महाराष्ट्र / विधान परिषद सदस्य बनने के लिए उद्धव ने मोदी से मांगी मदद; कहा- ऐसा नहीं हुआ तो इस्तीफा देना पड़ेगा: रिपोर्ट

संविधान के मुताबिक, पद पर बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने में विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है 9 और 28 अप्रैल को इस बारे में राज्यपाल को प्रस्ताव भेजे गए। हालांकि, राजभवन ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया

नई दिल्ली. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद का सदस्य मनोनीत होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मदद मांगी है। 27 मई को उन्हें सीएम बने 6 महीने पूरे हो जाएंगे। वो अब तक विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य नहीं बन पाए हैं। संविधान के मुताबिक, पद पर बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने में विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है। 9 और 28 अप्रैल को इस बारे में राज्यपाल को प्रस्ताव भेजे गए। हालांकि, राजभवन ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, उद्धव ने प्रधानमंत्री को फोन करके सहायता मांगी। इस पर मोदी ने उन्हें मुद्दे पर विचार का भरोसा दिलाया। अगर राज्यपाल ठाकरे को सदस्य मनोनीत नहीं करते हैं तो संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा। उद्धव को इस्तीफा देना पड़ेगा।

राज्यपाल को दो बार पत्र भेेजा गया
राज्य मंत्रिमंडल ने 9 के बाद 28 अप्रैल को राज्यपाल को उद्धव को मनोनीत किए जाने के संबंध में स्मरण पत्र भेजा था। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से इसका जवाब नहीं आया है। ठाकरे 28 नवंबर को सीएम बने थे।

कोरोना संकट के बीच मुश्किल
महाराष्ट्र कैबिनेट ने सोमवार को भेजे प्रस्ताव में कहा था कि उद्धव राज्य में कोरोना संकट का सामना कर रहे हैं। यह बढ़ता जा रहा है। इन हालात में राजनीतिक अस्थिरता नहीं आनी चाहिए। इसलिए, विधान परिषद की एक खाली सीट पर उद्धव को मनोनीत करने की सिफारिश की जाती है।

28 मई से पहले विधानपरिषद या विधानसभा की सदस्य बनना जरूरी
उद्धव फिलहाल, विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को शपथ ग्रहण के दौरान ही राज्यपाल कोश्यारी ने उन्हें छह महीने के अंदर विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य बनने के लिए कहा था। आगामी 27 मई को बतौर मुख्यमंत्री छह महीने पूरे हो जाएंगे। उन्हें 28 मई तक दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता तो संवैधानिक तौर पर वो सीएम नहीं माने जाएंगे। इस्तीफा देना होगा।

वो नेता जो सदन के सदस्य नहीं थे पर मुख्यमंत्री बने

  • जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।
  • वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।
  • निलांगेकर पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे। उस वक्त पाटिल किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • शंकरराव चव्हाण मार्च 1986 जब मुख्यमंत्री बने। उस वक्त वो केंद्रीय मंत्री थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।
  • नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार मुख्यमंत्री बने थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • 2003 में जब सुशील कुमार शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने तब वो किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में वो विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • 2010 में पृथ्वीराज चव्हाण ने मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर सीएम पद की शपथ ली थी। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।

 

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