चंडीगढ़। हाल ही में सदन से पास हुए किसान बिल को लेकर देशभर में आज विरोध प्रदर्शन हो रहा है। किसान सड़कों पर निकले हैं, वे रेलवे ट्रैक पर बैठ गए हैं, जगह-जगह चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वही देशभर में किसानों के आंदोलन (Farmer Bill) से कई ट्रेनें प्रभावित हुई हैं. इसका सबसे ज़्यादा असर पंजाब की तरफ जाने या वहां से चलने वाली ट्रेनों पर हुआ है. किसानों के बंद बुलाने और आंदोलन को देखते हुए रेलवे (Railway) ने अपनी कई ट्रेनों को पूरी तरह या आंशिक तौर पर रद्द कर दिया है. ख़ास तौर पर अमृतसर जाने वाली ट्रेनों को लेकर रेलवे ने कदम उठाए हैं. इसका असर 27 सितंबर तक चलने वाली ट्रेनों पर होगा.
संसद में पास तीन कृषि विधेयकों के विरोध में आज पंजाब और हरियाणा समेत देशभर के किसानों ने बंद का आह्वान किया है। इसके समर्थन में कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दल आ गए हैं। पंजाब में गुरुवार को ही किसान अमृतसर, फिरोजपुर और नाभा में रेलवे ट्रैक पर डट गए। किसानों के आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने 20 ट्रेनें शनिवार तक रद्द कर दीं।
बंद में किसानों पर धारा 144 के तहत केस नहीं दर्ज होंगे
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों को कृषि विधेयकों के विरुद्ध शुक्रवार के बंद के दौरान कानून-व्यवस्था को बनाए रखने और कोविड के सुरक्षा उपायों का पालन करने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे विधेयकों के विरुद्ध किसानों के संघर्ष में राज्य सरकार उनके साथ खड़ी है और धारा-144 के उल्लंघन के लिए कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी लेकिन बंद के दौरान कानून व्यवस्था में बाधा नहीं पड़ना चाहिए।
कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश
किसानों के पंजाब बंद के एलान को देखते हुए पंजाब और हरियाणा सरकारों ने जिला उपायुक्तों, पुलिस कमिश्नरों और जिला पुलिस प्रमुखों से कहा है कि वे रेलवे पुलिस के अधिकारियों और सूबे की इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ साझा बैठक कर कानून व्यवस्था बनाए रखना सुनिश्चित करें।
एंबुलेंस सेवा, डॉक्टरों को तैयार रहने के निर्देश
दोनों राज्य सरकारों ने एंबुलेंस सेवा, सिविल सर्जनों, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को भी तैयार रखने को कहा गया है ताकि प्रदर्शनों के दौरान किसी भी अप्रिय घटना में घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा सके।
रेलवे ट्रैक, स्टेशनों व राजमार्ग की वीडियोग्राफी होगी
गृह विभाग ने यह भी फैसला लिया है कि किसान आंदोलन के दौरान रिकॉर्ड के तौर पर राज्य की रेल लाइनों, रेलवे स्टेशनों और राजमार्ग पर प्रदर्शनों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जाएगी। गृह विभाग ने इसके साथ ही पंजाब बंद की अवधि के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। रेल प्रशासन ने फिरोजपुर छावनी व शहर रेलवे स्टेशन के अलावा रेल ट्रैक की सुरक्षा में पंजाब पुलिस व आरपीएफ के लगभग 400 जवान तैनात किए हैं।
हरियाणा में जाम की चेतावनी
उधर, हरियाणा में किसानों और आढ़तियों ने बाजार और मंडियां बंद रखने और राजमार्ग जाम करने की चेतावनी दी है। किसान यूनियनों को विपक्षी दलों के साथ ही आढ़ती एसोसिएशन और सर्व कर्मचारी संघ से जुड़ी यूनियनों ने समर्थन की घोषणा की है। भाकियू प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी सुबह 11 बजे अंबाला कैंट, अंबाला शहर, शाहाबाद और यमुनानगर में आंदोलनों का समर्थन करेंगे।
पंजाब बंद : पीयू में आज होने वाली परीक्षा मुल्तवी
