बीरभूम हिंसा में जलाकर मारे गए 10 लोगों के परिजनों से मिलने पहुंची ममता, स्वागत गेट को लेकर हो रही जमकर किरकरी
उधर गवर्नर जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह एक शर्मनाक घटना है। जो सरकार पर लगा कभी न मिटने वाला धब्बा है। लोकतंत्र में लोगों को इस तरह से जिंदा जलाना बहुत दर्दनाक होता है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह सबक सीखे।
कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी बीरभूम में हिंसा पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचीं। ममता ने पीड़ितों से हमदर्दी दिखाई तो उनका दर्द आंखों से छलक उठा। ममता ने किसी अपने की तरह रोते हुए शख्स को पानी पिलाया और उसके आंसू पोछे। उन्होंने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को 5 लाख रुपए का चेक दिया।
Waiting to see if Supreme Court judges steeped in ‘constitutional morality’ will take suo motu notice of women and children being burned alive in #TMC-ruled West Bengal.
Till now SC has refused to acknowledge grisly political violence in Bengal; judges have recused themselves. pic.twitter.com/tG1b1Z8DyD— Kanchan Gupta 🇮🇳 (@KanchanGupta) March 23, 2022
इसके साथ ही कहा कि आग में जल चुके घरों को सुधारने के लिए 2-2 लाख रुपए दिए जाएंगे। मरने वाले 10 लोगों के परिवारों को नौकरी दी जाएगी।
Horrifying violence at #Birbhum indicates state is in grip of violence culture and lawlessness. #WestBengal is burning!
Politics of violence continue in West Bengal. #BirbhumMassacre pic.twitter.com/BIXnEouoRI— INDIA TODAY (@India_To_Today) March 23, 2022
ममता ने कहा कि मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए कि लोग भाग गए। मैं चाहती हूं कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाए। और चूक करने वाले पुलिसकर्मियों को सजा मिले। गवाहों को पुलिस सुरक्षा दी जाए।
Let us not Forget
She is the Same West bengal CM who never visited the keen of BJP Karyakartas who were raped, killed, murdered in post poll violence…
While she is in #Birbhum for post violence visit.
— #ISupportDevendra (@Krunal_Goda) March 24, 2022
अमित शाह से की राज्यपाल को हटाने की मांग
टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद सुदीप ने कहा, ‘हमने रामपुरहाट, बीरभूम की घटना को देखते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को हटाने की मांग की है। उनका काम हमारी संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे में है।
उधर गवर्नर जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह एक शर्मनाक घटना है। जो सरकार पर लगा कभी न मिटने वाला धब्बा है। लोकतंत्र में लोगों को इस तरह से जिंदा जलाना बहुत दर्दनाक होता है। मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह सबक सीखे।
सोशल मीडिया पर हो रही किरकिरी
सोशल मीडिया पर बीरभूम में ममता के स्वागत में तोरण लगाते हुए लोगों का एक वीडियो सामने आया है। जिससे लोगों का गुस्सा भड़क गया है। उन्होंने ममता को खरी-खोटी सुनाने में कोर्ठ कसर बाकी नहीं रखी। लोग वीडियो-फोटो शेयर कर पूछ रहे हैं कि थोड़ी भी शर्म है ममता दीदी को, तो स्वागत बोर्ड हटवा देतीं। यहां वो किसी का दर्द बांटने आ रही हैं या चुनाव प्रचार करने आ रही हैं।
ममता के मंत्री फिरहाद हकीम बीरभूम के बागतुई पहुंच चुके हैं। वहीं इस मामले में राज्य सरकार को कोलकाता हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा करनी है। पुलिस ने अभी तक हिंसा में शामिल रहे 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन सभी से पूछताछ जारी है। सरकार ने जांच के लिए SIT का गठन किया है।
चश्मदीदों, गवाहों और ग्रामीणों को सुरक्षा दे सरकार: हाईकोर्ट
कोलकाता हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि इस मामले के चश्मदीदों, ग्रामीणों और मृतकों के रिश्तेदारों को सुरक्षा देने की जरूरत है। रामपुरहाट के हिंसा प्रभावित इलाके में CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं। कोलकाता हाईकोर्ट ने एक दिन पहले ही घटना स्थल की 24 घंटे निगरानी के लिए कैमरे लगाने का निर्देश दिया था, ताकि सुबूतों से छेड़छाड़ न हो सके।
A representation of @BJP4Bengal MLAs visited the violence affected areas in West Bengal. Police tried everything to block their route. Police remain inactive while they were burnt alive. This is Bengal administration under TMC govt.
