कोरोना वायरस से दुनिया भर में आएगी आर्थिक तबाही, सिर्फ बचेगा भारत और चीन- संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना (Coronavirus Impact) के कहर से दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है, हालांकि भारत और चीन (India-China) के लिए राहत भरी खबर ये है कि इन पर मंदी (Global Economy in Rescission) की मार दूसरे देशों की तुलना में कम पड़ेगी.
नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Impact) के चलते दुनिया आर्थिक मंदी (Global Economy in Rescission) की कगार पर आकर खड़ी हो गई है. इससे दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को कई ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है. संयुक्त राष्ट्र की ताजा ट्रेड रिपोर्ट में ये बातें सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थिति में विकासशील देशों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा, लेकिन चीन और भारत जैसे देश इसमें अपवाद साबित होंगे.
यूएनसीटीएडी के सेकेट्री जनरल के मुताबिक, कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई आर्थिक गिरावट जारी है. आने वाले दिनों में और तेजी से बढ़ेगी, जिसका अनुमान लगाना मुश्किल है.
क्या होगा चीन और भारत पर असर-
- संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनाइटेड नेशन ट्रेड एंड डेवलेपमेंट बॉडी (UNCTAD) ने मौजूदा हालात को देखते हुए अनुमान लगाया है कि दुनिया के गरीब और विकासशील देशों को आर्थिक मंदी से उबरने के लिए लगभग 2-3 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत पड़ेगी. संस्था ने ये भी कहा है कि विकासशील देशों को हालात सामान्य करने में लगभग 2 साल तक का वक्त लग सकता है.
- जी20 देशों के अनुसार, उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्थाओं के लिए करीब 375 लाख करोड़ रुपये (5 लाख करोड़ डॉलर) के राहत पैकेज की घोषणा की है.
- यूएनसीटीएडी ने कहा, ‘यह एक बड़े संकट में उठाया गया एक अभूतपूर्व कदम है, इससे इस संकट से आर्थिक रूप और मानसिक रूप से निपटने में मदद मिलेगी.
- यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) की ‘द कोविड-19 शॉक टू डेवलपिंग कंट्रीज: टुवार्ड्स अ वाट्एवर इट टेक्स’ शीर्षक वाले यूएन ट्रेड एंड डेवलपमेंट का प्रोग्राम विश्व की दो-तिहाई आबादी के लिए काफी पीछे रह गया है.
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विश्लेषण के अनुसार, कमोडिटी-रिच एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़ (कच्चा तेल और एग्री प्रोडक्ट समेत कई और चीजों का एक्सपोर्ट करने वाले देश) को अगले दो साल में विदेशों से होने वाले निवेश में दो से तीन ट्रिलियन डॉलर की गिरावट का सामना करना पड़ेगा.