ऑनलाइन क्लास के लिए फीस और स्कूल फीस बढ़ाने की याचिका पर SC का दखल से इंकार
देशभर में ऑनलाइन कक्षाओं के लिए फीस और स्कूल फीस बढ़ाने का मामला आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन शीर्ष अदालत ने मामले में दखल देने से इंकार कर दिया.
नई दिल्ली. देशभर में ऑनलाइन कक्षाओं के लिए फीस और स्कूल फीस बढ़ाने का मामला आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा लेकिन शीर्ष अदालत ने मामले में दखल देने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाईकोर्ट जाने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रत्येक राज्य में अलग-अलग समस्याएं हैं. आप पूरे देश की समस्याओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे तो हम पूरे राज्य की समस्या का हल कैसे निकालेंगे.
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि हमें नहीं पता कि कौन सारे राज्यों की समस्या पर आदेश जारी करेगा. याचिकाकर्ता ने कहा कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्कूलों की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए फीस लेने का आदेश दिया है. इसपर अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य की फीस बढ़ाने के मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों में फीस वसूली के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आठ राज्यों के पेरेंट्स एसोसिएशन ने अर्जी लगाई थी. याचिका में इस मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नियमन और व्यवस्था बनाए जाने की गुहार लगाई गई थी.
याचिका में कहा गया कि ऑनलाइन क्लास के नाम पर स्कूल पूरी फीस वसूल रहे हैं, यह कतई अनुचित है. इतना ही नहीं, कई स्कूल तो ऑनलाइन क्लास के लिए अतिरिक्त शुल्क तक वसूल रहे हैं.
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पंजाब हाईकोर्ट दे चुका फैसला, स्कूलों को मिली Tuition Fee लेने की अनुमति
गत एक जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कोरोनावायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों को ट्यूशन फी लेने की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर ने स्कूलों को नामांकन शुल्क एकत्र करने की इजाजत दे दी. इंडिपेन्डेंट स्कूल एसोसिएशन, पंजाब स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन, मान्यताप्राप्त और संबद्ध स्कूलों के एसोसिएशन तथा कुछ अन्य संगठनों की याचिकाओं पर यह आदेश आया. अदालत ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की गई या नहीं, इसके बावजूद सभी स्कूलों को ट्यूशन फी जमा करने की अनुमति दी जाती है.”
अदालत ने कहा कि हालांकि स्कूलों को ऑनलाइन या दूर शिक्षा के लिए प्रयत्न जारी रखना होगा, ताकि कोविड-19 के कारण मौजूदा या भविष्य में लॉकडाउन से शिक्षा पर असर नहीं पड़े. आदेश के मुताबिक, जो अभिभावक शुल्क भुगतान करने में सक्षम नहीं होंगे उन्हें अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में आवश्यक प्रमाणपत्र के साथ आवेदन देना होगा. इस पर स्कूल सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा और पूरी तरह या आंशिक तौर पर छूट दी जा सकेगी.
वहीं, कुछ समय पहले सीबीएसई के डायरेक्टर ने कहा था कि बच्चों की सही शिक्षा के लिए माता-पिता और स्कूल मैनेजमेंट के बीच सहयोग की आवश्यकता है. सीबीएसई के ट्रेनिंग और स्किल डायरेक्टर बिस्वजीत साहा ने शिक्षा पर एक ई-सत्र के आयोजन के दौरान कहा था कि “माता-पिता और स्कूल प्रबंधन को बच्चों की शिक्षा के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए.” दरअसल अभिभावकों की तरफ से इस बात की शिकायत की गई थी कि कुछ प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी कई दूसरी चीजों की फीस ले रहे हैं, जबकि स्कूल लंबे समय से बंद हैं. लॉकडाउन के दौरान बच्चों की सिर्फ सीमित ऑनलाइन क्लासेस ही ली गई हैं. ऐसे में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य चीजों के लिए फीस की मांग करना गलत है.