प्राइवेट कान्वेंट स्कूलों का नया फरमान-तीन माह की फीस पर लगेंगा जुर्माना वही करेंगे ब्लैकलिस्ट, साथ में छह महीने की भरनी होगी फीस 

-अभिभावकों ने जताया विरोध कहा कोर्ट में मामले की हो रही सुनवाई वही स्कूल प्रबंधक कर रहे मनमानी  --बच्चों को ब्लैक लिस्ट करने की धमकी देने पर मानवाधिकार आयोग के पास होगी शिकायत

बठिंडा. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां दो सदस्ययी बैंच के पास स्कूलों की तरफ से वसूली जाने वाली फीसों को लेकर याचिका दायर कर रखी है वही पटियाला सहित राज्य के विभिन्न जिलों से अभिभावकों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इसके बावजूद जिले के स्कूल अभिभावकों को मानसिक दबाव में लेकर फीसे वसूल करने में जुट गए है।

इसमें एक छात्र से पहले तीन माह की फीस जुर्माने सहित वसूल कर रहे हैं वही अब कई कान्वेट स्कूलों ने छात्रों को अगले तीन माह की फीस भरने के लिए मैसेज भेजना शुरू कर दिया है। स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों व उनके अभिभावकों को मैसेज भेजने के साथ फोन कर धमकी देना शुरू कर दिया है कि अगर उन्होंने पूरी छह माह की फीस नहीं भरी तो वह उन्हें ब्लैकलिस्ट कर ट्रमिनेंट कर देंगे। इस बाबत अब अभिभावकों ने बच्चों को मानसिक तौर पर परेशान करने के मामले में बाल व स्त्री विकास मंत्रालय के पास भी स्कूल की शिकायत की है।

फिलहाल स्कूल प्रबंधकों के इस व्यवहार को लेकर अभिभावकों में खासा रोष पाया जा रहा है। इस बाबत अभिभावकों ने राज्य के शिक्षा मंत्री व जिला शिक्षा अधिकारियों को शिकायत भेजकर मामले में हस्तक्षेप करने व स्कूल प्रबंधकों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है। अध्यापकों को शिकायत है कि स्कूल मार्च से लेकर जुलाई तक मात्र डेढ़ माह ही बच्चों को आनलाइन शिक्षा दे सके हैं जबकि बाकि समय स्कूल में छुट्टी रही इस स्थिति में अब अभिभावकों से दाखिला फीस, बिल्डिंग फीस, ट्रांसपोर्ट चार्ज सहित विभिन्न तरह की फीसे वसूल कर रहे हैं। यह फीस पिछले साल से अधिक वसूल हो रही है जबकि अभिभावकों का कहना है कि वर्तमान समय में जहां स्कूल बंद होने से बिजली, पानी, मिनटेंन्स व स्मार्ट क्लासेंस मिनटेन करने के खर्च बच रहे हैं वही स्कूल प्रबंधक अब छात्रों को जमकर लूट रहे हैं जिसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता है।

इस मामले में पेरेंट्स एसोसिएशन के गुरविंदर शर्मा इस मामले में पहले ही जिला शिक्षा अधिकारी के सामने अपना विरोध जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधक जहां हाईकोर्ट की तरफ से जारी एक आदेश के आधार पर फीस वसूल कर रहे हैं जबकि इसी मामले में अभिभावकों की तरफ से आदेश को चुनौती दी जा चुकी है व कई अभिभावक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर चुके हैं इस स्थिति में प्रशासन व सरकार का फर्ज बनता है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर स्कूलों की मनमानी को रोके व कोर्ट की तरफ से मामले में सुनवाई पूरी होने तक फीस वसूली का धंधा बंद किया जाए।

बठिंडा में कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले एक छात्र के अभिभावक ने बताया कि स्कूल प्रबंधन जहां पहले अपने साफ्टवेयर से फीस वसूल कर रहा था वही अब इसे बंद कर नया साफ्टवेयर तैयार कर बच्चों को फीस भरने के लिए धमकी दे रहा है। इसमें अब बच्चों को 200 रुपए जुर्माना भरने के लिए कहा जा रहा है। इसमें हैरानी वाली बात यह है कि उक्त मामला अभी कोर्ट में पेडिंग है वही अभिभावक पहले वाली फीसे नहीं भर पा रहे हैं वही अब अगले तीन माह की फीसे भरने के लिए बच्चों को कहा जा रहा है। इस स्थिति में कोरोना वायरस से मंदी के दौर में पहले से मानसिक परेशानी से जूझ रहे लोगों पर छह माह की फीस इकट्ठी भरने के लिए कहा जा रहा है जो किसी भी सूरत में जायज नहीं है। वही अभिभावकों ने इस मामले में इस बात का भी विरोध जताया है कि उन्हें आनलाइन क्लासेंस से किसी तरह का लाभ नहीं है क्योंकि बच्चे सात घंटे तक मोबाइल को आंखों के सामने रखते हैं वही मानसिक तौर पर भी वह बीमार हो रहे हैं। अगर स्कूल प्रबंधक पहले वाली फीसे लेना चाहते हैं तो वह पहले वाली व्यवस्था को लाए वही अभिभावकों को बिना कारण परेशान करना बंद करे।

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