असम-मिजोरम विवाद के पीछे 1875 और 1933 में अंग्रेजों के बनाए दो नियम, पिछले साल भी दोनों राज्यों के बीच हुई थी आगजनी और हिंसा

असम के सीमावर्ती इलाकों के ज्यादातर रहवासी बंगाली हैं, मुख्य रूप से मुस्लिम। मिजोरम के लोग उन्हें शक की नजर से देखते हैं। उनका आरोप है कि बिना कागजों वाले यह माइग्रेंट्स उनके राज्य में आकर जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ी है।

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असम-मिजोरम की विवादित सीमा पर हिंसा में असम पुलिस के 5 जवानों समेत 6 लोगों की मौत हो गई। 50 से अधिक घायल हैं। इस हिंसा ने पूरे देश का ध्यान पूर्वोत्तर के दो राज्यों के सीमा विवाद की ओर खींचा है। असम का विवाद सिर्फ मिजोरम से नहीं है, बल्कि उन सभी 6 राज्यों से है, जिनके साथ वह सीमा साझा करता है। हिंसक संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर अवैध अतिक्रमण के आरोप लगाए हैं।

यह विवाद नया नहीं है, बल्कि 100 साल से भी पुराना है, जब यहां ब्रिटिश शासन हुआ करता था। उस समय मिजोरम को असम का लुशाई हिल्स कहते थे। 1995 के बाद कई दौर की बातचीत हुई, पर कोई नतीजा नहीं निकला।

Assam Mizoram Border Dispute Story In Hindi Here Is All You Need To Know -  असम-मिजोरम सीमा विवाद: ब्रिटिश काल से चला आ रहा है यह मामला, जानिए विस्तार  से - Amar

आइए जानते हैं पूर्वोत्तर के राज्यों के सीमा विवाद के बारे में सब कुछ…

असम-मिजोरम के बीच ताजा संघर्ष कैसे शुरू हुआ?

  • मिजोरम का कहना है सोमवार को एक दंपती कछार (असम) जिले के रास्ते मिजोरम आ रहे थे। लौटते वक्त उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ हुई। इसके बाद बवाल बढ़ा और नौबत फायरिंग तक जा पहुंची। वहीं, असम के अनुसार कोलासिब (मिजोरम) के एसपी ने हिंसा रुकने तक हमें अपनी पोस्ट से हटने को कहा है।
  • इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी दो बार दोनों राज्यों की सीमा पर आगजनी और हिंसा हुई थी। पहली बार 9 अक्टूबर को जब मीजोरम के दो लोगों को आग लगा दी गई थी। इसके साथ ही कुछ झोपड़ियों और सुपारी के पौधों को भी आग के हवाले कर दिया गया था। इसके कुछ दिन बाद कछार के लोगों ने मिजोरम पुलिस और वहां के लोगों पर पत्थरबाजी की थी।
  • assam and mizoram border dispute: know everything about assam and mizoram  border dispute 49 सालों से चल रहा है असम और मिजोरम के बीच का सीमा विवाद,  समझिए पूरा मामला - Navbharat Times

असम-मिजोरम के बीच विवाद क्या है?

  • मिजोरम के तीन जिले- आइजोल, कोलासिब और ममित- असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों के साथ लगभग 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। दोनों राज्यों में सीमा विवाद 100 साल पहले ब्रिटिश राज के समय से है। तब मिजोरम को असम के लुशाई हिल्स के रूप में जाना जाता था।
  • 1950 में असम भारत का राज्य बन गया। उस समय असम में आज के नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम आते थे। ये राज्य असम से अलग हो गए तो उनके अपने पूर्व राज्य से सीमा विवाद रहने लगे। नॉर्थईस्टर्न एरिया (रीऑर्गेनाइजेशन) एक्ट 1971 के तहत असम से तीन नए राज्य बनाए गए- मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा।
  • 1987 में मिजो पीस रिकॉर्ड के तहत मिजोरम को अलग राज्य बनाया गया। यह मिजो ट्राइब्स और केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत था। इसका आधार 1933 का एग्रीमेंट था। पर मिजो ट्राइब्स का कहना है कि उन्होंने 1875 ILR बॉर्डर को स्वीकार किया, इसके बाद सीमा पर लगातार विवाद बढ़ता गया।
30 जून 1986 को मिजोरम के नेताओं ने मिजो पीस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें ही सीमा तय की गई है। पर नियम 1875 को माने या 1933 को, इस पर ही असम और मिजोरम के बीच विवाद बना हुआ है। मिजोरम कहता है कि 1875 के नियमों का पालन किया जाए।
30 जून 1986 को मिजोरम के नेताओं ने मिजो पीस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें ही सीमा तय की गई है। पर नियम 1875 को माने या 1933 को, इस पर ही असम और मिजोरम के बीच विवाद बना हुआ है। मिजोरम कहता है कि 1875 के नियमों का पालन किया जाए।

इस विवाद में हिंदू-मुस्लिम का क्या पहलू है?

