नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस बीच COVID19 महामारी के खिलाफ जारी जंग में केंद्र सरकार ने निजी सुरक्षा उपकरण (PPE) और डायग्नॉस्टिक किट (Diagnostic Kit) की मांग में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का मानना है कि आने वाले 2 महीनों में करीब 2 करोड़ 70 लाख N-95 मास्क, 1 करोड़ 50 लाख PPE, 16 लाख डायग्नॉस्टिक किट और 50 हजार वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी.
किस चीज की बढ़ने वाली है मांग
FICCI के प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में भाग लिया. बताया गया कि जून 2020 तक 27 मिलियन (2 करोड़ 70 लाख) N-95 मास्क, 1.6 मिलियन (16 लाख) टेस्ट किट और 15 मिलियन (1 करोड़ 50 लाख) PPE की मांग का अनुमान है और इन्हें खरीदने को लेकर काम किया जा रहा है. इसके अलावा जून महीने तक 50,000 वेंटिलेटर्स की मांग का आकलन लगाया गया है. इनमें से 16,000 वेंटिलेटर पहले से मौजूद हैं, और 34,000 वेंटिलेटर के लिए ऑर्डर दिए गए हैं. अधिकारी ने बताया कि विदेश से वेंटिलेटर और अन्य PPE की खरीद के लिए विदेश मंत्रालय ने संज्ञान लिया है.
इस बैठक में अमिताभ कांत के अलावा प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. विजयराघवन, एनडीएमए के सदस्य कमल किशोर, सीबीआईसी सदस्य संदीप मोहन भटनागर, अतिरिक्त सचिव (गृह) अनिल मलिक, पीएमओ के संयुक्त सचिव गोपाल बागले, और कैबिनेट सचिवालय की उप सचिव टीना सोनी भी शामिल थे.
सरकार ने मेडिकल उपकरणों के एक्सपोर्ट पर लगाई हुई है लगाम
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अहम मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए जूझ रही है और पिछले कुछ हफ्तों में उनके निर्यात पर पाबंदी लगा दिए गई है. इसी कड़ी में ताजा कदम है शनिवार को टेस्ट किट के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना. 24 मार्च को, सरकार ने “किसी भी कृत्रिम श्वसन तंत्र या ऑक्सीजन थेरेपी उपकरण या किसी अन्य श्वास उपकरण समेत सभी तरह के वेंटिलेटर्स और सैनिटाइजर” के निर्यात पर रोक लगा दी थी.
इसी तरह, सर्जिकल मास्क, टेक्सटाइल रॉ मैटेरियल और मास्क के लिए कच्चे माल के निर्यात पर 19 मार्च से प्रतिबंध लगा दिया गया था. केरल में देश में कोरोनो वायरस का पहला मामला दर्ज होने के एक दिन बाद 31 जनवरी को पीपीई और मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.