तमिलनाडु में भाजपा सहयोगी पार्टी; लेकिन रैली में भीड़ भाजपा शासित राज्यों जैसी, अमित शाह भाषण की शुरुआत तमिल न बोल पाने की माफी के साथ करते हैं
पार्टी की रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए RSS कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं फिलहाल भाजपा का मकसद राज्य में चर्चा में बने रहना और पार्टी की ताकत दिखाना है
चेन्नई से लगभग 170 किलोमीटर निकलते ही विल्लुपुरम जिला आ जाता है। रेगिस्तान जैसी नजर आ रही कावेरी नदी को पार करते ही माहौल खासा चुनावी नजर आने लगता है। झंडे लगी गाड़ियों के काफिले तेजी से गुजर रहे हैं। विल्लुपुरम से थोड़ा पहले कार्यकर्ता गाड़ियों की गिनती कर रहे हैं। पूछने पर बताते हैं कि अब तक इस तरफ से 1100 गाड़ियां जा चुकी हैं। इन्हीं गाड़ियों का पीछा करते हम सभास्थल तक पहुंचते हैं।
तीन-चार किलोमीटर चल चुकने के बाद भी गाड़ियों की कतार खत्म होती नजर नहीं आती। यह सभा तमिलनाडु के प्रमुख दल AIADMK या DMK की नहीं है। पुडुचेरी से सटे विल्लुपुरम में इस सभा को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संबोधित करने वाले हैं। हमने एक कार्यकर्ता से पूछा कि कहां जा रहे हो? जवाब आया- ‘भारतीय जनता कट्च्ची।’ तमिल भाषा में भारतीय जनता पार्टी का पार्टी शब्द बदलकर ‘कट्च्ची’ हो जाता है। जो तेजी से उच्चारण करने पर किसी उत्तर भारतीय को ‘भारतीय जनता कच्ची’ जैसा सुनाई देता है, लेकिन सभा का माहौल देखकर लगता है कि यहां अपना प्रसार करने के लिए भाजपा बहुत पक्के इरादे के साथ उतरी है।
भाजपा का तमिलनाडु में बड़ा जनाधार नहीं है, फिर भी इतनी भीड़? इस सवाल पर वहां मौजूद कार्यकर्ता कहते हैं कि इसमें AIADMK के भी समर्थक हैं। हालांकि, सभास्थल के आसपास के स्थानीय लोगों का इसको लेकर दूसरा नजरिया भी है। स्थानीय लोग कहते हैं, ‘किसी भी पार्टी की रैलियां, तमिलनाडु में चुनावी मौसम में रोजगार का बड़ा जरिया होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में फिलहाल 500 रुपए और शहरी इलाकों में 800 रुपए मिलने पर लोग किसी भी पार्टी की रैली में चलने को तैयार हो जाते हैं। रैली में आने के लिए पुरुषों के लिए सफेद धोती-शर्ट और महिलाओं को साड़ी भी मिलती है, जो अतिरिक्त आकर्षण है। इसलिए चुनावी रैलियों में यहां आपको भीड़ खूब दिखेगी।’
‘तमिल गौरव गान’ में जुटी भाजपा
तमिल मतदाता अपनी संस्कृति, भाषा को लेकर बहुत भावुक हैं। अमित शाह विल्लुपुरम में अपने भाषण की शुरुआत ही इस बात के लिए माफी मांगकर करते हैं कि वह लोगों से महान प्राचीन तमिल भाषा में बात नहीं कर पा रहे हैं।
हिंदी भाषी राज्यों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा अब राज्य में तमिल गौरव गान को प्रमुख रणनीति बना रही है। मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने तमिल भाषा संस्कृति की खूब तारीफ की थी। विल्लुपुरम के अपने भाषण में अमित शाह भी कहते हैं कि तमिलनाडु में पढ़ाई मातृभाषा में ही होगी। अमित शाह इस मसले को लेकर इसलिए भी ज्यादा सतर्क नजर आते हैं, क्योंकि हाल में राहुल गांधी कई बार कह चुके हैं कि भाजपा तमिलों का सम्मान नहीं करती है।
