निर्भया केस / सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र की याचिका लंबित रहना ट्रायल कोर्ट के फैसले में बाधा नहीं, वह डेथ वॉरंट जारी कर सकती है

केंद्र सरकार ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके लिए दाखिल की गई केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी थी

0 1,000,096

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने संबंधी केंद्र की याचिका लंबित रहने का ट्रायल कोर्ट द्वारा फांसी के लिए नया डेथ वॉरंट जारी करने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शुक्रवार को अदालत ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की कोई याचिका लंबित नहीं है। राष्ट्रपति तीन दोषियों की दया याचिका खारिज कर चुके हैं और चौथे ने अब तक इसे दाखिल नहीं किया है। इसलिए, ट्रायल कोर्ट फांसी के लिए नई तारीख तय कर सकता है।

जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच दिल्ली हाईकोर्ट के 17 फरवरी को दिए आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी से रोक हटाने से इनकार कर दिया था। बेंच ने कहा, “हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस तरह की याचिकाएं लंबित रहने को ट्रायल कोर्ट के फैसले में बाधा नहीं माना जा सकता। अदालत अपने विवेक से इस पर फैसला ले सकती है।”

याचिका की वजह से ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई स्थगित की: सॉलिसिटर जनरल

केंद्र की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- दोषी विनय शर्मा की तरफ से राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। इस वजह से ट्रायल कोर्ट ने फांसी की नई तारीख जारी करने के लिए तिहाड़ प्रशासन की याचिका पर 13 फरवरी को सुनवाई स्थगित कर दी थी। कोर्ट ने इस पर 17 जनवरी को सुनवाई करने की बात कही थी। इस पर बेंच ने कहा- शुक्रवार को विनय की याचिका खारिज की जा चुकी है। अब ट्रायल कोर्ट इस मामले में कार्रवाई कर सकता है।

जब मामला की सुनवाई होगी, तो दोषी एक और रिट पटीशन लगा देंगे

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अदालत से कहा- दया याचिका दाखिल करने के बाद, तीन दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके हैं। चौथे दोषी पवन गुप्ता (25) ने अब तक क्यूरेटिव या दया याचिका दाखिल नहीं की है। मेहता ने कहा कि उन्हें लगता है कि 17 फरवरी को जब मामला ट्रायल कोर्ट के सामने आएगा, तो सुप्रीम कोर्ट में एक और रिट पिटीशन फाइल हो जाएगी।

किसी को कानूनी विकल्प का इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकते: सुप्रीम कोर्ट

सॉलिसिटर जनरल की दलील पर बेंच ने कहा कि किसी को कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता। मेहता ने कहा- अनुच्चेद 21 (जीवन का अधिकार) बेहद महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, लेकिन इसे कानून से खिलवाड़ करने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस पर बेंच ने कहा- चूंकि ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई 17 फरवरी को होनी है, इसलिए बेहतर होगा कि यह अदालत उसके फैसले का इंतजार करे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी के लिए तय कर दी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.