पंजाबी यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार को होने वाली परीक्षा टाल दी है। अब यह परीक्षा 14 अक्तूबर को पहले तय समय अनुसार होगी। यूनिवर्सिटी के कंट्रोलर परीक्षा डॉ. जेआईएस खटड़ ने बताया कि बहुत सारे कालेजों के प्रिंसिपलों, प्राइवेट कालेजों की एसोसिएशन के नुमाइंदों और छात्रों ने ध्यान में लाया कि शुक्रवार को पंजाब बंद के मद्देनजर कॉलेज के स्टाफ को पेपर कराने और विद्यार्थियों को परीक्षा देने में मुश्किलें आ सकती हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी ने शुक्रवार को होने वाली परीक्षा टाल दी हैं। यूपीएससी नई दिल्ली द्वारा चार अक्तूबर को एक मुकाबला परीक्षा कराई जा रही है। इसके मद्देनजर चार अक्तूबर को होने वाली परीक्षा भी टाल दी गई है। अब यह परीक्षा 13 अक्तूबर को होगी। उन्होंने बताया कि संशोधित डेटशीट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर जल्द ही अपलोड कर दी जाएगी।
परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि यह भी ध्यान में आया है कि यूनिवर्सिटी की ओर से कराई जा रही परीक्षाओं के दौरान एनटीए द्वारा यूजीसी नेट परीक्षा कराई जा रही है। विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए पहले जारी हुई डेट शीट्स के कुछ पेपरों के समय में तबदीली की जा सकती है, जिस बारे आने वाले समय में नोटीफाई कर दिया जाएगा। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि परीक्षा संबंधी समय-समय पर जारी हिदायतों व डेट शीट के बारे में यूनिवर्सिटी वेबसाइट पर चेक करते रहें।
पंजाब और हरियाणा में रेल ट्रैकों की सुरक्षा बढ़ा दी है। वहां सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों के साथ ही सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। पंजाब में किसान संघर्ष समिति के सदस्यों ने अमृतसर के जंडियाला के गांव देवीदासपुर के पास अमृतसर-दिल्ली रेल ट्रैक पर लेट गए, जबकि फिरोजपुर छावनी स्टेशन के पास बस्ती टैंकवाली और नाभा स्टेशन पर रेलवे स्टेशन के आसपास टेंट लगाकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया।
यहां लंगर का भी प्रबंध किया गया है। किसानों के प्रदर्शन के कारण अमृतसर से चलने वाली 12 गाड़ियां रद्द कर दी गईं और जो अमृतसर पहुंचने वाली ट्रेनों को अंबाला में ही रोक दिया गया। कुछ गाड़ियों के रूट में परिवर्तन कर उन्हें गंतव्य स्टेशन तक पहुंचाया गया। किसानों ने राज्य में कई जगह रोड जाम कर प्रदर्शन किया। इसके अलावा कई अन्य संगठनों के साथ ही कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी ने भी बंद को समर्थन दिया है।
मुंबई सेंट्रल से अमृतसर तक चलने वाली ट्रेन गोल्डन टेंपल स्पेशल को अंबाला कैंट तक ही चलाने का फैसला लिया गया है. वहीं 27 सितंबर को इस ट्रेन की वापसी भी अमृतसर की जगह अंबाला कैंट से होगी. न्यू जलपाईगुड़ी से अमृतसर तक चलने वाली कर्मभूमि एक्सप्रेस को अंबाला कैंट तक चलाने और यहीं से वापसी का फैसला.
बांद्रा टर्मिनस से अमृतसर स्पेशल-अंबाला कैंट तक चल रही है और यहीं से वापसी होगी. नांदेड़ से अमृतसर सचखंड एक्सप्रेस पिछले 4 दिनों से नई दिल्ली तक ही चल रही है और 26 तारीख तक यहीं से वापसी की योजना बनाई गई है. जयनगर से अमृतसर तक चलने वाली शहीद एक्सप्रेस 25 सितंबर को अंबाला कैंट तक चलेगी और यहीं से वापसी भी होगी.
जयनगर से अमृतसर तक चलने वाली सरयु यमुना एक्सप्रेस अंबाला कैंट तक चलेगी और 26 तारीख को यहीं से वापस जाएगी. वहीं इस आंदोनल का असर डिब्रुगढ़-अमृतसर स्पेशल, जयनगर-अमृतसर हमसफर स्पेशल, अमृतसर-कोलकाता स्पेशल ट्रेनों पर भी पड़ा है.
