पंजाब में नई Transfer policy जारी, दो साल लगाने होंगे एक स्टेशन पर, बीच सत्र में नहीं होगा तबादला
सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पिछले दो साल से Transfer को लेकर ठोस नीति बनाने पर जोर दे रहे थे जिसे अब शिक्षा विभाग अमल में ला रहा है। पंजाब के नए शिक्षा मंत्री विजेंद्र सिंगला ने बताया कि यह नीति विद्यार्थियों के हित व नौकरी के प्रति अध्यापकों की अधिक संतुष्टि पैदा करने के लिए बनाई गई है।
चंडीगढ़। अध्यापकों की Transfer को लेकर कैप्टन सरकार ने आखिर दो साल बाद OnlineTransfer Policy को जारी कर ही दिया। इस Policy में दावा किया गया है कि अब Transfer में किसी भी विधायक, मंत्री अथवा अफसर की सिफारिश नहीं चलेगी।
अध्यापकों की कारगुजारी पर ही Transfer होगा और उसके लिए अध्यापक को एक स्टेशन पर कम से कम दो साल गुजारने होंगे। दो साल पूरा होने पर ही वह Transfer के लिए Apply कर सकता है। नए अध्यापकों के लिए यह पीरियड तीन साल का होगा। Transfer भी नए सेशन में ही होंगे। सेशन के बीच में Transfer के लिए Apply करने वालों पर विभाग गौर नहीं करेगा।
बता दें कि सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पिछले दो साल से Transfer को लेकर ठोस नीति बनाने पर जोर दे रहे थे जिसे अब शिक्षा विभाग अमल में ला रहा है। पंजाब के नए शिक्षा मंत्री विजेंद्र सिंगला ने बताया कि यह नीति विद्यार्थियों के हित व नौकरी के प्रति अध्यापकों की अधिक संतुष्टि पैदा करने के लिए बनाई गई है। सिंगला ने बताया कि आम तबादले Policy notify करने के बाद एक साल में एक ही बार किए जाएंगे। हालांकि सरकार प्रशासनिक जरूरत के समय साल में किसी भी समय Transfer कर सकती है।
चुने गए क्षेत्र /स्कूल में Transfer/Posting संबंधित न तो दावा पेश किया जा सकता और न इसे अधिकार माना जाएगा। शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि 15 जनवरी से 15 फरवरी तक योग्य अध्यापक स्कूल के चयन के बारे में Transfer के लिए Online application कर पाएंगे। उसके बाद हर साल मार्च के दूसरे सप्ताह ही इस पर आदेश जारी होंगे। अप्रैल में ज्वाइन करना होगा। Apply करने के एक महीने के भीतर सारी प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।
सिर्फ इन्हें मिलेगी छूट
यह नीति Retirement के बाद सेवाकाल में विस्तार लेने वाले कर्मचारियों को छोड़कर टीचिंग कैडर की सभी ईकाईओं जैसे ETT, HT, CHT, Master, lecturer व वोकेशनल मास्टर्स पर लागू होगी। मिनिस्ट्रीयल कैडर, ब्लॉक अफसरों, जिला अधिकारियों समेत प्रिंसिपल डीआइआइजी, स्कूल हैड मास्टर व अन्य प्रिंसिपल को इससे छूट मिलेगी। इसके अलावा कैंसर मरीजों, ऑन डायलिसिस, 60 फीसद से अधिक दिव्यांग होना, हैपेटाइटिस, थैलेसीमिया, तलाक, शहीद की विधवा या जिनके 15 साल से कम उम्र के बच्चे हों, उन पर यह नीति लागू नहीं होगी। ऐसे मामलों में सीएम की प्रवानगी के बाद ही आदेश जारी किए जाएंगे।