आपकी जेब में रखा नोट है खतरनाक, ला सकता है जान पर आफत

आपके पर्स में रखा नोट बहुत खतरनाक होता है. ऐसा हम नहीं कह रहे. बल्कि डब्ल्यूएचओ का कहना है. इससे कोरोना वायरस के फैलने का पूरा खतरा है.

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नई दिल्ली. कोरोना वायरस …जो शायद एक मिलीमीटर का दस हज़ारवां या उससे भी छोटा हिस्सा हो… ये अब तक दुनिया में 3000 से अधिक जानें ले चुका है और कुछ ही दिनों में इसने दुनिया को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचाया है. पिछले एक महीने से शहर के शहर बंद हैं. लगभग सात करोड़ लोग अपने घरों के भीतर कैद हैं. यातायात सेवाएं बंद हैं, लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी है. वहीं, डब्ल्यूएचओ यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO- World Health Organization) ने अब रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होने वाले करेंसी नोटों को लेकर भी सावधानी बरतने के लिए कहा है.

बैंक नोट से होता है टीबीअल्सर और सेप्टीसीमिया जैसी बीमारियां का खतरा

डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन और कोरिया से मिली जानकारी के आधार पर बैंक से निकलने वाले नोटों से भी कोरोना वायरस फैल सकता है. कोई संक्रमित व्यक्ति अगर कोई नोट दूसरे को देता है तो बहुत संभावना है कि इससे संक्रमण फैल जाए. एक बैंकर के अनुसार नोट जिस मैटेरियल से बनता है उसमें वायरस और बैक्टीरिया ट्रांसफर करने की पूरी संभावना होती है. इसीलिए आम लोगों को एक दूसरे से नकदी लेन देन से बचना चाहिए.

हाल में हुई रिसर्च में भी कई ऐसे खुलासे हुए हैं जिनमें इनसे होने वाली गंभीर बीमारियों का जिक्र किया गया है. करेंसी नोटों से कई तरह की गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है. इनमें टीबी, अल्‍सर, तपेदिक और डिसेंट्री जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं.

करेंसी नोटों से होने वाली गंभीर बीमारियों का खुलासा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बॉयोलॉजी (आईजीआईबी) की रिपोर्ट में किया गया है. यह इंस्टीट्यूट काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर) के अधीन काम करता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कीटाणु करेंसी नोटों के जरिए एक से दूसरी जगह पर पहुंचते रहते हैं, जो अपने साथ विभिन्न प्रकार की खतरनाक बीमारियां लाते हैं. ऐसा ही एक खुलासा माइक्रोबायोलॉजी एंड अप्लायड साइंस की रिपोर्ट में 2016 में भी किया गया था.

इस रिपोर्ट को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज में किए गए शोध के आधार पर तैयार किया गया था. शोध के दौरान 120 करेंसी नोटों की जांच की गई. इनमें से 86.4 फीसदी नोट कीटाणु वाले पाए गए जिससे बीमारी फैलने की आशंका थी. ये नोट व्यापारी, डॉक्टर, छात्र एवं घरेलू महिलाओं से लिए गए थे.

इसके अलावा कर्नाटक के दावणगेरे में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रिसर्च की स्टडी रिपोर्ट के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि 58 प्रतिशत बैंक नोट संक्रमण फैलाने में मदद करते हैं. इस स्टडी के लिए भी अलग-अलग जगहों से सौ करेंसी नोट इकट्ठा किए गए थे जिनमें 100, 50, 20 और 10 रुपये के करेंसी नोट शामिल थे. अब सवाल उठता है कि क्या नोटों को साफ किया जा सकता है तो आपको बता दें कि चीन ऐसा ही कुछ कर रहा है.

इसीलिए चीन कर रहा है नोटों को वायरस से क्लीन
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए चीन अब बैंक नोट की सफाई करने में जुटा है. बैंक के पास आने वाली नकदी का ट्रीटमेंट अल्ट्रा वायलेट रेज से किया जा रहा है. इसके अलावा बहुत गर्म तापमान में भी रखने से करेंसी नोट को कोरोना के संक्रमण से मुक्त किया जा सकता है.

बैंक यह उपाय भी अपना रहे हैं. इसके साथ ही किस इलाके से करेंसी नोट आ रहे हैं, उस हिसाब से उन नोट को ट्रीट करने के बाद सात से 14 दिन के लिए स्टॉक में रख दिया जाता है. वास्तव में रिसर्च में कहा गया है कि कोरोना वायरस को अगर फैलने का मौका नहीं मिले तो किसी निर्जीव वस्तु से इसका असर सात-दस दिन के बाद खुद खत्म हो जाता है. बैंक ऑफ इंग्लैंड की ओर से बताया गया है कि फिलहाल ब्रिटेन में चीन या कोरिया की तरह कुछ करने की कोई योजना नहीं है. भारत में भी शायद इसको लेकर जल्द कोई कदम उठाया जा सकता है.

कहां छपते हैं भारत में बैंक नोट
जिन नोटों को आप चलन में देखते हैं उनकी छपाई नासिक, देवास, मैसूर और सल्बोनी की करेंसी प्रिंट में होती है. जहां एक ओर नासिक और देवास नोट प्रिंटिंग प्रेस भारत सरकार के अधीन हैं तो वहीं मैसूर और सल्बोनी की प्रिंटिंग प्रेस आरबीआई की भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड के अधीन आती है. वहीं सिक्कों को ढालने का काम मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में होता है.

कैसे पूरे भारत में पहुंचती है करेंसी
प्रिंटिंग प्रेस और मिंट में छपने वाली करेंसी और सिक्कों को वितरण के लिए प्रिंटिग प्रेस और मिंट को सीधे रेल लाइन से जोड़ा गया है ताकि करेंसी को पूरे भारत में कहीं भी जल्द से जल्द पहुंचाया जा सके. वायुसेना करेंसी नोटों को प्रिंटिंग प्रेस से आरबीआई के 18 सेंटरों तक पहुंचाते हैं.

प्रिंटिंग प्रेस में छपे हुए नए नोटों को आरबीआई की शाखाओं के चेस्ट में भेज दिया जाता है. अभी ऐसे 4,075 करेंसी चेस्ट हैं जहां नोट पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं. सामान्य भाषा में करेंसी चेस्ट एक स्टोरहाउस होता है जहां बैंक नोट और सिक्के रिजर्व बैंक की तरफ से रखे (स्टॉक) जाते है.

करेंसी चेस्ट को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ स्थापित किया गया था, इसके साथ ही इसमें छह सहयोगी बैंकों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, एक विदेशी बैंक, एक राज्य सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी शामिल है.

अब फिर से आपके मन में शायद ये सवाल आया होगा कि इसका क्या हल है. तो शायद इसका जवाब कैशलेस ट्रांजेक्शन हो सकता है. अगर बोल-चाल की भाषा में कहें तो फोन बैंकिंग, यूपीआई, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट के जरिए आप अपनी रोजमर्रा की चीजों के भुगतान में इन सभी का इस्तेमाल कर सकते है. हालांकि, सेना,  मीडिया और हर स्तर का प्रशासन, यहां तक कि ग्राम सभाओं को भी जिस वायरस के खिलाफ लड़ाई में झोंक दिया गया हो. उसको लेकर अभी भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि कब तक इस वायरस के प्रसार को रोक जा सकता है या फिर रोक भी पाएंगे या नहीं.

 

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