GST compensation: 1.1 लाख करोड़ रुपये उधार लेकर राज्यों को भरपाई देगी केंद्र सरकार

जीएसटी क्षतिपूर्ति मामले में वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने कहा कि वो स्पेशल विंडो के तहत 1.1 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी. इस उधार से केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) पर कोई असर नहीं पड़ेगा ।

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नई दिल्ली. वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति (GST Compensation) को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि वो स्पेशल विंडो के जरिए 1.1 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी. वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर में कमी की भरपाई के ​लिए केंद्र सरकार 1.1 लाख करोड़ रुपये उधार लेगी. इसमें कहा गया कि केंद्र यह मानकर चल रहा है कि सभी राज्य इससे सहमत होंगे. यह उधार उपयुक्त हिस्सों में लिया जाएगा. मंत्रालय की तरफ से जारी किए एक बयान में कहा गया कि उधार ली गई राशि को राज्यों को “जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर के बदले में बैक-टू-बैक लोन के रूप में पारित किया जाएगा.”

केंद्र सरकार द्वारा लिए जाने वाले इस उधार से राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इस राशि को राज्यों के पूंजीगत प्राप्ति के रूप में दर्शाया जाएगा और यह उनके संबंधित राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण होगा. जीएसटी क्षतिपूर्ति में कुल 2.35 लाख करोड़ रुपये की है. इसमें जीएसटी कमी के तौर पर 1.1 लाख करोड़ रुपये हैं.

केंद्र सरकार को 2 विकल्प दिए

अगस्त 2020 में हुई काउंसिल की बैठक में केंद्र ने जीएसटी की भरपाई के लिए दो विकल्प सुझाए थे. एक, राज्यों को एक स्पेशल विंडो मुहैया कराई जाएगी, जिसके तहत वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से लोन ले सकते हैं. इसमें कम ब्याज दर पर राज्यों को 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज मिल सकता है. इस रकम को 2022 तक सेस कलेक्शन से जमा किया जा सकता है.केंद्र सरकार ने दूसरे के विकल्प के तौर पर कहा था कि स्पेशल विंडो के तहत पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये लोन लिया जा सकता है.

क्या है क्षतिपूर्ति का मुद्दा
कोरोनावायरस के कारण देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस कारण देश में राज्यों से होने वाले जीएसटी कलेक्शन में बड़ी कमी आई है. जीएसटी एक्ट के तहत राज्यों को 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्षों में राजस्व के किसी भी नुकसान के लिए भुगतान प्राप्त करने की गारंटी दी गई थी. वहीं, 2015-16 के आधार वर्ष में राज्यों द्वारा जीएसटी संग्रह में 14 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की कमी की गणना की गई है. राज्यों ने राजस्व कमी को पूरा करने के लिए साल 2022 तक क्षतिपूर्ति करने का वादा किया है.

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