भाजपा हर हाल में चर्चा में बने रहना चाहती है
तमिलनाडु में भाजपा का सत्तारूढ़ AIADMK के साथ गठबंधन है। पार्टी की राज्य में अभी मौजूदगी खास नजर नहीं आती, लेकिन यहां पार्टी चर्चा में रहना चाहती है। तमिलनाडु की राजनीति का ही हिस्सा, पुडुचेरी में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार गिरा कर खुद के मजबूत होने का संकेत दिया है। चर्चा में आने की रणनीति सफल भी हुई है। तमिलनाडु में प्रभाव बढ़ाने के लिए पुडुचेरी के घटनाक्रम का सहारा लिया जा रहा है। पार्टी ने राज्य में अपनी संकल्प यात्रा की शुरुआत भी यहां से सटे जानकीपुरम से की।
2G, 3G, 4G जरिए परिवारवाद पर प्रहार
अमित शाह 2G, 3G, 4G के फार्मूले का जिक्र कर प्रमुख विपक्षी दल DMK और कांग्रेस पर निशाना साधते हैं। 2G से अमित शाह का मतलब मारन परिवार की 2 पीढ़ियों के परिवारवाद से होता। 3G को उन्होंने करुणानिधि, उनके बेटे स्टालिन और फिर उनके बेटे उदयनिधि से जोड़ा। इसी क्रम में 4G कांग्रेस की चौथी पीढ़ी यानी राहुल गांधी पर हमले से जुड़ जाता है। इस फार्मूले को अमित शाह सभा में दो बार समझाते हैं। तमिलनाडु से भाजपा के जुड़ाव को बताने के लिए वे यह भी बताते हैं कि मोदी कैबिनेट में सबसे काबिल लोग यानी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर तमिलनाडु से ही हैं।
अमित शाह अपने भाषण में कहते हैं, ‘मेरी यात्रा तभी सफल मानी जाएगी, जब तमिलनाडु में भाजपा की सरकार बनेगी। फिर फौरन सुधार करते हुए कहते हैं कि जब NDA की सरकार बनेगी। तमिलनाडु की परंपरा से जुडे़ जलीकट्टू के बहाने भी वे कांग्रेस पर प्रहार करते हैं, ‘आज राहुल जलीकट्टू देखने जा रहे हैं, लेकिन इसी कांग्रेस ने 2016 के घोषणा पत्र में इसे बंद करने की बात कही थी।’
राम मंदिर यहां अभी कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं बन पाया, लेकिन इसके पर्चे खूब बांटे जा रहे हैं
राम मंदिर का मुद्दा तमिलनाडु में कोई भावनात्मक पकड़ नहीं बना पाया है, लेकिन भाजपा के कार्यकर्ता हर सभा में राम मंदिर के मॉडल के हजारों पर्चे बांटते हैं। हालांकि सभा खत्म होने के बाद यह पर्चे जहां-तहां बिखरे नजर आते हैं। पर्चे बांटने वाले स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता कहते हैं, अभी भले ही इसका असर न दिखे, लेकिन हम लोगों को इस बारे में जागरूक कर रहे हैं।’
विल्लुपुरम की रैली में भाजपा शासित राज्यों से भी ज्यादा भीड़
अमित शाह की चुनावी सभा में जितनी भीड़ है, कई बार उतनी भीड़ भाजपा शासित राज्यों की सभाओं में भी नहीं दिखती। तमिलनाडु में भाजपा का इतना जनाधार नहीं फिर भी जनसभा में इतनी भीड़ क्यों? इसकी वजह जानने पर पता चलता है कि हर बड़े नेता की सभा के लिए भाजपा संगठन और RSS कार्यकर्ता लंबे समय से तैयारी करते हैं। पूरे राज्य में कहीं जनसभा हो, दूर-दराज से भी पार्टी से जुडे़ लोगों को सभा स्थल तक संगठन के लोग लाते हैं। सभा में दिखने वाली भीड़ वोटों में भले ही तब्दील न हो, लेकिन पार्टी इससे अपनी ताकत दिखाने के साथ चर्चा में भी बनी रहती है।