रिसर्च में दावा, इस ब्लड ग्रुप को कोरोना से सबसे ज्यादा है खतरा, सांस लेने में होती है दिक्कत

Coronavirus: नए रिसर्च में दावा किया गया है कि किस मरीज को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होगी और किसे कम वो मरीजों के बल्ड ग्रुप पर निर्भर करता है.

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नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) ने अब तक दुनिया भर में 66 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है. अब तक इस खतरनाक वायरस से कम से कम 3 लाख 89 हज़ार लोगों की मौत हो हो चुकी है. आमतौर कोरोना के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है. बाद में इसी वजह से मौत हो जाती है. एक नए रिसर्च में दावा किया गया है कि किस मरीज को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होगी और किसे कम वो मरीजों के बल्ड ग्रुप पर निर्भर करता है.रिसर्च का दावा

न्यूज़ मेडिकल लाइफ सांइस वेबसाइट के मुताबिक इटली और स्पेन के हॉट स्पॉट इलाकों में 1600 मरीजों पर रिसर्च किया गया. इसके तहत ये पता चला कि A पॉजिटिव ग्रुप के मरीजों को कोरोना संक्रमित होने पर सांस में लेने में ज्यादा दिक्कत होती है. जबकि O पॉजिटिव मरीजों में ये खतरा कम रहता है. डॉक्टरों ने जीन के आधार पर रिसर्च किया. सांस में लेने में ज्यादा परेशानी के चलते ही ज्यादातर मरीजों की मौत होती है.

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 ब्लड ग्रुप पर कई रिसर्च
रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने 2205 ऐसे ब्लड सैंपल का भी विश्लेषण का जो कोरोना से संक्रमित नहीं थे. हालांकि ब्लड ग्रुप को लेकर और भी रिसर्च जारी है. इससे पहले चीन के वुहान और शेनझेन में कोरोना वायरस से संक्रमित 2173 मरीजों पर की गई स्टडी के मुताबिक, इन मरीजों में ब्लड ग्रुप A के लोगों की संख्या ज्यादा पाई गई. जबकि O ब्लड ग्रुप के लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा A की तुलना में काफी कम देखा गया है.
किस दौर में है कोरोना की वैक्सीन
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का कोई इलाज नहीं है. करीब 100 से ज्यादा कंपनियां इस वक्त कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में लगी है. लेकिन अभी तक किसी को कोई ठोस कामयाबी हाथ नहीं लगी है. इस बीच दो कंपनियों ने अच्छी खबर दी है और दावा किया है कि उनकी वैक्सीन शुरुआती दौर में कारगार साबित हो रही है.अमेरिका में एक कंपनी का ट्रायल दूसरे दौर में पहुंच गया है. जबकि चीन की कंपनी सिनोवैक बायोटेक का दावा है कि उनकी वैक्‍सीन 99 फीसदी असरदार है. फिलहाल इनों वाक्सीन को कई और स्टेज से पार होना पड़ेगा.

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