लक्ष्मी विलास बैंक के इंडियाबुल्स फाइनेंस के साथ असफल विलय से लेकर अब तक की पूरी कहानी

आइए जानते हैं कि साल 2019 से लेकर अब तक लक्ष्मी विलास बैंक को किन बड़ी समस्याओं से गुजरना पड़ा ... मनोहरन ने कहा कि आरबीआई का मोरेटोरियम 30 दिनों का है और तब तक बैंक किसी समाधान तक पहुंच सकता है. डीबीएस ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है और वह 2,500 करोड़ रुपये की शुरुआती रकम का निवेश करने जा रहा है.

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नई दिल्ली. लक्ष्मी विलास बैंक (LVB) पिछले साल सितंबर से ही चर्चा का विषय बना हुआ है. 94 साल पुराने इस बैंक पर पिछले साल सितंबर के बाद से पाबंदी लगा दी गई है. लक्ष्मी विलास बैंक का पिछले साल इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के साथ विलय हो गया था जिस पर आरबीआई ने पीसीए (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) के तहत रोक लगा दी थी. मोरेटोरियम पर डाले जाने के बाद अब रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के DBS बैंक में विलय के आदेश दिये हैं.आज NSE पर शेयर 20 प्रतिशत गिरकर 9.95 रुपये प्रति शेयर पर आ गए हैं. पिछले साल आरबीआई द्वारा इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस में इसका विलय रोके जाने के बाद 6 महीने में ही बैंक ने 71 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की थी. बैंक पर कमाई, क्रेडिट रेटिंग जैसे कई मामलों को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं.

मार्च में लॉकडाउन के पहले से लक्ष्मी विलास बैंक की हालत खराब थी. 94 साल पुराने बैंक के एसेट और लायबिलिटी को डीबीएस को सौंपने का फैसला किया गया है. इसके बाद डीबीएस के जिम्मे 563 शाखाएं, 974 एटीएम और रिटेल लायबिलिटी के रूप में 1.6 अरब डॉलर फ्रेंचाइजी आएगी.

एक दिन में लोगों ने निकाले 10 करोड़ रुपये-बैंकिंग संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहक बुधवार को बैंक के बाहर जमा हो गए. आरबीआई ने मंगलवार को लक्ष्मी विलास बैंक को एक महीने के मोराटोरियम पर डाल दिया है. इसके बाद लक्ष्मी विलास बैंक की शाखा पर बुधवार को ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी है. आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक से रकम निकासी पर कैप लगा दिया है.

अब ग्राहक एक महीने में बैंक से 25,000 रुपये से अधिक नहीं निकाल सकते. इसके बाद इस प्रतिबंध के पहले दिन ही ग्राहकों ने बैंक से 10 करोड़ रुपये की निकासी की है.लक्ष्मी विलास बैंक के प्रशासक टी. एन मनोहरन ने यह जानकारी दी है. मनोहरन ने कहा कि बैंक की शाखाओं में भारी दबाव है और लोग पैसे निकाल रहे हैं. बैंक की स्थिति खराब होने की खबर के कारण ग्राहक पैसे की निकासी कर रहे हैं.
आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 25,000 रुपये तय की है. किसी आपात स्थिति में 5 लाख रुपये निकाले जा सकते हैं. इलाज, शादी, शिक्षा और अन्य के लिए यह रकम निकाली जा सकती है, लेकिन इसके लिए ग्राहकों को सबूत भी देना होगा.

मनोहरन ने कहा कि आरबीआई का मोरेटोरियम 30 दिनों का है और तब तक बैंक किसी समाधान तक पहुंच सकता है. डीबीएस ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है और वह 2,500 करोड़ रुपये की शुरुआती रकम का निवेश करने जा रहा है.


आइए जानते हैं कि साल 2019 से लेकर अब तक लक्ष्मी विलास बैंक को किन बड़ी समस्याओं से गुजरना पड़ा –

5 अप्रैल 2019: लक्ष्मी विलास बैंक का इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस में विलय हुआ.

21 जून 2019: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (The Competition Commission of India ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस और लक्ष्मी विलास बैंक के बीच प्रस्तावित विलय को मंजूरी दी.

29 जुलाई 2019: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भेजकर इंडियाबुल्स ग्रुप पर 1 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया.

16 अगस्त 2019: मूडीज ने कंपनी के दीर्घकालिक कॉर्पोरेट परिवार की रेटिंग को Ba1 से Ba2 तक घटा दिया.

28 अगस्त 2019: अधिक ऋण और अपर्याप्त पूँजी के कारण आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक को PCA (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) के अंदर डाल दिया.

30 अगस्त 2019: लक्ष्मी विलास बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक पार्थसारथी मुखर्जी ने इस्तीफा दे दिया.

31 अगस्त 2019: आईसीआरए ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस को 1.12 ट्रिलियन लॉन्ग-टर्म डेट प्रोग्राम AA+ में डाउनग्रेड कर दिया.

10 सितंबर, 2019: CRISIL ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के दीर्घावधि ऋण को AA+ से डाउनग्रेड करके AAA कर दिया.

24 सितंबर 2019: CARE रेटिंग्स ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की लॉन्ग टर्म रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया.

30 सितंबर 2019: एक NGO द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में डाली गई जनहित याचिका में वित्तीय अनियमितताओं और कंपनी के प्रवर्तकों के खिलाफ अन्य उल्लंघनों के आरोपों में जाँच करने का निर्णय लिया गया.

2 अक्टूबर 2019: लक्ष्मी विलास बैंक के स्वतंत्र निदेशक ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए बैंक से इस्तीफा दे दिया.

2 अक्टूबर 2019: अपर्याप्त पूंजी और परिसंपत्तियों पर नकारात्मक रिटर्न के कारण आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक को PCA के तहत डाल दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के खिलाफ दायर जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया.

6 फरवरी 2020: लक्ष्मी विलास बैंक को बचाने के लिए पहली बार DBS के नाम की चर्चा हुई.

9 मार्च 2020: लक्ष्मी विलास बैंक को हासिल करने के लिए कोटक महिंद्रा बैंक ने भी प्रस्ताव दिया.

9 अक्टूबर 2020: लक्ष्मी विलास बैंक ने घोषणा की कि उसे क्लिक्स समूह से एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव मिला है.

15 अक्टूबर 2020: लक्ष्मी विलास बैंक को राइट्स इश्यू के जरिए 500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बोर्ड की मंजूरी मिली.

17 नवंबर 2020: लक्ष्मी विलास बैंक को मोरेटोरियम के अंतर्गत लाते हुए आरबीआई ने डीबीएस बैंक इंडिया के साथ इसके विलय का प्रस्ताव रखा.

 

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