pic.twitter.com/udYb0eiJcU— Dr. Sukanta Majumdar (@DrSukantaBJP) March 23, 2022
राज्यपाल बिफरे, कहा- दोषियों को बचाने की कोशिश
इधर, राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी की चिट्ठी का जवाब भेजा है। धनखड़ ने जवाबी पत्र में लिखा है कि मामले को दबाने की कोशिश है, इसलिए SIT का गठन किया गया है। हिंसा के बाद राज्यपाल के वीडियो पर ममता ने ऐतराज जताते हुए पत्र लिखा था और SIT से जांच कराने की मांग की थी।
सचिवालय की मॉनिटरिंग में हिंसा हो रही: CPIM
बीरभूम पहुंचे CPIM के स्टेट सेक्रेटरी मो. सलीम ने कहा कि तृणमूल के शासन में पुलिस और सत्ताधारी पार्टी एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं। यहां पर अपराधियों का तांडव जारी है। सलीम ने कहा कि नवान्न (सचिवालय) की देखरेख में हिंसा को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि रात के अंधेरे में गांव में अपराधियों ने हिंसा की वारदात को उस समय अंजाम दिया, जब गांव में पुरुष नहीं थे।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगटुई गांव में सोमवार की रात दो गुटों के बीच लड़ाई में 10 लोगों को जिंदा जला दिया गया। घटना के बाद ममता सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। हालांकि, बीरभूम में राजनीतिक हिंसा का इतिहास दशकों पुराना है। जिले के नानूर में साल 2000 में 11 किसानों को घर में बंद कर जिंदा जला दिया गया था। तब इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था।
आंकड़ों के हिसाब से देखें, तो बीरभूम में पिछले 21 साल में राजनीतिक हिंसा की 8 बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 41 लोगों की जान जा चुकी है।
1. नानूर का नरसंहार : 11 मजदूरों को जिंदा जला दिया गया था
तारीख थी 27 जुलाई और साल था 2000। राज्य में सरकार थी वाम मोर्चे की और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। एक विवादित जमीन पर खेती करने की वजह से CPIM कार्यकर्ताओं ने 11 मजदूरों को जिंदा जला दिया था। घटना पर केंद्र ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की थी। इस मामले में जांच के बाद 82 CPIM कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया था, जिसमें 44 दोषी करार दिए गए थे।
2. पूर्व विधायक को घर से खींचकर सड़क पर मार डाला
2009 के आम चुनाव में सत्ताधारी CPIM की राज्य में करारी हार हुई, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस मुखर होने लगी। 30 जून 2010 को नानूर इलाके में CPIM कार्यकर्ताओं ने तृणमूल के एक कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद 200 से अधिक तृणमूल कार्यकर्ता बंगाल के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक आनंद दास के घर के पास प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान ही उनकी मौत हो गई थी। CPIM ने आरोप लगाया कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने उन्हें घसीटकर मार डाला। घटना के बाद एक महीने तक इलाके में तनाव बना रहा।
3. मोहम्मदपुर बाजार: आदिवासी और समुदाय विशेष के बीच झड़प में 4 की मौत, 100 घर जले
बीरभूम के सुरी क्षेत्र का इलाका है, मोहम्मदपुर। यहां पर आदिवासी और एक विशेष समुदाय की तादाद सबसे अधिक है। 22 अप्रैल 2010 को यहां पर रेत उत्खनन को लेकर आदिवासी और दूसरे पक्ष के माफियाओं के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें 4 लोगों को मौके पर ही मार डाला गया। वहीं, 100 से ज्यादा घर फूंक दिए गए। घटना के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने राज्य से रिपोर्ट तलब की थी।
4. पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 4 CPIM कार्यकर्ताओं की मौत
