कोरोना के प्रकोप से 21 साल में सबसे सस्ता हुआ कच्चा तेल, 15 डॉलर/बैरल हुआ भाव
कोरोना वायरस (Coronavirus) प्रकोप और भंडारण क्षमता के न होने के चलते अमेरिकी कच्चा तेल (Crude Oil) सोमवार को दो दशक से अधिक के अपने निचले स्तर 15 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया.
नई दिल्ली. कोरोनो वायरस (Coronavirus) की वजह से दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियांठप हैं. कोरोना वायरस प्रकोप और भंडारण क्षमता के न होने के चलते अमेरिकी कच्चा तेल (Crude Oil) सोमवार को दो दशक से अधिक के अपने निचले स्तर 15 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया. एशियाई बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान अमेरिकी मानक वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) 19 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ 14.73 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया. हालांकि, बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ और यहा 15.78 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया.
अंतर्राष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) 4.1 प्रतिशत गिरकर 26.93 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, हालांकि बाद में इसमें थोड़ा सुधार हुआ और यह 28.11 डॉलर के भाव पर था. हाल के सप्ताहों में लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के कारण दुनिया भर में कच्चे तेल की मांग घटी है.
कच्च्चे तेल का लेकर चल रहा प्राइस वॉर
मार्च महीने से ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में लगातार नरमी देखने को मिल रही है. कच्चे तेल की कटौती को लेकर सऊदी अरब और रूस कोई सहमति नहीं बन सकी थी. इसके बाद सऊदी अरब ने अपने प्रोडक्शन में 1.20 करोड़ बैरल प्रति दिन का इजाफा कर दिया था.
पिछले हफ्तेसऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओपेक और रूस के नेतृत्व वाले गैर-ओपेक तेल उत्पादक देशों ने अगले दो महीनों में उत्पादन में 97 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करने के लिए एक समझौता किया था. इस पहल का मकसद कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन था सऊदी अरब और रूस के बीच कीमत युद्ध के कारण कच्चे तेल के भाव में आयी गिरावट का रोकना था.
10 डॉलर तक कीमत पहुंचने का अनुमान
पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी जिसमें ये अंदेशा जताया गया था कि अगर सोमवार को ओपेक प्लस देशों की बैठक लंबे समय के लिए टल जाती है तो कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. इन तमाम वैश्विक घटनाक्रम के बीच आज 21वें दिन भी पेट्रोल डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं आया है.