नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ चुकी है. केवल अति-आवश्यक काम और सेवाएं ही चल रही है. ऐसे में अब केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के लिए एक और पैकेज पर मंथन कर रही है. इसी के लिए अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मंत्रालय के सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के बीच लगातार बैठकों और विमर्श का दौर चल रहा है.
बीते सप्ताह में वित्त मंत्रालय और PMO के लिए आला अधिकारियों के बीच एक और फिस्कल पैकेज को लेकर कई दौर की बैठके हुईं. बिजनेस अखबार मिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में दो वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है.
इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया, ‘अर्थव्यव्सथा की हालत को देखते हुए बीते एक सप्ताह में वित्त मंत्रालय और PMO के बीच कई बैठके हुई हैं. कोरोना वायरस महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार रास्ते तलाश रही है.’
14 अप्रैल को खत्म होना है लॉकडाउन
बता दें कि वर्तमान में 21 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown in India) चल रहा है, जोकि 14 अप्रैल को खत्म होने वाला है. अभी तक प्राप्त जानकारी से लगता है कि सरकार चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खत्म करेगी. हालांकि, इसपर कोई सरकारी बयान सामने नहीं आया है.
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को धक्का
सूत्रों से प्राप्त जानकारी में कहा गया है कि अधिकारी चालू वित्त वर्ष के लिए रेवेन्यू और व्यय पर करीबी नजर बनाए हुए हैं. देशभर में लॉकडाउन की वजह से बड़े स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर धक्का लगा है. रेलवे सेवा ठप होने से लेकर विमान सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है.
पहले भी RBI और केंद्र सरकार ने उठाए हैं कदम
एक अधिकारी के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार 3 सप्ताह तक आउटपुट एक्टिविटी बंद होने की वजह से पहली तिमाही में सरकारी रेवेन्यू पर बुरा असर पड़ने वाला है. वहीं, केंद्र सरकार ने 1.7 लाख करोड़ रुपये का पहले ही राहत पैकेज ऐलान कर दिया है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने भी 3.7 लाख करोड़ रुपये के लिक्विडिटी बूस्ट का कदम उठाया है. ऐसे में एक और राहत पैकेज पर फैसला लेते समय केंद्र सरकार इस बात का भी ध्यान रखेगी.
सरकारी रेवेन्यू को लग सकता है बड़ा धक्का
इस महामारी की वजह से भारतीय व वैश्विक कैपिटल मार्केट पर भी असर पड़ा है, जबकि दुनियाभर की इंडस्ट्रीज के लिए परेशानियां खड़ी हो गई हैं. कैपिटल मार्केट धराशायी होने के बाद अब वित्त वर्ष 2021 के लिए केंद्र सरकार के विनिवेश प्रोग्राम पर खड़े हो सकते हैं. रेवेन्यू और राजकोषिय आंकड़े पर भी इसका असर देखने को मिलेगा. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने राजकोषिय घाटे का अनुमान 3.5 फीसदी रखा है. फरवरी के बाद से अब तक घरेलू स्टॉक मार्केट में 30 फीसदी से भी अधिक की गिरावट देखने को मिली है.