नवजोत सिंह सिद्धू ने सरकारी बंगला छोड़ा, CM अमरिंदर ने आज ही स्वीकार किया था मंत्री पद वाला इस्तीफा

पंजाब में विभाग बदले जाने से नाराज नवजोत सिंह सिद्धू ने 10 जून को कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. अपने इस्तीफे से संबंधित पत्र उन्होंने 14 जुलाई को सार्वजनिक किया. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का इस्तीफा आज स्वीकारा.

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चंडीगढ़: नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनका इस्तीफा आज स्वीकार कर लिया. इस्तीफा स्वीकारे जाने के ठीक बाद सिद्धू ने बतौर मंत्री आवंटित बंगले को छोड़ दिया और अमृतसर आ गए. सिद्धू को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास के बगल में सरकारी बंगला मिला था.

 

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सिद्धू का इस्तीफा पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनौर को भेजा था. राज्यपाल ने सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. प्रवक्ता ने बताया कि कुछ वक्त के लिए बिजली विभाग मुख्यमंत्री के पास रहेगा.

 

पंजाब के मुख्यमंत्री ने ऐसे समय में सिद्धू का इस्तीफा मंजूर किया है जब मीडिया में अटकलें लगी रही थी कि कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं के बीच के मुद्दों को हल करने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया है. सिद्धू का मुख्यमंत्री से टकराव चल रहा था और उन्हें छह जून को हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में अहम मंत्रालयों से दूर रखा गया था.

 

मुख्यमंत्री ने छह जून को सिद्धू से स्थानीय सरकार और पर्यटन एवं संस्कृति मामलों का विभाग ले लिया था और उन्हें बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग दे दिया था. सिद्धू ने नए विभाग का पदभार नहीं संभाला.

 

क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने 14 जुलाई को टि्वटर पर कांग्रेस अध्यक्ष को संबोधित करते हुए राज्य मंत्रिमंडल से 10 जून को दिए अपने इस्तीफे को सार्वजनिक कर दिया था. सिद्धू ने 15 जुलाई को यहां अमरिंदर के आधिकारिक आवास पर अपना इस्तीफा पत्र भेजा था. उस समय अमरिंदर दिल्ली में थे.

 

इस सप्ताह की शुरुआत में अमरिंदर ने कहा था कि अगर सिद्धू अपना काम नहीं करना चाहते हैं तो वह कुछ नहीं कर सकते. विभागों में तब्दीली किए जाने के बाद से ही सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर ने मीडिया से दूरी बना रखी थी.

 

सिंह और उनके मंत्री के बीच तनाव पिछले महीने तब जगजाहिर हो गया था जब मुख्यमंत्री ने सिद्धू पर स्थानीय निकाय विभाग को ठीक से संभालने में असफल रहने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि इसकी वजह से लोकसभा चुनावों में शहरी इलाकों में कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया.

 

सिद्धू ने कहा था कि उनके विभाग को सार्वजनिक तौर पर निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा था कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उन्होंने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है. साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व बीजेपी नेता सिद्धू का पिछले कुछ समय से अमरिंदर से टकराव चल रहा है.

 

लोकसभा चुनाव के दौरान अमरिंदर ने 17 मई को बठिंडा में प्रचार करते हुए सिद्धू के ‘‘फ्रैंडली मैच’’ वाली टिप्पणी पर काफी गुस्सा जताया था. सिद्धू ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मुद्दे पर राज्य में कांग्रेस सरकार को कथित तौर पर घेरते हुए सवाल उठाया था कि बादल परिवार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई.

 

इस पर अमरिंदर ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. सिद्धू पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘अगर वह सच्चे कांग्रेसी हैं तो उन्हें अपनी शिकायतें बताने के लिए पंजाब में मतदान से महज कुछ समय पहले के बजाय उपयुक्त समय चुनना चाहिए था.’’

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