना चाहेंगे। फिजीशियन्स और स्टाफ को याद्दाश्त की परेशानी, थकान, सुन्न होना और कमजोरी से जूझ रहे मरीजों को लेकर न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।”

New study shows Covid-19 carries risk of brain damage

चौंकाने वाली केस स्टडीज

  • उदाहरण के लिए एक 47 साल की महिला को अचानक एक हफ्ते बुखार और खांसी के बाद सिरदर्द हुआ और सीधा हाथ सुन्न हो गया। अस्पताल में महिला ने प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया। एक इमरजेंसी ऑपरेशन के दौरान महिला के सूजे हुए दिमाग पर दबाव कम करने के लिए खोपड़ी का हिस्सा निकालना पड़ा।
  • एक 55 साल का मरीज हॉस्पिटल से निकलने के एक दिन बाद अजीब बर्ताव करने लगा। इस मरीज को पहले कभी भी कोई दिमागी परेशानी नहीं रही थी। उदाहरण के लिए यह मरीज कई बार अपना कोट उतार और पहन रही थीं। इसके अलावा उन्हें हैल्युसिनेशन होने लगा और घर में बंदर और शेर नजर आने लगे। अस्पताल में उन्हें एंटीसाइकॉटिक मेडिकेशन दिया गया था।

Even mild coronavirus infection can cause serious brain damage ...

स्पेनिश फ्लू में करीब 10 लाख लोग हुए थे ब्रेन डैमेज का शिकार
ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट्स को डर है कि कोविड 19 कुछ मरीजों में ब्रेन डैमेज छोड़ सकता है। यह केवल आने वक्त में ही स्पष्ट हो पाएगा। एक स्टडी के मुताबिक, इसी से मिलते-जुलते साइड इफेक्ट्स 1918 में आए स्पेनिश फ्लू से उबर चुके लोगों में नजर आए थे। इनमें से संभवत: 10 लाख लोग ब्रेन डैमेज का शिकार हुए थे। यूसीएल क्वीन स्क्वायर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के डॉक्टर माइकल जैंडी कहते हैं कि “हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा नहीं होगा, लेकिन आबादी के इतने बड़े हिस्से के प्रभावित होने का कारण हमें सतर्क रहना होगा।”

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