नई दिल्ली. मोदी सरकार ने फाइनेंशियल सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए देश की 3.38 लाख निष्क्रिय (Inoperative) कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगा दी है. यही नहीं बैंकों में धोखाधड़ी करने वालों पर सीबीआई ने 626 मामले दर्ज किए हैं. जिनमें से 2,111 आरोपियों पर आरोप (चार्ज-शीट) तय किए गए हैं. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने यह कार्रवाई वित्तीय वर्ष 2016-17 से इस साल 31 जनवरी तक की है. इस बात की जानकारी सांसद रवि प्रकाश वर्मा द्वारा राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी है.
बैंकों में फ्रॉड न हो इसके लिए सरकार की ओर से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) को कुछ सलाह भी है.
(1) 50 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लेने वाली कंपनियों के प्रमोटरों और डायरेक्टरों व अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं (Authorized signatories) के पासपोर्ट की प्रमाणित कॉपी जमा करवाने को कहा गया है.
(2) आरबीआई (RBI) के निर्देशों के मुताबिक जान-बूझकर डिफॉल्टरों होने वालों की तस्वीरें प्रकाशित की जाएं.
(3) बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों के रोटेशनल ट्रांसफर को सख्ती से लागू किया जाए.
(4) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के पास लुक-आउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार देने का अनुरोध किया गया है.
(5) ऑडिट की गुणवत्ता तय करने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority) नाम की एक एजेंसी बनाई गई है.
राज्यसभा सांसद संजय सेठ के एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया सीबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 801 अधिकारियों व स्टाफ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी. सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपनी नीति पर चलते हुए भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कई उपाय किए हैं.