सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट :आज से संसद की नई इमारत का काम शुरू होगा, म्यूजियम में बदली जाएगी पुरानी इमारत

इस पूरे प्रोजेक्ट में पुरानी बिल्डिंग के दोनों तरफ ट्राएंगल शेप में दो बिल्डिंग बनेंगी।

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नई दिल्ली। दिल्ली में नए संसद भवन के कंस्ट्रक्शन का काम आज से शुरू किया जाएगा। करीब 100 साल बाद नया संसद भवन बनने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर 865 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कई अहम प्रोजेक्ट्स डिजाइन कर चुके अहमदाबाद के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने नए संसद भवन की डिजाइन तैयार की है। इस हफ्ते की शुरुआत में 14 मैंबर्स वाले हैरिटेज पैनल ने सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी थी।

टाटा को मिला है कॉन्ट्रैक्ट
संसद की नई इमारत बनाने का कॉन्ट्रैक्ट टाटा को मिला है। नई संसद पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनाई जाएगी। प्रोजेक्ट के तहत नई संसद के अलावा इंडिया गेट के आसपास 10 इमारतें और बनेंगी, जिनमें 51 मंत्रालयों के दफ्तर होंगे।

सेंट्रल विस्टा को रिडेवलप किए जाने के तहत यहां नया त्रिकोणीय संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास, PMO, उप राष्ट्रपति भवन, एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बनाने के साथ ही राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक कॉरिडोर को नए सिरे से संवारा जाएगा। टाटा प्रोजेक्ट्स ने इस काम के लिए मशीने और मटेरियल जुटाना शुरू कर दिया है।

हैरिटेज पैनल से इजाजत मिली

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यहां कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले हैरिटेज पैनल और इस मामले से जुड़े अधिकारियों से मंजूरी लेने के लिए कहा था। सोमवार को हैरिटेज कन्सर्वेशन कमेटी ने यह प्रोजेक्ट शुरू करने की इजाजत दे दी।

इसके मुताबिक, राजपथ पर काम इस साल गणतंत्र दिवस की परेड के तुरंत बाद शुरू होगा। इसके अगले 10 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। उम्मीद जताई जा रही है कि 2022 में गणतंत्र दिवस की परेड नए तरीके से तैयार राजपथ पर होगी।

पिछले महीने PM मोदी ने आधारशिला रखी थी

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। नई बिल्डिंग देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक तैयार होने की उम्मीद है। यह इमारत पुराने संसद भवन के सामने ही बनाई जाएगी। मौजूदा संसद भवन को 94 साल पहले 83 लाख रुपये की लागत से बनाया गया था। इसे म्यूजियम में बदलने की योजना है।

नई-पुरानी बिल्डिंग्स डायमंड लुक देंगी
इस पूरे प्रोजेक्ट में पुरानी बिल्डिंग के दोनों तरफ ट्राएंगल शेप में दो बिल्डिंग बनेंगी। पुराने संसद भवन का आकार गोल है, जबकि नई संसद तिकोने आकार में होगी। इसके चलते नई और पुरानी बिल्डिंग्स एक साथ देखने पर डायमंड लुक नजर आएगा। उम्मीद है कि संसद की नई बिल्डिंग 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगी।

पुरानी पार्लियामेंट के कई हिस्सों में रिपेयरिंग की जरूरत है। इसलिए उसके कुछ हिस्सों को रिनोवेट किया जाएगा। उस जगह जो नई बिल्डिंग बनेगी, उसमें कृषि भवन, शास्त्री ‌‌भवन आदि शामिल है।

नई संसद की क्या खासियत होगी?

  • नई संसद की बिल्डिंग मौजूदा संसद भवन के बगल में होगी और दोनों बिल्डिंग में एक साथ काम होगा।
  • अभी लोकसभा में 590 लोगों की सिटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने के इंतजाम होंगे।
  • अभी राज्यसभा में 280 की सिटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।
  • लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।
  • संसद के हरेक अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस होंगे। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए हाईटेक ऑफिस की सुविधा होगी।
  • कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक होगा। कमिटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों को हाईटेक इक्विपमेंट से बनाया जाएगा।
  • कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और वीआईपी लाउंज की भी व्यवस्था होगी।

प्रोजेक्ट की क्या है खासियत?

  • नया संसद भवन हाई एनर्जी एफिशियंसी के साथ बनेगा। इसे ग्रीन बिल्डिंग की रेटिंग भी दी जाएगी।
  • लोकसभा और राज्यसभा हॉल में हाई क्वॉलिटी एकोस्टिक होगा।
  • एयर कंडीशनिंग, लाइटिंग, इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट आसानी से अपग्रेड किए जा सकेंगे।
  • बिल्डिंग का मेंटेनेंस और ऑपरेशन आसानी से किया जा सकेगा।
  • वीवीआईपी के लिए अंडरग्राउंड एन्ट्रेंस, जबकि आम लोगों और अधिकारियों के लिए ग्राउंड फ्लोर से एंट्री होगी।
  • दिव्यांग व्यक्ति को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका भी खास ख्याल रखा जाएगा।
  • नए प्लान के मुताबिक, केंद्र सरकार के सभी एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस एक साथ एक ही जगह पर लाए जाएंगे, जिससे कामकाज में आसानी हो।
  • पुरानी बिल्डिंग के कुछ हिस्सों को तोड़कर वहां सेक्रेटिएट बिल्डिंग बनाई जाएगी। ऐसा करने से जमीन का सही इस्तेमाल हो सकेगा।

आइए आपको बताते हैं सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी मिलने तक कब क्या हुआ?

सितंबर, 2019: सेंट्रल विस्टा परियोजना की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। लेकिन इसपर खर्च होने वाली राशि को लेकर सवाल उठ रहे थे।

11 फरवरी, 2020: दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीडीए से कहा कि वह परियोजना के साथ आगे बढ़ने से पहले मास्टर प्लान में किसी भी बदलाव को अधिसूचित करने से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाए।

28 फरवरी, 2020: दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने डीडीए, केंद्र की एक अपील पर एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगा दी।

17 जुलाई, 2020: उच्चतम न्यायालय ने परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय मंजूरी और भूमि उपयोग सहित विभिन्न मुद्दों को उठाने वाली कई याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई शुरू की।

5 नवंबर, 2020: उच्चतम न्यायालय ने परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा।

7 दिसंबर, 2020: उच्चतम न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए शिलान्यास समारोह आयोजित करने की अनुमति दी, लेकिन निर्माण शुरू करने पर रोक लगा दी।

10 दिसंबर, 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी।

5 जनवरी, 2021: उच्चतम न्यायालय ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया।

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