अमृतसर- हावड़ा स्पेशल
गुरुदासपुर- श्रीबदरया लाठी स्पेशल
बाड़ी ब्राहम्ण- नामकोम ट्रेन और
करतारपुर- अमृतसर
वहीं इस आंदोलन की वजह से कुछ ट्रेनों को बदले हुए रुट से भी चलाने का फैसला किया गया है. इस बीच रेलले की तरफ से किसानों से अपने आंदोलन और बंद के दौरान रेल संपत्ति को नुकसान न पहुंचाने की अपील की है.
पंजाब: अमृतसर में किसान संगठनों ने कृषि बिलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। #FarmBills pic.twitter.com/zXs8PVXPSV
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 25, 2020
पंजाब के मानसा शहर में भारत बंद का असर साफ नजर आ रहा है। सिर्फ सड़कें ही नहीं रेल की पटरियां तक किसानों के आक्रोश की गवाही दे रही हैं। पंजाब के अलग-अलग 31 किसान संगठनों ने आज बंद का आह्वान किया है। इसमें सबसे प्रमुख भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) जो इस आंदोलन का यहां नेतृत्व कर रही है। किसानों ने कल से ही रेलवे ट्रैक पर कब्जा किया हुआ है। सारी ट्रेन बंद कर दी गई हैं।
पंजाब के कई लोक कलाकारों ने भी किसानों का समर्थन किया है। जहां दलजीत दोसांज जैसे बड़े गायकों ने किसानों के समर्थन में सोशल मीडिया पर आवाज उठाई है वहीं, सिद्धू मूसेवाला जैसे गायक किसानों के समर्थन में सड़क तक उतर आए हैं।
किसानों को सिर्फ लेफ्ट पार्टियों का ही नहीं बल्कि अकाली दल जैसी राइट विंग पार्टियों का भी समर्थन मिल रहा है। पंजाब में भाजपा के अलावा अन्य सभी पार्टियों ने किसानों की मांगों का समर्थन किया है। पंजाब बिजली बोर्ड के कर्मचारी भी किसानों के समर्थन में आंदोलन में शामिल हुए हैं।
बिहार: कृषि बिलों के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने पटना में ट्रैक्टर चलाकर बिलों के खिलाफ अपना विरोध जताया। pic.twitter.com/l5vEZ4k5W6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 25, 2020
पंजाब-सिरसा हाईवे पूरी तरह से जाम है। हजारों की संख्या में किसान यहां इक्ट्ठा हुए हैं। इन किसानों को पंजाबी लोक कलाकारों का भी समर्थन मिल रहा है। अभी-अभी पंजाबी कलाकार सिद्धू मूसेवाला यहां किसानों के समर्थन के लिए आए हुए हैं। वे किसानों को संबोधित कर रहे हैं।
दिल्ली बॉर्डर से लाइव रिपोर्ट…
दिल्ली यूपी सीमा बॉर्डर पर सुबह से ही पुलिस की सरगर्मी देखी गई। कृषि बिल के विरोध में भारतीय किसान यूनियन की तरफ से यहां प्रदर्शन बुलाया गया है। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर नोएडा गेट के आगे दोनों सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हैं। वे लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। इसे देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पश्चिमी यूपी से लाइव…
किसानों के भारत बंद में भारतीय किसान यूनियन भी शामिल है। लेकिन सुबह 12 बजे तक मुजफ्फरनगर जिले में बंद का असर नजर नहीं आ रहा है। सड़कों पर ट्रैफिक पहले की तरह चल रहा है। बाजार खुले हुए हैं। लोगों में चहल पहल है। लेकिन प्रदर्शन करते किसान नजर नहीं आ रहे हैं। किसान यूनियन के नेताओं ने हमें बताया था कि आज कम से कम 25 जगह प्रदर्शन होना है। मुझे अभी वो प्रदर्शन नहीं दिखा है। उत्तर प्रदेश के इस इलाके में किसानों में ऐसा रोष भी नहीं है जैसा हरियाणा और पंजाब के किसानों में हैं।