2011 में पश्चिम बंगाल में सरकार बदल चुकी थी। ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी। राज्य में पंचायत चुनाव चल रहा था। इसी दौरान मोहम्मदपुर बाजार इलाके में तृणमलू और CPIM कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई। घटना में CPIM के 4 कार्यकर्ताओं की मौके पर ही मौत हो गई।
5. माकड़ा गांव में भाजपा और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच झड़प, 4 की मौत
2014 के बाद बंगाल का राजनीतिक परिदृश्य अब पूरी तरह बदल चुका था। CPIM का गढ़ रहे बीरभूम में अब तृणमूल और भाजपा के बीच संघर्ष शुरु हो गया। 27 अक्टूबर 2014 माकड़ा गांव पर सियासी कब्जे की लड़ाई में भाजपा और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुईं। इसमें भाजपा के 3 और तृणमूल के 1 कार्यकर्ता की मौत हो गई।
6. दरबारपुर गांव की हिंसा: स्कूलों पर क्रूड बम फेंके, 7 की जान गई
बीरभूम में सत्ता के साथ-साथ ही अवैध खनन और रेत तस्करी का केंद्र भी बदलता रहता है। यहां CPIM और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच रेत खनन के ठेके पट्टे को लेकर विवाद हो गया। तनाव इतना बढ़ा कि दोनों ओर से बमबाजी शुरू हो गई। यहां तक कि स्कूल और कॉलेजों पर भी दोनों गुट ने बम फेंकना शुरू कर दिया। इस हिंसक झड़प में 7 लोगों की मौत हो गई।
7. पोस्ट पोल हिंसा को लेकर भी सुर्खियों में रहा बीरभूम
2021 में विधानसभा चुनाव के बाद पूरे बंगाल में पोस्ट पोल हिंसा शुरू हुई। इसमें बीरभूम सबसे अधिक सुर्खियों में था। राजनीतिक हिंसा में यहां एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। वहीं डर से हजारों परिवार ने पलायन शुरू कर दिया था। CBI जांच के दौरान बीरभूम से कई आरोपियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है।
8. बोगटुई गांव में आपसी संघर्ष में 10 जिंदा जले
यही सबसे ताजा विवाद है, जिस पर हाईकोर्ट तक एक्टिव हुआ है। बीरभूम जिले के रामपुरहाट्टा के पास बोगटुई गांव में 21 मार्च 2022 की रात दो गुटों के बीच लड़ाई में 10 लोगों को जिंदा जला दिया गया। इस घटना से पहले वहां एक स्थानीय तृणमूल नेता की मौत हो गई थी। सरकार ने मामले की जांच के लिए CID का गठन किया है। घटना में मरने वाले अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।
जातीय समीकरण से समझिए बीरभूम का गणित
2011 के जनगणना के मुताबिक बीरभूम की कुल संख्या 35 लाख 02 हजार 404 है, जिसमें 17 लाख 90 हजार 920 पुरूष और 17 लाख 11 हजार 484 महिलाएं हैं। बीरभूम में 62% हिंदू (जिसमें करीब 35% SC-ST) और 37% मुस्लिम आबादी है।
टैगोर ने यहां की थी शांति निकेतन की स्थापना
1901 में रविंद्रनाथ टैगोर ने बीरभूम के वोलपुर में शांति निकेतन की स्थापना की थी। 1919 में उन्होंने ‘कला भवन’ के नाम से एक स्कूल की नींव रखी थी, जो 1921 में विश्वभारती विश्वविद्यालय का एक हिस्सा बन गया।
सत्ता बदली, लेकिन नहीं रुकी राजनीतिक हिंसा
बंगाल में राजनीतिक हिंसा की शुरुआत 1970 में कांग्रेस और माकपा के बीच सत्ता संघर्ष से हुई। नब्बे के दशक में यह और भी अधिक तेजी से बढ़ी, जो अब तक निरंतर जारी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने 2018 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2018 में बंगाल में 12 हत्याएं हुईं हैं।
उसी रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 1999 से 2016 के बीच पश्चिम बंगाल में हर साल औसतन 20 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 50 हत्याएं 2009 में हुईं। वहीं, ममता सरकार ने 2019 से NCRB को राजनीतिक हत्या का आंकड़ा देना बंद कर दिया। पिछले 50 साल में बंगाल में कांग्रेस, CPIM और तृणमूल पार्टी सत्ता में आई, लेकिन राजनीतिक हिंसा का खेल बंद नहीं हुआ।