  • असम और मिजोरम की सीमा काल्पनिक है, ये नदियां, पहाड़, घाटियों व जंगलों के साथ बदलती रहती है। पिछले कुछ सालों में यह समस्या जियोग्राफिक्स से बढ़कर एथनिक बन गई है।
  • असम के सीमावर्ती इलाकों के ज्यादातर रहवासी बंगाली हैं, मुख्य रूप से मुस्लिम। मिजोरम के लोग उन्हें शक की नजर से देखते हैं। उनका आरोप है कि बिना कागजों वाले यह माइग्रेंट्स उनके राज्य में आकर जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ी है।
  • मिजोरम में मुस्लिम आबादी 1991-2001 के बीच 122.54% बढ़ी है। 2001 में जब जनगणना हुई तो मुस्लिम आबादी 10,099 थी। वह कुल आबादी का महज 1.3% थी। फिर भी यह एक ऐसा मसला है, जो कहीं न कहीं हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच खाई पैदा करता है।

कितनी जमीन पर कब्जे के आरोप हैं?

  • असम सरकार ने विधानसभा में बताया कि मिजोरम के लोगों ने बराक घाटी क्षेत्र में असम के तीन जिलों में 1,777.58 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। इसमें सर्वाधिक 1000 हेक्टेयर जमीन पर हैलाकांदी जिले में, कछार में 400 हेक्टेयर और करीमगंज में 377.58 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा किया गया।
  • मिजोरम ने 16 जुलाई को आरोप लगाया कि असम उसकी जमीन पर दावा कर रहा है। इन सीमावर्ती गांवों में 100 साल से ज्यादा समय से मिजो रहे हैं।
अक्टूबर 2020 में जब विवादित सीमा से मिजोरम ने सुरक्षा बलों को वापस नहीं बुलाया तो असम में नागरिकों ने नेशनल हाईवे 306 को ब्लॉक कर दिया। इससे मिजोरम पूरे देश से कट गया था। यह हाईवे ही मिजोरम को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
अक्टूबर 2020 में जब विवादित सीमा से मिजोरम ने सुरक्षा बलों को वापस नहीं बुलाया तो असम में नागरिकों ने नेशनल हाईवे 306 को ब्लॉक कर दिया। इससे मिजोरम पूरे देश से कट गया था। यह हाईवे ही मिजोरम को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।

विवाद को सुलझाने के लिए अब तक क्या हुआ?

  • असम और मिजोरम ने एग्रीमेंट किया था कि सीमाई इलाके नो मैन्स लैंड होंगे। पर इससे विवाद खत्म नहीं हुआ। गतिरोध बना रहा, जिसे तोड़ने 2020 में केंद्र सरकार ने कोशिश की। इस पर मिजोरम की लाइफलाइन माने जाने वाले रास्ते नेशनल हाईवे 306 पर चक्का जाम लग गया। मिजोरम देश के अन्य हिस्सों से कट गया, जिससे वहां आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई।
  • मिजोरम ने असम के साथ सीमा आयोग का गठन किया। इसके अध्यक्ष उपमुख्यमंत्री तवंलुइया और उपाध्यक्ष गृह मंत्री लालचमलियाना हैं। 9 जुलाई को दिल्ली के गुजरात भवन में मुख्य सचिव स्तर की वार्ता भी हुई। इसमें यथास्थिति बनाए रखने की बात हुई। आइजोल ने सीमा पर यथास्थिति बनाने और सुरक्षा बलों को वापस बुलाने के असम के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए समय मांगा है।

सीमा का यह विवाद कब शुरू हुआ?

  • पूर्वोत्तर में यह जमीन विवाद ब्रिटिशकालीन है। 1830 तक कछार एक स्वतंत्र राज्य था। 1832 में यहां के राजा की मौत हुई। उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। उस समय डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के तहत इस राज्य पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्जा कर लिया, जो बाद में ब्रिटिश राज में मिल गई।
  • इस नियम के तहत अगर किसी राजा की मौत बिना उत्तराधिकारी के हो जाती थी, तो उस राज्य को ब्रिटिश राज में मिला दिया जाता था। ब्रिटिशर्स की योजना लुशाई (मिजो) हिल्स की तलहटी पर चाय के बागान लगाने की थी। पर लोकल ट्राइब्स यानी मिजो इससे खुश नहीं थे। इसका नतीजा यह रहा कि ब्रिटिश इलाकों में वह सेंधमारी करने लगे।
  • बार-बार होने वाले छापेमारी की वजह से ब्रिटिशर्स ने 1875 में इनर लाइन रेगुलेशन (ILR) लागू किया। ताकि असम में पहाड़ी और आदिवासी इलाकों को अलग कर सकें। मिजो ट्राइब्स इससे खुश थे, उन्हें लगा कि कोई उनकी जमीन पर अतिक्रमण नहीं कर सकेगा।
  • पर 1933 में ब्रिटिश राज ने कछार और मिजो हिल्स के बीच औपचारिक तौर पर सीमा खींच दी और इस प्रक्रिया में मिजो ट्राइब्स को शामिल नहीं किया गया। मिजो ने नई सीमा का विरोध किया और 1875 ILR को फिर से लागू करने की मांग की।

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