अब दोपहर 12 बजे के बाद धीरे-धीरे यहां भी किसान आंदोलन के लिए इकट्ठे हो रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता बिल के विरोध में नारेबाजी कर रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का असर हरियाणा और पंजाब जैसा नहीं दिख रहा है, इसके जवाब में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष और महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत कहते हैं, ‘जिस तरह हरियाणा और पंजाब में किसान मंडियों पर निर्भर है उस तरह यहां किसान मंडियों पर निर्भर नहीं है क्योंकि इस इलाके में अधिकतर किसान गन्ने की खेती करते हैं। उन्होंने कहा लेकिन यहां के किसान पंजाब और हरियाणा के किसानों के साथ है और किसानों के भारत बंद में हिस्सा ले रहे हैं।’
टिकैत जगह जगह घूम कर किसानों को संबोधित कर रहे हैं और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे विधायकों के बारे में बता रहे हैं। उनका कहना है कि इन विधायकों के क़ानून बनने के बाद मंडी व्यवस्था कमज़ोर हो जाएगी और ये किसानों के हित में नहीं होगा।
यहां पुलिस भी पूरी तरह मुस्तैद नजर आ रही है। जगह जगह पुलिस रूट डायवर्ट कर रही है ताकि आंदोलन का असर हाईवे की ट्रैफिक पर न हो। किसानों के साथ ही आम आदमी पार्टी ओर से भी यहां प्रोटेस्ट किया जा रहा है।
कृषि बिल के खिलाफ क्यों हो रहा है किसान आंदोलन, सिर्फ 7 पॉइंट्स में जानिए पूरा सच
>>किसानों को सबसे बड़ा डर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP- Minimum Support Price) खत्म होने का है. इस बिल के जरिए सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति (APMC-Agricultural produce market committee) यानी मंडी से बाहर भी कृषि कारोबार का रास्ता खोल दिया है. मंडी से बाहर भी ट्रेड एरिया घोषित हो गया है. मंडी के अंदर लाइसेंसी ट्रेडर किसान से उसकी उपज एमएसपी पर लेते हैं. लेकिन बाहर कारोबार करने वालों के लिए एमएसपी को बेंचमार्क नहीं बनाया गया है. इसलिए मंडी से बाहर एमएसपी मिलने की कोई गारंटी नहीं है.
पंजाब और हरियाणा में शुरू हो गया है बड़ा किसान आंदोलन
>>इस बिल से ‘वन कंट्री टू मार्केट’ वाली नौबत पैदा होती नजर रही है. क्योंकि मंडियों के अंदर टैक्स का भुगतान होगा और मंडियों के बाहर कोई टैक्स नहीं लगेगा. अभी मंडी से बाहर जिस एग्रीकल्चर ट्रेड की सरकार ने व्यवस्था की है उसमें कारोबारी को कोई टैक्स नहीं देना होगा. जबकि मंडी के अंदर औसतन 6-7 फीसदी तक का मंडी टैक्स (Mandi Tax) लगता है.
>>किसानों की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि आढ़तिया या व्यापारी अपने 6-7 फीसदी टैक्स का नुकसान न करके मंडी से बाहर खरीद करेगा. जहां उसे कोई टैक्स नहीं देना है. इस फैसले से मंडी व्यवस्था हतोत्साहित होगी. मंडी समिति कमजोर होंगी तो किसान धीरे-धीर बिल्कुल बाजार के हवाले चला जाएगा. जहां उसकी उपज का सरकार द्वारा तय रेट से अधिक भी मिल सकता है और कम भी.
>>किसानों की इस चिंता के बीच राज्य सरकारों-खासकर पंजाब और हरियाणा- को इस बात का डर सता रहा है कि अगर निजी खरीदार सीधे किसानों से अनाज खरीदेंगे तो उन्हें मंडियों में मिलने वाले टैक्स का नुकसान होगा. दोनों राज्यों को मंडियों से मोटा टैक्स मिलता है, जिसे वे विकास कार्य में इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, हरियाणा में बीजेपी का शासन है इसलिए यहां के सत्ताधारी नेता इस मामले पर मौन हैं.
>>एक बिल कांट्रैक्ट फार्मिंग से संबंधित है. इसमें किसानों के अदालत जाने का हक छीन लिया गया है. कंपनियों और किसानों के बीच विवाद होने की सूरत में एसडीएम फैसला करेगा. उसकी अपील डीएम के यहां होगी न कि कोर्ट में. किसानों को डीएम, एसडीएम पर विश्वास नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि इन दोनों पदों पर बैठे लोग सरकार की कठपुतली की तरह होते हैं. वो कभी किसानों के हित की बात नहीं करते.